दूसरे दिन मुझे नींद नहीं आ रही थी। पर मेरी बहन को पता हो गया था मैं सोया नहीं हूँ इसलिए वो घूमकर सो रही थी। पर आज मैं जागने की कोशिश कर रहा था पर नींद कब आ गई पता ही नहीं चला। नींद तब टूटी जब मेरी बहन मुझे छेड़ना शुरू किया इस बार मेरा लंड जल्दी ही बड़ा हो गया पर वो हाथ नहीं हटाई वो जोर जोर से हिलाने लगी।
मैं अपनी टांगो को अलग अलग कर दिया वो मेरे लौड़े को ऊपर निचे करने लगी। मैं चुपचाप मजे ले रहा था शायद उसको पता चल गया था की मैं जाग गया हूँ। फिर भी वो मेरे लंड को हिलाते रही।
मैं बर्दास्त नहीं कर पाया और मेरा वीर्य निकल गया और धीरे धीरे मेरा लंड शांत होकर छोटा हो गया। दीदी के हाथ में वीर्य लग गया थे इसलिये वो उठी और बाहर ही बाल्टी में पानी रखा था आँगन में ही अपना हाथ नाले के पास धो ली और वापस आकर सो गई। मैं भी जल्दी ही सो गया। सुबह उठा तो फिर से सब कुछ नार्मल वो अच्छे से बात कर रही थी ऐसा लग ही नहीं रहा था की रात को उसने या मैं कुछ किया।
फिर दूसरे इन रात में हम दोनों जल्दी खाना खा लिया और सोने चले गए। नींद भी आ गई पर इस बार मेरी बारी थी वो नहीं उठी रात में मेरी नींद खुल गई। वो मेरे तरफ गांड करके सो रही थी। मैं उनके तरफ घूम गया और गांड को सहलाने लगा तभी वो सीधी हो गई। मैं रुक गया और अपना हाथ आप उनके चूचियों पर रख दिया।
वो कुछ भी नहीं बोली मेरी साँसे तेज तेज चलने लगी पहली बार मैं किसी की चूचियों को छु रहा था। मैं चूचियों को सहलाने लगा दबाने लगा। धीरे धीरे मैं अपना हाथ निचे ले गया सलवार के ऊपर से ही चूत को सहलाने लगा। अंदर कुछ नहीं पहनी थी इसलिए जल्दी ही सलवार में चूत का पानी लगकर गीला हो गया था।
मैं उनके सलवार के डोरी यानी नाड़े को खोलने की कोशिश करने लगा पर कामयाब नहीं हो पाया तभी मेरी बहन उफ़ की आवाज निकाली और एक ही झटके में एक तरफ का नाडा पकड़ पर खींची और नाडा खुल गया। अब मैं थोड़े देर शांत रहा। फिर उनके सलवार के अंदर हाथ डालकर उनके चूत को सहलाने लगा। मैं जब भी ऊँगली डालने की कोशिश करता वो मेरा हाथ पकड़ लेती और मैं रुक जाता। पर हां चूत का पानी मैंने जरूर टेस्ट किया नमकीन और गरम लग रहा था।
अचानक से वो दूसरी तरफ घूम गई मेरे तरफ गांड आ गया। मैंने हौले हौले से उनके सलवार को निचे कर दिया घुटने तक और गांड को सहलाने लगा। फिर मैंने उनके समीज को भी ऊपर कर दिया और अंदर से उनकी चूचियों को पकड़कर मसलने लगा।
मेरी बहन मेरे से सट गई और गांड को मेरे लंड में रगड़ने लगी। मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था मैं क्या करूँ। तभी दीदी ने मेरा लंड पेंट से निकाल ली और अपनी गांड के तरफ से ही चूत के छेद पर सेट कर दी।
मैं हौले हौले डालने लगा पर कामयाब नहीं हो पाया। पर मेरी बहन फिर से मेरा लंड पकड़ी अपनी चूत के छेद पर लगाईं और अपना एक टांग उठा कर मेरे ऊपर रख दी और वो खुद ही मेरे तरफ धक्के देने लगी तभी मैंने जोर से धक्का दिया और पूरा लंड उनके चूत में घुस गया। तभी मेरी बहन चिहक उठी और जल्दी से लंड को बाहर कर दी।
शायद उनको दर्द होने लगा था। फिर दो मिनट बाद मैं खुद ही अपना लंड उनके चूत पर लगाया और जोर से घुसा दिया इस बार दर्द तो किया था उनको पर मेरे लंड को बाहर नहीं निकाली। धीरे धीर मैंने अपनी लंड को अंदर बाहर करने लगा।
हम दोनों की साँसे तेज तेज चलने लगी। मैं उनकी चूचियों को मसलता हुआ जोर जोर से धक्के दे दे कर चोदने लगा। सर्दी में भी गर्मी का एहसास हो रहा था। करीब दस मिनट को चुदाई में ही मेरा माल झड गया और वो अपना सलवार ऊपर कर के नाडा बाँध ली और मैं भी पेंट चढ़ा कर सो गया।
उस दिन के बाद से हम दोनों छह महीने तक रोजाना चुदाई करते रहे। उस समय मेरी दीदी चुपचाप गर्भनिरोधक गोलिया खाती थी ताकि वो गर्भ धारण नहीं कर पाए। उसके बाद मैं पढाई के हॉस्टल चला गया और दो साल में ही मेरी बहन की शादी हो गई और वो चली गई।
बस अब यादें ही है वो चुदाई की रात। उम्मीद करता हूँ मेरी या कहानी आपको पसंद आई होगी। सभी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम के पाठको का मेरा प्यार भरा नमस्कार।