हैलो डियर फ्रेंड्स.. मैं राहुल आप सबके सामने अपनी सेक्स कहानी लेकर हाज़िर हूँ। आप लोगों के लिए तो यह कहानी ही होगी, लेकिन यह मेरे लाइफ की एक सच्ची घटना है, जो अभी एक हफ्ते पहले ही मेरे साथ घटी है।
मैं जॉब करने के लिए दिल्ली आ गया, मैंने एक रूम रेंट पर ले लिया और जॉब की तलाश करने लगा।
कुछ दिन बाद मुझे एक ट्यूशन पढ़ाने का मौका मिला। वो स्टूडेंट 8वीं क्लास का था.. इसके बाद 3-4 दिन में ही मेरे पढ़ाने का तरीका उसे जम गया और उसे पढ़ाई समझ में भी आने लगी।
खैर.. हमारी कहानी मेरे स्टूडेंट की नहीं.. उसकी मॉम के बारे में है।
अब मैं आपको उसकी मम्मी के बारे में बताता हूँ। उसकी मम्मी का नाम रेखा था.. उनकी उम्र करीब 35-36 साल की होगी। रेखा आंटी थोड़ी मोटी सी थीं, लेकिन बहुत गोरी थीं। उनके चूचे तो बड़े नहीं थे.. लेकिन साली की गांड बहुत बड़ी थी।
मैं किसी भी लड़की या लेडी में सबसे पहले उसकी गांड को ही देखता हूँ, तो जिस दिन मैंने उनकी गांड को गौर से देखा.. उसी दिन से मैं उनकी गांड को चोदने के बारे में सोचने लगा था।
दोस्तो, अब मैं आपको जो भी बताने वाला हूँ, उसे सुन कर बहुत सारे लोगों को लगेगा कि ये झूठ है, लेकिन मेरा विश्वास कीजिए मैं ये घटना इसीलिए बता रहा हूँ क्योंकि ऐसा मेरे साथ सच में हुआ था और इतनी जल्दी में हुआ था, जिसकी उम्मीद खुद मैंने भी कभी नहीं की थी।
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आप सब तो जानते ही हो कि आजकल व्हाट्सएप कितना चल रहा है.. तो मेरी चुदाई का क्रेडिट भी व्हाट्सएप को जाता है। दरअसल रेखा आंटी मुझे डेली व्हाट्सएप पर ही पूछती थीं कि पढ़ाने कब तक आओगे?
मैं भी कभी-कभी उनके साथ साधारण चैट कर लिया करता था।
रेखा आंटी के यहाँ शाम के समय एक काम करने वाली बाई आती थी.. उसके और मेरे आने का टाइम सेम ही था। वो जब भी झाड़ू लगाती या फ्लोर पर पोंछा लगाती तो झुकने के कारण उसकी गांड इतनी चौड़ी हो जाती थी कि उसे देखकर मैं पागल हो जाता था और उसे भी चोदने के ख्याल मेरे मन में आने लगते थे।
तो हुआ यूं कि अचानक से उस काम वाली बाई ने आना बंद कर दिया। तीन-चार दिन तो आंटी ने कुछ नहीं बोला लेकिन इसके बाद एक दिन वो बहुत गुस्से में थीं.. क्योंकि सारा काम उन्हें खुद ही करना पड़ता था।
उस दिन में जब पढ़ाने के लिए उनके घर गया तो गुस्से में अपने बेटे को किसी बात के लिए डांट रही थीं।
जब मुझे बात समझ में आई तो मैंने कहा- उस काम वाली का गुस्सा इस पर क्यों उतार रही हो आप? ये सभी ऐसी ही होती हैं, जब देखो तब छुट्टी मार लेती हैं।
रेखा आंटी तो बार-बार कह रही थीं- आ जाए बस एक बार.. फिर दिखाती हूँ उसे!
ये सुनकर मैंने भी कह दिया- हाँ आंटी मुझे भी बताना, छोडूँगा नहीं उसे.. मुझे भी काफ़ी परेशान कर रखा था उसने!
ये सुनकर आंटी चौंक गईं और पूछने लगीं- आपको कुछ कहा क्या उसने? क्या बात है?
तब मैंने अचकचा कर बहाना बना दिया नहीं.. कुछ खास नहीं.. बस ऐसे ही!
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आंटी ने फिर पूछा- ऐसे कैसे हो सकता है? उसने कुछ किया होगा या आपको कुछ बोला होगा, तभी तो आप ऐसा बोल रहे हो!
फिर मैंने बोल दिया- कुछ नहीं आंटी, अभी नहीं बता सकता.. बाद में कभी बता दूँगा।
अब मैं उन्हें इस वक्त कैसे बताता कि उस काम वाली की उठी हुई गांड मेरे लंड को परेशान किए हुए थी।
जब मैं अपने घर वापिस आ गया तो आंटी का व्हाट्सएप पर मैसेज आया कि अब बताओ क्या बात है?
मैंने सोचा कि यार ये तो पीछे ही पड़ गईं.. लगता है अब तो इनको बोलना ही पड़ेगा, मैंने भी रिप्लाइ कर दिया कि कुछ नहीं आंटी, उसको जब भी देखता था.. तो मेरे मन में ग़लत ख्याल ही आते थे।
इससे ज़्यादा मैं उन्हें और कुछ नहीं बता सकता था। फिर कुछ देर तक आंटी का कोई मैसेज नहीं आया.. लेकिन करीब 15-20 मिनट के बाद एक मैसेज आया कि क्यों वो पसंद आ गई थी क्या आपको?
यह देखते ही में तो खुश हो गया कि लगता है कि अब अपना काम बन जाएगा। मैंने लिख दिया कि ऐसी कोई बात नहीं है, बस थोड़ी-थोड़ी पसंद आ गई थी।
फिर तो दोस्तो मैं बता नहीं सकता.. उस दिन करीब 3-4 घंटे मेरी व्हाट्सएप पर उनसे चैटिंग होती रही और लास्ट में जब मैंने उन्हें ‘गुडबाय’ कहा तो मुझे अपने आप पर यकीन ही नहीं हो रहा था कि एक ही दिन में ये अचानक से कैसे हो गया।
उनकी काम करने वाली बाई को लेकर हम दोनों ने जो बातें शुरू की थीं, वो सब 3-4 घंटे में मैंने रेखा आंटी को पूरी बातें बता डालीं कि आंटी मुझे कितनी पसंद थीं और कैसे मैं हमेशा उनके बारे में सोचता रहता हूँ। वो सभी चीजें.. जिनके कारण मैं उन पर अट्रैक्ट हो गया था.. मुझे उनसे क्या चाहिए था.. आदि इत्यादि!
मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि वो इतनी आसानी से तैयार हो जाएंगी। ऐसा भी नहीं था कि वो अपने पति से सैटिस्फाइड नहीं थीं.. मेरे पूछने पर उन्होंने बताया था कि पता नहीं क्यों पिछले 6 महीने से उसे कोई नए तरह के सेक्स की कामना हो गई थी, उन्हें किसी नए पार्ट्नर की तलाश थी.. जिससे उनको कुछ नयापन मिल सके।
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उनकी कुछ फ्रेंड्स ने उन्हें बताया था कि नए नए लंड लेने में बहुत मजा आता है.. तभी से वो इस बारे में सोचती रहती थीं। लेकिन उनकी कभी किसी दूसरे का लंड लेने की हिम्मत नहीं हुई थी.. या कभी किसी से कुछ कहने की हिम्मत हुई थी।
जैसे ही मैंने पहल की.. उन्होंने लंड के लिए ‘हाँ’ कर दी, क्योंकि वैसे भी उनकी फैमिली में कोई ज़्यादा पढ़ा-लिखा नहीं था, इसीलिए वो एजुकेटेड लोगों की काफ़ी इज़्ज़त करती थीं और जिस तरह से मैं उनके बेटे को पढ़ाता था.. वो मुझसे काफी प्रभावित हो गई थीं।
अगले दिन में तो सीधे सेक्स चैट पर ही आ गया और फिर 3 दिन बाद मैंने उन्हें सेक्स के लिए राज़ी भी कर लिया।
उन्होंने कहा- दो दिन बाद ट्यूशन की टाइमिंग से एक घन्टा पहले आ जाना।
मैं तय वक़्त पर पहुँच गया, उस दिन मैंने पाया कि उनके घर पर कोई नहीं था। जैसे ही उन्होंने मुझे देखा, वो मुस्कुरा उठीं।
मैंने जल्दी से गेट लगाया और उन्हें अपनी बांहों में भर लिया। मैंने उनके होंठों से अपने होंठ सटाए और उन्हें बेतहाशा चूमने लगा।
अब आंटी को चोदने का मेरा सपना पूरा होने जा रहा था।
कुछ ही देर में वो मुझे पूरा सहयोग देने लगीं। मैंने उनके होंठों को, उनकी जीभ को, उनके गले पर, उनके गुलाबी गालों को.. मतलब हर जगह जी भरके किस किया और दाँतों से भी हल्के-हल्के काटने भी लगा। इन सब हरकतों से वो मदहोश हुई जा रही थीं।
किस करने के बाद मैंने उन्हें बोला- अब नहीं रहा जाएगा.. चलो कमरे में चलते हैं।
वो मुझे बेडरूम में ले गईं और फिर मैंने उनके कपड़े उतारने शुरू किए। उस दिन उन्होंने सलवार सूट पहना हुआ था। उनके हाथ ऊपर करके जैसे ही मैंने सूट का कुरता निकाला.. उनकी चूचियां बाहर निकल पड़ीं, क्योंकि उन्होंने अन्दर ब्रा नहीं पहन रखी थी। मैंने रेखा आंटी की दोनों चूचियों को मुँह में भर के चूसना शुरू कर दिया। मैं आंटी के मम्मों को ऐसे चूस रहा था.. जैसे कोई छोटा बच्चा अपनी माँ का दूध पी रहा हो।
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फिर मैंने अपनी जीभ से उनकी चूचियों को खूब चाटा और पूरा गीला कर दिया.. साथ ही चूचियों के ऊपर दाँत से काटने लगा। वो कामातुर हो चुकी थीं और मादक सिसकारियां भरने लगी थीं।
मैंने काफ़ी देर तक उनकी चूचियों को मसला और जीभ से सहलाता रहा। करीब दस मिनट के बाद मैंने उन्हें बेड पर लिटा दिया और फिर उनकी सलवार का नाड़ा खोलकर एक ही झटके में उतार दी।
माँ कसम.. उसकी केले के समान चिकनी और दूध सी गोरी जांघें देख कर तो मैं पागल ही हो गया। साली की क्या मोटी-मोटी सुडौल जांघें थीं.. एकदम चमक रही थीं। मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि मेरी नज़रों के सामने ऐसा गदराया हुआ माल खुला पड़ा है।
मैंने उनकी जाँघों को हाथों से सहलाना शुरू किया और उस पर अपनी जीभ फिराना शुरू कर दिया और थोड़ी देर बाद मैंने रेखा आंटी को पलट दिया।
दोस्तो.. मैं आप सबको कैसे बताऊँ.. उनकी गांड देख कर तो मैं पूरी तरह से आउट ऑफ कंट्रोल हो गया। इतनी मोटी गोरी-गोरी और भरी हुई गांड.. आह्ह.. लंड क्रान्ति करने लगा था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि लड़कियों की गांड भगवान इतने प्यार से बनाता है।
फिर मैंने उनकी पेंटी उतारी और उनकी गांड की दरार को देख कर तो मुझ पर नशा सा छा गया। मैंने बड़े मनोयोग से उनकी गांड को जीभ से सहलाना शुरू कर दिया और उनकी गांड को अपने हाथों से ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा। फिर मैंने अपने बैग से एक तेल की बोतल निकाली, जो मैं लेकर आया था।
मैंने उनकी गांड की अच्छे तरीके से मालिश की और उनकी गांड पर प्यार से दो-तीन थप्पड़ भी लगाए। फिर मैंने उन्हें वापस पलट दिया और अब मैंने उसकी नंगी चुत देखी। आंटी की चुत पूरी क्लीन थी.. जिसके कारण बड़ी खूबसूरत दिख रही थी।
अब मैंने आंटी की टांगों को फैलाया और उनके पैरों को घुटने से मोड़ दिया, जिससे उनकी चुत पूरी खुल गई। फिर धीरे से उनकी चुत को किस किया और अपनी जीभ चुत से सटा दी। जैसे ही मैंने मेरी जीभ उनकी चुत पर रखी.. वो तड़फ उठीं।
एक पल रुकने के बाद उनकी चुत में मैंने जीभ घुसाई और उसकी चुत को चाटने लगा। कुछ ही देर में उनकी चुत मेरे थूक से पूरी तरह से गीली हो गई और मैं चुत को चाटते अपने दाँतों से भी काटने लगा।
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तभी आंटी ने मेरे सिर पर अपना हाथ रखा और मेरे सर को अपनी चुत पर दबाना शुरू कर दिया। मैं समझ गया कि बाढ़ आने वाली है.. वही हुआ, आंटी की चुत का झरना फूट गया और मैंने उनके खट्टे रस को चाट लिया।
कुछ देर बाद मैं वहां से उठा और उनसे पूछा- क्यों मज़ा आया मेरी जान?
आंटी बोलीं- मैंने तो कभी सोचा ही नहीं था कि तुम इतने बड़े खिलाड़ी निकलोगे!
यह सुनकर मैंने बोला- अब तुम्हारी बारी ही जानेमन!
मैंने यह कहते हुए अपनी पैंट उतार दी, उन्होंने मेरे तंबू जैसे तने हुए अंडरवियर को देखा और ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ कर दबाने लगीं।
फिर आंटी ने मेरा अंडरवियर उतारा और मेरा विशाल लंड उनके सामने किसी काले साँप की तरह झूलने लगा।
यह देखकर वो बोलीं- बाप रे, तुम तो पूरे छुपे रुस्तम हो।
उन्होंने अपना मुँह खोला और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं। थोड़ी देर में मेरा लंड पागल हो उठा और मैंने उनके सिर पर हाथ रखकर उनके मुँह में लंड पेलना शुरू कर दिया।
मेरे तगड़े किस्म के 3-4 धक्कों में ही आंटी का दम फूलने लगा और खाँसते हुए उन्होंने मेरा लंड मुँह से बाहर निकाल दिया। आंटी बोलीं- इतनी बेरहमी मत दिखाओ यार.. आराम से लंड चूसने दो।
मैंने बोला- ठीक है.. डार्लिंग मजे से चूस लो!
फिर उन्होंने आराम से देर तक मेरे लंड को चूसा। वो कभी थूक डाल-डाल कर चूसतीं, तो कभी लंड के चारों तरफ जीभ घुमा-घुमा कर बड़े प्यार से मेरे लंड को चूसतीं। इस तरह अपनी चुत की चुदाई के लिए आंटी ने मेरा लंड तैयार कर दिया।
अब मैंने लंड उनके मुँह से निकाल कर हिलाते हुए बोला- चाची चुदाई का वक़्त हो गया है।
वो तो कब से इसी का वेट कर रही थीं।
मैंने उन्हें डॉगी पोज़िशन में हो जाने को बोला। जैसे ही वो डोगी पोज़ में आईं, मैंने उनकी गांड पर ज़ोर से 4-5 चमाट मारे, फिर उनकी गांड को हाथों से फैलाया और उनकी चुत में अपना लंड घुसेड़ने लगा। उन्होंने भी अपनी गांड लंड के हिसाब से अड्जस्ट कर दी।
अब मैंने एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरा लंड उसकी चुत में सटाक घुस गया और आंटी की एक हल्की सी आह निकल गई, मैंने अपना एक पैर उनकी कमर के बाजू में रखा और उनकी गांड को हाथों से दबोच कर उन्हें हचक कर चोदने लगा।
वो अपना सिर पूरी तरह से नीचे झुका कर चुदवा रही थीं.. और मैं उनकी कमर को अपने हाथों से पकड़ कर चोदे जा रहा था। आंटी को चोदते-चोदते मैंने अचानक से अपनी स्पीड बढ़ा दी और उनकी गांड पर चमाट मारने लगा। कम से कम 10 चमाट मैंने लगतार मारे.. जिससे उनकी गोरी-गोरी गांड लाल हो गई।
वो मस्ती में ‘आ आह..’ कर रही थीं और अब अपनी गांड खुद ही आगे-पीछे करके मुझसे चुदवा रही थीं।
मैंने आगे झुक कर उनकी चूचियों को पकड़ लिया और उनके कान में चुदासे स्वर में कहा- साली बहुत दिन से तड़फा रही थी.. आज नहीं बचेगी तू.. ले साली.. खा मेरा लंड!
यह सुनकर वो भी बोलने लगीं- हाँ कुत्ते.. मैं भी देखती हूँ कितना दम है तेरे लंड में.. चोद साले.. जितना चोद सकता है.. चोद भोसड़ी वाले.. आज जो चाहे कर ले.. मैं भी आज तेरे लंड को देखती हूँ.. चुदाई के मैदान में कितनी देर टिक सकता है..!
मुझे और भी जोश आ गया और मैंने उनके बाल पकड़ कर उन्हें घोड़ी की तरह चोदना शुरू कर दिया। उनकी गांड से ‘ठप.. ठप..’ की आवाजें आ रही थीं और मुझे जन्नत का सुकून मिल रहा था।
थोड़ी देर तक और चोदने के बाद मैंने अपना लंड बाहर निकाला और बेड पर लेट कर उन्हें मेरे लंड पर आकर बैठने को कहा। वो मेरे लंड के ठीक ऊपर आईं और मेरे लंड को हाथों में लेकर उस पर चुत रखकर बैठ गईं।
मेरा लंड आंटी की चुत में ‘घप्प’ से घुस गया और उनकी मखमली गांड के नीचे हाथ रख कर मैं उनकी गांड को ऊपर-नीचे उठा कर चोदने लगा। वो भी अपनी गांड ऊपर उठा-उठा कर चुदवाने लगीं।
अचानक मेरे लंड को जोश आ गया और मैंने इतनी तेज़ी से उनकी चुत में लंड पेलना शुरू किया कि उनका पूरा बदन थरथराने लगा.. वो काँपने लगीं और सिसकारियाँ भरने लगीं।
दो मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद मैं रुक गया, तब तक वो काफ़ी थक गई थीं। मैंने उन्हें अपने ऊपर से हटाया और फिर से बेड पर लिटा कर उनकी जाँघों को फैलाया और पैरों के बीच में आकर उनकी चुत खोलने लगा।
ये देख कर वो हैरान हो गईं और बोलीं- अब और कितना चोदोगे.. फ्री की चुत मिल गई है, तो चोदे ही जा रहा है!
मैंने बोला- साली.. अभी तक मेरा माल तो निकला ही नहीं.. ऐसे कैसे छोड़ दूँ?
कहकर मैंने उनकी चुत पर लंड रखा और उनके होंठों को जीभ में भर कर फुल स्पीड से फिर से चुदाई शुरू कर दी।
अब वो बुरी तरह से कांप रही थीं और ‘उम्म्ह. अहह. हय. याह.’ कर रही थीं। हम दोनों पूरी तरह से पसीने से भीग चुके थे, तभी मैंने अपनी स्पीड डबल कर दी और दनादन धक्के देने शुरू कर दिए।
इस बार करीब 20-25 धक्कों के बाद आंटी की चुत में मैंने अपना गरमा गरम लावा छोड़ दिया। आंटी की चुत पूरी तरह से मेरे स्पर्म से भर गई और मैं उनके ऊपर ही निढाल हो कर लेट गया।
फिर 5 मिनट बाद उन्होंने मुझे हटाया और बाथरूम में चली गईं।
मैंने भी कपड़े पहने और फ्रेश होने के बाद मैं नॉर्मल हो गया।