Antarvsana sex story : नमस्कार! दोस्तो,मेरा नाम संदीप है। मैं सूरत, गुजरात में रहता हूं।दोस्तो,मैं अपनी पहली कहानी आप लोगों के सामने प्रस्तुत कर रहा हूं; उम्मीद करता हूं कि आप सबको मेरी ये कहानी पसंद आएगी।
तो दोस्तो, हमारी चुदाई कहानी की का नाम निहारिकाहै और नायक का नाम संदीप है।निहारिकाके पति केदारनाथ में टूरिस्ट गाइड थे और उसी बाढ़ में उनकी मृत्यु हो गई।
इस घटना की खबर जब निहारिकाऔर संदीप को मिली तो उनके लिए ये सदमा बर्दाश्त करना बहुत मुश्किल हो रहा था।मगर अब आगे की ज़िन्दगी दोनों मां,बेटे को मिलकर ही काटनी थी।
संदीप के अलावा निहारिकाकी एक बेटी भी है। उसका नाम कोमल है। मगर उसका इस कहानी में सिर्फ इतना ही काम है कि आप उसके बारे में जान लें कि संदीप की एक बहन भी है।
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तो अब घर को चलाने के लिए और पैसों की जरूरत पूरी करने के लिए संदीप ने गांव की एक फैक्टरी में मजदूर का काम करना शुरू कर दिया।ऐसे ही 7 साल बीत गए और अब संदीप 24 साल का हो गया
निहारिकाभी40 की हो गई थी।संदीप इतने वक़्त से मजदूरी का काम कर रहा था और इसी वजह से उसका शरीर एक दम हृष्ट,पुष्ट और बलिष्ठ हो गया था।संदीप की जवानी अपने चरम पर थी|वो रोज़ रात को हस्थमैथुन करता था।
निहारिकाने भी अपने पति के मरने के बाद से एक बार भी चुदाई नहीं की थी।उसकी चूत में भी रह रहकर खुजली होती थी मगर वो मजबूर थी; उसकी चुदासी चूत की प्यास बुझाने वाला कोई नहीं था।
दूसरी ओर वो कभी भी बाहर किसी गैर मर्द से शारीरिक संबंध बनाने से डरती थी। इसलिए उसकी चूत की प्यास बहुत दिनों से दबी ही हुई थी।अब उसकी ज़िन्दगी में एक नया मोड़ आने वाला था।
निहारिका मार्च में अपनी बेटी कोमल को अपने साथ लेकर मायके गयी थी होली का त्यौहार मनाने के लिए।इसी बीच देश में लॉकडाउन लग गया और दोनों मां,बेटी वहीं मायके में फंस गयीं।
संदीप उन दोनों के साथ काम के कारण नहीं गया था। उसको कुछ समय पहले ही फैक्ट्री में सुपरवाइजर का पद दे दिया गया था तो उसका काम अब और बढ़ गया था।
संदीप ने इसी बीच फैक्ट्री की ही एक शादीशुदा महिला से शारीरिक संबंध बना लिया था।उसने महिला मजदूर को बड़े पद का और ज़्यादा पैसों का लालच देकर अपनी शारीरिक जरूरत को पूरा करने का आसान रास्ता निकाल लिया था।
उस महिला और संदीप के बीच चुदाई की कहानी अगली बार बताऊंगा।तो ऐसे ही लॉकडॉउन के दो महीने निकल गए। मई महीने के अंत में जैसे ही लॉकडॉउन खुला तो निहारिकाने पहली ही बस पकड़ी और अपने गांव वापस आ गई।
कोमल ने नानी के घर रहना ज़्यादा सही समझा।निहारिका के ऐसे एकदम से घर वापस आ जाने के कारण संदीप को ज्यादा खुशी नहीं हुई और दुख अधिक हुआ क्योंकि अब वो उस मजदूरी करने वाली भाभी को घर बुला कर चुदाई का मज़ा नहीं ले सकता था।
निहारिकाने घर आकर जब घर की हालत देखी तो संदीप को बुरी तरह से डांट दिया।घर की हालत बहुत खराब थी। इधर उधर कचरा फैला हुआ था। कपड़े यहां वहां बिखरे हुए थे। एक अजीब सी गंध फैली हुई थी।
मां की गैर,हाजिरी में संदीप ने घर का बिल्कुल ख्याल नहीं रखा था।निहारिकाने घर की साफ सफाई करनी शुरू कर दी। इसी दौरान उसको घर के एक कोने में इस्तेमाल किया हुआ कंडोम मिला।
ये बात निहारिकाको खटकी कि उसकी गैर हाजिरी में संदीप घर में क्या करता था? किसको बुलाता था?निहारिकाने अपने पड़ोस में अपनी करीबी सहेली से पूछताछ की।मगर उसकी सेहली को भी इस बारे में कुछ नहीं पता था।
दरअसल संदीप उस मजदूर भाभी को चोरी छुपे घर में लाता था।निहारिका ने अब खुद ही ठान लिया कि वो संदीप की हरकतों पर नजर रखेगी और निहारिकाका ये फैसला बहुत जल्दी रंग लाया।
एक रात को निहारिकापानी पीने के लिए उठी तो उसने देखा कि संदीप के कमरे की लाइट जल रही थी और दरवाज़ा भी थोड़ा सा खुला हुआ था।निहारिका ने सोचा कि इतनी रात को संदीप क्या कर रहा है?
तो निहारिकाने दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया और अन्दर देखा।वो अन्दर का दृश्य देखते ही बुरी तरह से चौंक गई।अन्दर बिस्तर पर संदीप लेटा हुआ अपना लन्ड ज़ोर ज़ोर से ऊपर नीचे करके मुठ मार रहा था।
उसकी चड्डी नीचे ज़मीन पर पड़ी थी और वो अपना लंबा मोटा मूसल लन्ड आंखे बंद करके तेज़ी से ऊपर नीचे कर रहा था।निहारिकाये नज़ारा देख कर सकपका गई।उसको संदीप पर गुस्सा भी आ रहा था।
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मगर अपने बेटे को ऐसे देख कर उसकी जवानी पर शायद गर्व भी महसूस कर रही थी।उसको झटका उसके बाद लगा जब उसने संदीप के मुंह से अपना ही नाम सुना।संदीप मुठ मारते हुए निहारिका… निहारिका… करके बड़बड़ा रहा था।
वो अपनी सगी मां को अपने ख्यालों में चोद रहा था।ये सुनकर निहारिका बिल्कुल स्तब्ध हो गई।निहारिका की समझ में नहीं आ रहा था कि वो करे तो क्या करे।उसका बेटा, जिसको उसने अपनी कोख में नौ महीने रखा
आज अपनी जवानी के जोश में अपनी मां को चोदने की बात सोच रहा है।संदीप को अब निहारिका ध्यान से देखने लगी।उसने पाया कि संदीप का लन्ड उसके बाप के लन्ड से ज़्यादा लंबा, मोटा और तगड़ा है।
ये देख कर निहारिकाकी चूत में खलबली मच गई।उसने इतने साल बाद अपनी चूत में गीलापन महसूस किया।फिर निहारिका एकदम से भाग कर अपने कमरे में चली गई। उसने कमरे का दरवाज़ा बंद किया
अपनी नाइटी ऊपर करके अपनी चूत में उंगली करने लगी।वो बहुत जोश में ज़ोर ज़ोर से अपनी चूत को रगड़ रही थी, उसमें दो दो उंगलियां अन्दर घुसाकर अन्दर,बाहर करने लगी।
उसको इस बात की कतई उम्मीद नहीं थी कि वो एकदम से इतनी जल्दी अपनी चूत से पानी छोड़ देगी।जल्दी ही उसकी चूत का पानी निकल गया, वो हांफने लगी।वो बिल्कुल थककर बिस्तर पर लेटी रही और सो गई।
निहारिकाने अब रोज़ रात को संदीप को मुठ मारते हुए देखने का सोच लिया था।ऐसा करके वो खुद भी गर्म हो जाती थी और रात में अपनी चूत में उंगली करके खुद को शांत कर लेती थी।
अब ऐसे ही दिन बीतने लगे।निहारिका ने एक दो बार सोचा कि उसको संदीप से इस बारे में बात करनी चाहिए।मगर इसमें मां बेटे का रिश्ता बीच में आ रहा था।इसलिए निहारिकाने अब संदीप को इशारे देने की सोची।
निहारिकाअब रोज़ सुबह नहाकर सिर्फ टॉवल अपने ऊपर लपेटकर बाहर संदीप के सामने आ जाती थी।वो बाल सुखाने के बहाने कभी कभी संदीप के सामने झुक जाती थी
जिसके कारण निहारिकाकी गोरी चिकनी मोटी मांसल जांघों का पूरा नज़ारा संदीप को देखने को मिलता था।संदीप को अपनी मां की ऐसी हरकतों से मज़ा भी आता था। उसे अजीब भी लगता था
कि ये अचानक से मेरी मां ऐसा क्यों कर रही है!मगर फिर भी निहारिकाके इतने इशारे करने के बाद भी संदीप ने कुछ भी पहल नहीं की।फिर एक रात को वो सब कुछ हो गया जिसने शायद मां बेटे के रिश्ते को बदल कर रख दिया।
हुआ यूं कि उनके गांव में बिजली का कट हो जाना बहुत आम बात थी और ये वक्त गर्मी का था।बिजली गुल हो जाने के चलते संदीप ने घर में इनवर्टर लगवाया हुआ था मगर इनवर्टर भी सिर्फ निहारिकाके कमरे में लगे पंखे को ही चला पाता था।
ऐसी ही एक रात को लाइट गुल हो गई।निहारिकाने भी सोचा कि शायद आज कुछ मौका है संदीप को खोलने का!निहारिकाका सोचना भी सही था।उसने संदीप को अपने पास बुलाया
बोली, संदीप , आज तू मेरे पास यहां बिस्तर पर सो जा। देख कितनी गर्मी है और मुझे भी अंधेरे में अकेले सोते नहीं बनेगा। यहां पंखा भी चल रहा है।संदीप , ठीक है मां, जैसा आप कहो।संदीप ने ये बात थोड़े रूखे और अनमने ढंग से कही।
निहारिका जानती थी कि उसने इस तरह रुखे ढंग से हां क्यों कहा।निहारिका शायद यही देखना चाहती थी कि क्या आज रात संदीप मुठ मारेगा या नहीं?संदीप ने अपने कपड़े उतारे और चड्डी पहन कर निहारिकाके बगल में लेट गया।
निहारिकाने भी एक ढीला सा गाउन पहन रखा था।गर्मी थी तो दोनों में से किसी ने चादर भी नहीं ओढ़ी थी।दोनों ही अब सोने का नाटक कर रहे थे लेकिन दोनों को ही नींद नहीं आ रही थी।
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ऐसे ही कुछ देर में निहारिकाने अपनी आंखे बंद कर लीं और खर्राटे लेने लगी।निहारिका की पीठ संदीप की तरफ थी।संदीप ने देखा कि निहारिका सो गई है तो उसने अपनी चड्डी उतारी और लन्ड हाथ में लेकर हिलाने लगा।
वो धीरे धीरे मुठ मारने लगा।उसके मुठ मारने से बिस्तर थोड़ा हिलने लगा और संदीप भी थोड़ी आवाज़ें निकाल रहा था।इसके कारण निहारिका की आंखें खुल गईं और उसकी नींद टूट गई।
निहारिका ने हल्का सा अपना सिर ऊपर उठाकर पीछे देखा तो संदीप को मुठ मारते पाया।उसको को भी अब समझ नहीं आया कि वो क्या करे? संदीप को रोके या जो वो कर रहा है उसमें उसका साथ दे?
फिर निहारिका ने सोचा कि यही मौका है, यही वक्त है अपनी इतने सालों की तड़प को और प्यास को बुझाने का!उसने फिर हल्के से अपने गाउन को घुटनों तक ऊपर कर दिया
अपनी जांघों को थोड़ा खोल दिया जिससे संदीप उसकी जांघें देख सके।उसने अपनी टांगें मोड़ लीं और गान्ड को बाहर निकाल कर संदीप की तरफ कर दिया।संदीप ने देखा कि उसकी मां की गान्ड उसकी तरफ है
गाउन भी ऊपर घुटनों तक है।अब संदीप ने भी अपनी मां की तरफ खुद को खिसका लिया और अपना लन्ड निहारिकाकी गान्ड से रगड़ने लगा।
निहारिका तो वैसे भी जाग रही थी; उसने संदीप का लन्ड अपनी गान्ड पर महसूस किया।लंड का अहसास पाते ही निहारिका की प्यास एकदम से बढ़ गई और उसने भी अपनी जांघों में थोड़ी हरकत करनी शुरू कर दी।
संदीप ने खुद को निहारिका से बिल्कुल चिपका लिया और उसकी कमर पर, पेट पर, पीठ पर, और कंधों पर हाथ से सहलाने लगा।फिर उसने धीरे से निहारिकाका गाउन ऊपर कमर तक कर दिया
निहारिका की नंगी, गोरी, बड़ी, मोटी और भारी भरकम चिकनी गान्ड पर अपना लन्ड हाथ से पकड़ कर दो तीन बार पटका।अब संदीप ने अपना हाथ निहारिकाके बूब्स पर रख दिया।
वो धीरे,धीरे अपनी कमर को हिला कर अपना लन्ड निहारिकाकी गान्ड से रगड़ रहा था।इसके साथ ही संदीप ने निहारिकाके बूब्स भी दबाने चालू कर दिए।वो गाउन के ऊपर से बूब्स को दबा रहा था और कसकर मसल रहा था।
निहारिकापूरी तरह से गर्म हो चुकी थी। उसके बूब्स को दबाने से वो हल्की हल्की सिसकियां ले रही थी, आह्ह … स्स्स … आह्ह … ऊम्म … आह।इधर संदीप अपनी मां के बूब्स को जोर से मसल रहा था
बीच बीच में उसके निप्पलों को भी उंगलियों के बीच में पकड़ कर मसल देता था।संदीप का इस तरह से निहारिकाके बदन के साथ खेलना उसे बहुत पसंद आ रहा था।निहारिकाकी चूत गीली होकर थोड़ा थोड़ा पानी छोड़ रही थी।
चूंकि संदीप जवान था तो उससे अब चोदे बिना रहा नहीं जा रहा था।उसने अब साफ साफ बात करने की सोची।वो उठा और अपनी मां के कान में बोला, मां मै जानता हूं कि तू जाग रही है। तेरी चूत भी नीचे से पूरी गीली हो चुकी है।
निहारिकाने भी शर्म पीछे छोड़ अपनी चूत की सुनी और बोली, तो किस बात का इंतजार है तुझे मेरे बेटे? ले चाट ले अपनी मां की चूत, जिसने तुझे इस दुनिया में लाया है। पी जा इसके रस को! ये चूत अब तेरी है।
ऐसा बोल कर निहारिकाने अपने घुटने मोड़ लिए और टांगें खोलकर चौड़ी कर दीं।संदीप ने भी अब आव देखा ना ताव और झट से अपना मुंह, अपने होंठ अपनी मां की चूत में लगा दिए।
उसने अपनी जीभ से निहारिकाकी चूत को ऊपर से नीचे तक पूरा चाटना चालू किया।वो अपने होंठ से उसकी चूत के दाने को चूस रहा था, उसे खींच रहा था।निहारिका की चूत लगातार पानी छोड़े जा रही थी |
उसको इतना मज़ा कभी नहीं आया था। निहारिकाकी टांगें कांप रही थीं। उसको चरम सुख की ऐसी अनुभूति शायद उसके पति के साथ भी नहीं मिली थी जो आज उसका बेटा उसे दे रहा था।
संदीप ने चूत को चाट चाटकर एकदम चिकनी कर दिया था।अब बारी थी इस चिकनी हो चुकी चूत की ताबड़तोड़ चुदाई की!संदीप ने अपने लन्ड पर मुंह से थूका और उसको थोड़ा मसलकर लन्ड का टोपा निहारिकाकी चूत के ऊपर रगड़ने लगा।
निहारिकासंदीप को गालियां देने लगी, साले मादरचोद … क्यों तड़पा रहा है इतना … मुझसे अब और सहन नहीं हो रहा है … मेरी चूत जल रही है अंदर से … इसमें पानी भर … इसकी आग को बुझा हरामी की औलाद … चोद दे जल्दी।
संदीप भी अपनी मां के मुंह से ये सब सुनकर और जोश में आ गया।फिर उसने एक ही धक्के में पूरा का पूरा लन्ड एक बार में ही निहारिकाकी चूत के अंदर उतार दिया।निहारिका की चीख निकल गई
उसका दर्द से बुरा हाल हो गया।इतने सालों से जो चूत बिना लंड लिये सूखी पड़ी थी, आज उसने एक जवान मोटा मूसल जैसा लंड एक बार में अन्दर ले लिया था।ये दर्द तो होना ही था।
मगर फिर संदीप ने भी धीरे धीर धक्के लगाने चालू किया ताकि उसकी मां को ज़्यादा दर्द ना हो।आखिर वो निकला तो उसी चूत के अंदर से ही था और आज उसी चूत में उसने अपना लौड़ा डाला हुआ था।
संदीप के लिए भी ये एक सपने के सच होने जैसा था। जिस मां को चोदने के नाम से वो रोज़ रात को मुठ मारता था आज उसी मां की चूत की चुदाई करने का मजा उसे मिल रहा था।
निहारिका तो बस अब पूरे चरम सुख को प्राप्त करने वाली थी।उसकी चूत अब कभी भी अपनी धार छोड़ सकती थी मगर संदीप के लंड ने तो बस कुछ ही धक्के लगाए थे।संदीप अब अपनी गति बढाने लगा
निहारिका की चूत में ज़ोर ज़ोर से लंड को अंदर बाहर करके चुदाई तेज़ करने लगा।निहारिका की सिसकारियां अब चीखों में बदलती चली गईं, आह्ह … ईईई … मर गईई … ऊईई मां … ओह्ह |
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आह्ह आआआ … आहह … आराम से करर … कमीने … आह्ह फाड़ ही देगा क्या सच में … आईई … आआ!ऐसी तगड़ी चुदाई का निहारिकाको बहुत समय से इंतजार था।
अब उसे घर में अपने बेटे के रूप में जवान लंड मिल चुका था।संदीप अपनी मां के बूब्स भी ज़ोर से मसल रहा था और उन्हें दबा दबा कर लाल कर चुका थानिहारिकाके लिए अब बर्दाश्त कर पाना मुश्किल होता जा रहा था।
वो अब कभी भी अपनी चूत से धार निकालने वाली थी।इधर निहारिकाके ऊपर चढ़ा हुआ संदीप भी बुरी तरह हांफ रहा था।संदीप ,मां मेरा होने वाला है … मैं झड़ने वाला हूं। बोल कहां निकालूं अपना वीर्य??
बेटे ये चूत अब सिर्फ तेरी है,अन्दर ही झड़ जा … मुझे मेरे बेटे का गरमा,गर्म वीर्य अपने अंदर चाहिए।संदीप ,ठीक है मां … जैसे तू बोले!संदीप ने धक्के तेज़ कर दिए और फिर 4,5 धक्कों में निहारिका की चूत को अपने वीर्य से भर दिया।
दोनों ही बुरी तरह से थक गए थे और पसीने से लथपथ थे। फिर निहारिकाने अपना सिर संदीप की छाती पर रखा और दोनों एक दूसरे को सहलाने लगे। फिर वो उसका लंड थोड़ा हिलाकर सो गई।
संदीप भी निहारिका के बदन को सहलाते हुए और उसके बूब्स को दबाते हुए सो गया।आज दोनों मां,बेटे का एक नया रिश्ता शुरू हुआ था।इस रिश्ते को कोई नाम नहीं दिया जा सकता लेकिन रिश्ता तो बन चुका था।तो दोस्तो, कैसी लगी आप लोगों को ये मां,बेटे की चुदाई कहानी? कृपया मुझे मेरी ई,मेल आईडी पर मेल करके इसका रेस्पॉन्स ज़रूर दें|