Antarvasna Sex Story नमस्कार दोस्तो, मैं आपका दोस्त राज एक बार फिर हाजिर हूँ दूर के रिश्ते में भानजी की चुदाई की कहानी लेकर! इस Antarvasna Sex Story कहानी में मैं आपको बताऊंगा कि कैसे मैंने अपनी शादीशुदा भानजी के साथ सुहागरात मनाकर उसको अपनी पत्नी बनाया और उसके मन की इच्छा पूरी की।
मेरे बारे में तो आप जानते ही हो कि मैं लुधियाना का रहने वाला हूँ और मेरा लंड 7 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा है। मुझे हर उम्र की लड़कियां चोदने में खूब मजा आता है। मैंने अपने जीवन में आज तक तीन कमसिन कलियों की सील तोड़ी है
जिसमें से एक मेरी भानजी गीता है। जैसा कि आप सबने मेरी पहली कहानी में पढ़ा कि मेरी भानजी गीता मुझसे मौका मिलते ही चुदाई करवाने लगी। एक दिन गीता मुझे बोली- राज, मुझे तुम्हारे साथ शादी करनी है और सुहागरात मनानी है।
मैंने उसे बोला- ये संभव नहीं हो सकता क्योंकि मैं शादीशुदा हूँ। वो बोली- कुछ दिन के लिए ही सही, मुझे अपनी पत्नी बनने का मौका दे दो। मैं उसे मना नहीं कर पाया।उस दिन के बाद से हम मौका देखने लगे और आखिरकार हमें मौका मिल ही गया।
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उस दौरान गीता अपनी सहेली के साथ शिमला घूमने एक टूर पर गयी।वहां मैं भी पहले से ही पहुँच गया था। जैसा कि सब पहले से ही तय था तो मैंने वहाँ एक थ्री-स्टार होटल में रूम लिया और हनीमून पैकेज बुक करवा दिया।
गीता की सहेली का कमरा भी उसी होटल में बुक करवा दिया। जैसा कि तय था गीता शाम को तैयार हुई और उसने लाल रंग का लहंगा पहना। उसमें वो हुस्न की परी जैसी लग रही थी।
मैंने भी गीता की पसन्द का कोट पैंट पहना था। फिर मैं उसको कार में मंदिर ले गया जहाँ हमने पंडितजी के सामने वरमाला डालकर शादी की। मैंने सिंदूर से गीता की मांग भरी और पंडितजी से आशीर्वाद लेकर मैं गीता को अपने साथ अपने कमरे में ले आया।
कमरे में गोल बेड पर गुलाब के फूलों से दिल का आकार बना हुआ था और कुछ मोमबत्तियां जल रही थीं। साइड में एक केक और बादाम वाले दूध के गिलास रखे थे।
पूरा कमरा इत्र की खुशबू से महक रहा था और गीता ने कमरे के माहौल को और खुशनुमा बना दिया।
मैंने कमरे में जाते ही कमरे को लॉक कर दिया और गीता को हैप्पी हनीमून कहा तो उसने मुझे बांहों में भर लिया और बोली- आज मेरा सपना पूरा हो गया। गीता मुझसे लिपट कर रोने लगी।
मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और उसको प्यार से चूम लिया। काफी देर तक हम एक दूसरे से लिपटे रहे। फिर हमने एक साथ केक काटा और एक दूसरे को खिलाया। उसके बाद हमने बादाम वाला दूध पीया।
फिर मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में भर लिया। मैंने गीता को चूमते हुए उसे अपने आगोश में ले लिया और वो भी मुझसे लिपट गयी। उसने अपना घूंघट दोबारा से चेहरे पर कर लिया और बोली- पहले मेरे हनीमून का गिफ्ट दो मुझे।
मैंने उसके लिए एक अंगूठी ली थी जो उसका घूँघट उतारते हुए मैंने उसकी उंगली में पहना दी। उसकी पतली व खूबसूरत सी उंगली को मैंने अपने होंठों से किस किया और उसका घूंघट उतार दिया।
गीता दुल्हन के जोड़े में सजी किसी परी जैसी लग रही थी। मैं उसको देखता ही रह गया और उसके गुलाब की पंखुड़ियों जैसे नाजुक होंठों को किस करने लगा। गीता ने भी मेरा साथ दिया और हम दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे।
वो हमारा सुहागरात का चुम्बन था। इससे पहले भी मैंने एक दूसरे को न जाने कितनी बार चूमा था मगर आज का अहसास कुछ अलग था। आज ऐसा लग रहा था जैसे हम दोनों सच में पति पत्नी हैं और हमारी नई शादी हुई है।
गीता इसी अहसास को पाने के लिए शादी की जिद कर रही थी। मुझे भी उसकी ये ख्वाहिश पूरी करने में बहुत खुशी हो रही थी। साथ ही ये भी अहसास हो रहा था कि उसने शादी करने का ये फैसला क्यों लिया।
शादी होने के बाद हम दोनों के बीच में जैसे चुदाई का रिश्ता और गहरा हो गया था। जैसे हम दोनों एक दूसरे के बिना अब रह नहीं सकते थे। हम दोनों इसी अहसास में खोए हुए एक दूसरे के होंठों का रस पीते रहे जो लगभग 10 मिनट तक चला।
गीता पूरी तरह से मेरे आगोश में थी। मैंने उसकी चुन्नी एक तरफ फेंक दी और उसको पूरे चेहरे पर किस करने लगा। उसके गाल, नाक, कान, माथा सब जगह मेरी जीभ चलने लगी और गीता मेरे चुंबनों की बारिश में गर्म होने लगी।
उसने मेरे कोट को उतार दिया। अब उसने मेरी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिये।उसने मेरी छाती को नंगी करते हुए उसे बीच से चूमा और फिर सारे बटन खोलकर मेरी शर्ट मेरे सीने से उतार दी।
एक बार फिर से उसने मुझे अपनी बांहों में भरा और मेरे सीने को चूमने लगी।मैंने भी उसकी पीठ पर हाथ फिराना शुरू कर दिया और पीछे से उसकी चोली की डोरी खोलने लगा। धीरे धीरे मैंने उसकी चोली उतारी और एक तरफ डाल दी।
अब उसकी ब्रा वाली चूचियां मेरे नंगे सीने से सटी थीं। हम दोनों फिर से एक दूसरे के होंठों को रस पीने लगे। अब मेरे हाथ उसकी चूचियों को भी साथ साथ भींच रहे थे। उसका हाथ मेरी पैंट पर पहुंच गया और मेरे तने हुए लंड को वो हाथ से सहलाने लगी।
मैं भी उसकी गांड को दबाने लगा। उसके लहंगे के ऊपर से उसकी गांड अच्छी तरह से हाथ में नहीं आ रही थी इसलिए मैंने लहंगे को उठा दिया। खड़े खड़े ही मैंने लहंगा उठाकर उसके चूतड़ों तक कर दिया और उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी गांड को भींचने लगा। आधी नंगी हो चुकी मेरी भानजी इस वक्त बहुत मस्त चोदू माल लग रही थी।
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मैं किस करते हुए उसको बेड तक ले गया और फिर उसको गोदी में उठाकर बेड पर लिटा दिया।उसकी चूचियों के पहाड़ तनकर खड़े हो गये थे; उसकी ब्रा में कैद चूचियों में तनाव साफ देखा जा सकता था।
मैंने गीता को बेड पर पीठ के बल लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गया। उसको चूमता हुआ मैं उसके पेट पर पहुँच गया। जैसे ही मैंने उसकी नाभि को चूमा तो वो बहुत ज्यादा रोमांचित होने लगी।
उसके मुंह से अब सिसकारियां निकलने लगीं- आअह … ओहह … यहां पर और जोर से करो राज … और जोर से … आह्ह … मुझे बहुत मजा आ रहा है। मैं भी उसकी नाभि को अपनी जीभ से चूमता चूमता और ऊपर बढ़ चला।
गीता मेरे चुंबनों की बारिश से मदहोश होती जा रही थी. इतने में मैंने उसकी ब्रा को उतार फेंका और गीता के छोटे छोटे संतरे ब्रा की कैद से बाहर आ गए। ज्यादा बड़े तो नहीं लेकिन बहुत नर्म थे। मैंने उसके बूब्स को पकड़ लिया और जोर जोर से दबाने लगा।
मैंने गीता को कहा- आज मैं अपनी जान का सारा दूध पी जाऊंगा। वो भी मादक आवाज में बोली- पी लो जान … सब तुम्हारा ही तो है। मुझे अपने ऊपर खींचते हुए उसने मेरी पैंट को खोलना शुरू कर दिया।
उसने हुक खोला तो मैंने उसके लहंगे का नाडा़ खोल दिया।मैंने लहंगा नीचे किया और उसने मेरी पैंट नीचे सरका दी। अपने अंडरवियर में तने लंड का तंबू उसकी पैंटी के ऊपर चूत के मुंह पर रखते हुए मैं उसके ऊपर लेट गया और दोनों एक दूसरे के होंठों को खाने लगे।
काफी देर तक यह चूमा चाटी चली। इस बीच हम दोनों के नीचे के कपड़े भी उतर गये थे और बदन पर केवल चूत और लंड के अंडरगार्मेंट्स ही बचे थे। मैं गीता के दूध पीने में जुट गया और गीता ने मेरी पीठ को सहलाना जारी रखा।
उसको दूधों को काट काटकर मैंने लाल कर दिया और गीता भी पागल हो गयी अपनी इस चुसाई से। अब मैंने उसकी पैंटी को उतार कर उसे पूरी नंगी कर दिया और खुद भी नंगा हो गया।
गीता की फुद्दी पर एक भी बाल नहीं था। उसने यहां आने से पहले बाल साफ़ करवाए थे केवल मेरे लिए! मैंने उसकी चूत को किस किया और अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी।
चूत में मेरी जीभ जाते ही गीता को जैसे करंट लग गया और वो गांड से ऊपर नीचे होने लगी। उसके मुंह से गर्म कामुक सिसकारियां निकलने लगीं- आह … ओह्ह्ह … राज … मेरे मामू … अपनी भानजी को चोद दो अब … और मत तड़फाओ … आह्ह चोद दो मुझे प्लीज।
उसकी इन बातों से मेरा जोश बढ़ गया और मैं तेजी से उसकी चूत को जीभ से ही चोदने लगा। वो मछली के जैसे छटपटाने लगी। उसकी चूत अब तेजी से मेरी जीभ की तरफ ऊपर नीचे हो रही थी।
फिर अचानक उसने मेरे सिर को पकड़ लिया और मेरा मुंह अपनी चूत में दबा दिया।वो आह्ह … आह्ह की सिसकारी लेते हुए झड़ गयी। मैंने उसका सारा कामरस पी लिया। बहुत नमकीन था मेरी गीता की चूत का कामरस।
अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए और उसने मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया।गीता ने पहले कभी मेरा लंड नहीं चूसा था लेकिन आज वो सब कुछ करना चाहती थी।
उसके मुंह में बहुत मुश्किल से मेरा मोटा और लम्बा लंड जा पा रहा था लेकिन गीता बहुत बढ़िया तरीके से और कामुक अंदाज में मेरा लंड चूस व चाट रही थी।वो मजे से मेरा लंड बिल्कुल लॉलीपोप की तरह खा रही थी।
मेरा लंड इतना सख्त हो गया था कि उसकी नसें फटी जा रही थीं।मैं भी उसकी चूत को चाट चाटकर लाल और गीली कर चुका था। उसकी चूत की हरकत फिर से तेज हो गई थी।
तभी हम दोनों ने अपना अपना पानी एक दूसरे के मुंह में छोड़ दिया। गीता मेरा सारा माल पी गयी और बोली- मेरे राज, मामू के लंड में बहुत मजा है। मैंने भी कहा- मेरी भानजी की चूत भी बहुत रसीली है।
गीता की चूत की मैंने खूब तारीफ की। गीता बोली- बहुत मजा आया राज जी!मैं बोला- अभी तो असली मजा आना बाकी है। मैंने गीता के दूध पीने शुरू किये और उसने मेरे लंड को फिर अपने मुंह में ले कर चूसना शुरू कर दिया।
कुछ देर के बाद मेरा लंड एकदम फूलकर मोटा और सख्त हो गया। मैंने गीता को लिटाया और पैर खोलने का इशारा किया। गीता ने अपने पैर ऊपर उठाकर मेरे दोनों कन्धों पर रख दिए और मैं अपना मोटा लम्बा लंड गीता की एकदम टाइट चूत पर रगड़ने लगा।
चूत गीली होने के कारण लंड धीरे धीरे अंदर जाने लगा और गीता को दर्द होने लगा।मैं धीरे धीरे लंड को रगड़ते हुए उसको लिप किस देता रहा और वो नीचे से अपनी कमर उठाने लगी।
तभी मैंने एक जोरदार झटके के साथ अपना पूरा लंड मेरी जान की चूत में डाल दिया। गीता की चूत में लंड जाते ही उसकी जोर से चीख निकली- आह्ह ऊह्ह ह्ह हाय हाईईई … याया यह्ह … न-नहीं … उफ्फ ऊईई … बस्स्स … बस्स्स … मामू!
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मगर मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और चुदाई करने लगा।धीरे धीरे उसकी चीखें मजे की सिसकारियों में बदल गयीं। गीता भी नीचे से अपनी चूत उठाकर मेरे अंदर समा जाने का प्रयास करने लगी।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और गीता को फुल स्पीड से चोदने लगा। गीता अब सिसकारते हुए चुदने लगी- आह्ह … ओ ओहहह … हाय … आऊच … आआ … जोर से राज … फाड़ दो अपनी गीता की चूत … बना लो मुझे अपने लंड की रानी … आई लव यू राज … आआआह आआई … लव यू … आह्ह!
इस तरह से कामुक बातें कहती हुई वो चुदने लगी और मैं भी उसे चोदते हुए उसके बूब्स और होंठ काट काटकर चूमता जा रहा था। तकरीबन 20 मिनट की चुदाई के बाद मैंने अपना वीर्य अपनी गीता की चूत में छोड़ दिया और गीता की चूत ने भी पिचकारी चला दी।
हम दोनों ने एक दूसरे को कसकर बांहों में भींच लिया। दोनों के बदन पसीना पसीना हो गए थे। गरमा गरम चुदाई के पश्चात वो भी हांफ रही थी और मैं भी जोर जोर से हांफ रहा था।
हमारी धड़कनें धक-धक हो रही थीं जिनकी आवाज हम दोनों ही सुन सकते थे।धीरे धीरे चुदाई का ये जोश शांत हुआ और हम नॉर्मल हो गये। मैंने उसके माथे को चूमा और उसने भी मेरे कंधे को चूम लिया और मेरे से लिपट गयी।
हमने एक दूसरे को आई लव यू कहा और नंगे ही सुहागरात की सेज पर एक दूसरे की बाँहों में सो गए। मैंने गीता को हमारी सुहागरात को चार बार चोदा और पूरे तीन दिन हमने हर रात सुहागरात मनायी।
इस तरह मैंने अपनी भानजी गीता को अपनी पत्नी बनाया और उसके साथ सुहागरात मनायी। दोस्तो, आप सबको मेरी भानजी की चुदाई की कहानी कैसी लगी बताइयेगा जरूर!मुझे सेक्सी लड़की की गरमा गरम चुदाई पर आपके मैसेज का इंतजार रहेगा।