बात उस समय की है जब मैं 20 साल का था, मैं संगीत सीखने मास्टर जी के घर जाया करता था।
उनकी उम्र 50 के करीब होगी, और वो अंधे थे। वे सरकारी स्कूल में पढ़ाते थे।
उनके साथ उनकी बीवी और उनके 2 बच्चे रहते थे, जो स्कूल जाते थे।
उनक बीवी की उम्र 35 की होगी, वे घर में ही रहती थी।
देखने में ठीक ठाक थी लेकिन उनकी चूचियाँ बहुत बड़ी थी, 36 की होंगी।
मैं रोज उनके घर जाकर संगीत सीखता, उनकी बीवी रोज हमें चाय देने आती और चाय रखकर चली जाती।
मेरे मन में भी कोई ऐसी बात नहीं थी।
एक दिन वो चाय लेकर आई और मेरे साथ सटकर बैठ गई।
मास्टर जी को तो कुछ दिखाई नहीं देता था क्योंकि वो तो अँधे थे, मुझे थोड़ा अजीब लगा क्योंकि पहले उन्होंने ऐसा कभी नहीं किया था।
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उन्होंने अपना हाथ मेरी जांघ पर रख दिया और थोड़ा सहला कर चली गई।
मैं घर वापिस आ गया, उस रात मुझे नींद नहीं आई, पूरी रात मैं सोचता रहा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया, सोचते सोचते मेरा लंड खड़ा हो गया, आखिर मैंने हाथ से अपने आप को शांत किया।
अगले दिन सुबह मैं उनके घर गया, बच्चे और मास्टर जी स्कूल गए हुए थे, आन्टी घर में अकेली थी, यह मुझे पहले से ही मालूम था।
मैंने घंटी बजाई, आंटी ने दरवाजा खोला और बोली- अरे तुम इस वक्त कैसे आये/
मैं बोला- आंटी आपसे अकेले में कुछ बात करनी थी, इसलिए इस समय आया।
वो मुझे सीधा अपने शयनकक्ष में ले गई, उन्होंने मुझे बिठाया और वे मेरे साथ ही बैठ गई।
मैंने पूछा- आप कल क्या कर रही थी?
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और सहलाने लगी और बोली- तुम्हारे मास्टर जी मुझे शारीरिक सुख नहीं दे सकते, वे नपुंसक हैं।
इतना कहते ही वे मेरे गले लगकर रोने लगी।
मैं उन्हें चुप कराने लगा, उन्होंने मुझे और जोर से गले लगा लिया, उनकी चूचियाँ मेरी छाती पर चुभने लगी, मैं उनकी पीठ पर हाथ फेर रहा था, मेरा भी लंड खड़ा हो गया।
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूचियों पर रख दिया।
मेरे मन का शैतान भी जाग गया, मैं उनकी चूचियों को धीरे धीरे सहलाने लगा, वो आहें भरने लगी इस्सह… ससह… सआह… हहहह…
फिर मैं थोड़ा और जोर से मसलने लगा, वो मदहोश होने लगी ‘आहहहहह और जोर से दबाओ…’
मैंने उसके होंठ अपने होंठों में ले लिए और चूसने लगा, वो पैन्ट के ऊपर से मेरा लन्ड सहलाने लगी।
मैंने एक एक कर के उसके सारे कपड़े उतार दिए और खुद भी नंगा हो गया, मैं उसके पूरे शरीर को चूमने लगा, मैंने एक चूची मूँह में ले ली और दूसरी को हाथ से मसलने लगा।
वो तड़पने लगी, इधर उधर सर घुमाने लगी।
मैं उसके शरीर को चूमता हुआ उसकी चूत पर आ गया और अपनी ऊँगली से चूत खोल कर जीभ से चाटने लगा।
उउह… उएएअ… उउहआहह… जोर से उउआहह…’ उसकी चूत से पानी आने लगा।
कुछ देर बाद वो झड़ गई।
मैंने उसे लंड चूसने को कहा।
मैं नीचे लेट गया, वो घुटनों के बल बैठ गई और अपना मुँह मेरे सात इन्च लम्बे लंड पे रख दिया और उसे चूसने लगी।
मैं हवा में उड़ने लगा… क्या चूस रही थी यार… ‘ओह आह ओह आह ‘ वो चूसे जा रही थी जोर से मैं अपनी कमर हिला रहा था।
मुझे लगा कि मेरा निकल जाएगा मैंने लंड निकाल लिया।
फिर हमने कुछ देर चूमाचाटी की और एक दूसरे के बदन को सहलाते रहे।
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वो बोली- अब अन्दर डाल दो, मेरी प्यास बुझा दो।
मैं उनकी टांगें चौड़ी कर के बीच में आ गया और लंड को चूत पर सैट किया और धक्का मारा।
लंड का टोपा अंदर घुस गया, उनकी चीख निकल गई ‘उईईई ईईईईई मर गई!’
शायद वे बहुत दिनों से चुदी नहीं थी इसलिए चूत इतनी टाइट थी।
मैं रूक गया और उसकी चुची मूँह में लेकर चूसने लगा, वो कुछ शांत हुई, मैंने फिर उसके कंधों को पकड़ कर एक जोरदार धक्का मारा,
मेरा सात इन्च का लंड उसकी चूत की दीवारों से टकराता हुआ पूरा अंदर घुस गया।
वो चिल्लाई- आहहह… मार डाला… हाय मर गई… इइइ… छोड़ दे आह…
मैं रूक गया और उनके होठों को चूसने लगा, चूचों को मसलने लगा।
उन्हें कुछ आराम मिला, उनकी चूत पानी छोड़ने लगी, कुछ देर बाद वो अपने चूतड़ हिलाने लगी और बोली- चोदो मेरे राजा…मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किए, वो भी अब मस्ती में आ गई थी, उनके मुँह से मस्ती भरी आवाज़ें निकल रही थी- आह… ऊहह हऊह हहह हाययय… चोदो मेरे राजा जोर से चोदो हाय… ऊहहह… बड़ा मजा आ रहा है…
मैंने भी रफ़्तार बढ़ा दी।
‘ओह आहहह…’ वो भी नीचे से गांड उछाल उछाल कर मेरा साथ दे रही थी।
उसकी चूत के पानी से मेरा लंड पूरा गीला हो गया था, सारा कमरा पच्च पच्च और हमारी आह ऊह की आवाज़ों से गूँज रहा था, कमरा घर के सबसे अंतिम भाग में था इसलिए हमें आवाज बाहर जाने का कोई डर नहीं था और मास्टर जी और बच्चों के आने में अभी वक्त था, इसलिए हम बेफिक्र होकर लगे रहे।
वो भी मजे लेकर चुदवा रही थी।
आह…आओओह… ओओ… जोर से और जोर से आह आह आह ओह ओह ओह…
मैं भी धक्के पे धक्का मार रहा था।
एकदम से उसका शरीर अकड़ने लगा और वो झड़ गई और निढाल हो गई।
लेकिन मेरा अभी बाकी था, मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और उनके मुँह में दे दिया।
वो मेरे लंड को चूसने लगी।
पांच मिनट बाद मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा, वो घोड़ी बन गई, मैं उनके पीछे गया और पीछे से उसकी चूत में लंड डाल दिया और ताबड़तोड़ धक्के मारने लगा।
वो फिर से गर्म हो गई और मेरा साथ देने लगी- आह आह आह चोदो और तेज आह आह… ओह ओ… हाय चोदो राजा आज तुमने मेरी कई सालों की प्यास बुझा दी हाय आह आह आह…ओहओह चोदो और जोर से उउउउउह… आआआआह… मजा आ रहा है।
मैंने भी अपनी गति बढ़ा दी और पूरा जोर लगा कर धक्के मारने लगा।
आधे घंटे की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद हम एक साथ झड़ गए।
मैंने अपना सारा माल उनकी चूत में ही छोड़ दिया, उन्होंने भी मेरा लंड 2-3 मिनट तक अपनी चूत में भींच कर रखा और मेरे लंड का सारा माल निचोड़ लिया।
फिर हम अलग हुए और कपड़े पहन लिए।
कपड़े पहनकर उन्होंने मुझे गले से लगा लिया और बोली- आज से मैं तुम्हारी हूँ, जब चाहो मुझे चोदना, आज जो मजा तुमने मुझे दिया ऐसा मजा मुझे कभी नहीं आया।
मैंने भी उन्हें चूमा और घर वापिस आ गया।
अब हमें जब भी मौका मिलता हम अपनी प्यास बुझा लेते थे।
फिर उसने मुझसे अपनी छोटी बहन और एक सहेली को भी चुदवाया।