Indian lesbian sex : आज से चार साल पहले मैंने यही बात कही थी अपने कुछ करीबी रिश्तेदारों को बताई थी जब मेरी शादी को दो महीने हुए थे| मेरी शादी कंचन से हुई थी| मैं बहुत खुश था| कंचन बहुत ही खुबसूरत थी|
मेरे सारे दोस्त बहुत जले थे जब उन्होंने कंचन को देखा था| कंचन का रंग गुलाबी गोरा था| अच्छा कद और हुस्न की मल्लिका|हर अंग तराशा हुआ| कहीं कोई कमी नहीं निकल सके ऐसा हुस्न था उसका| मैं अहमदाबाद के नजदीक मणिनगर की एक फैक्ट्री में काम करता था|
फैक्ट्री की अपनी कालोनी थी| मुझे वहीँ एक छोटा बंगला मिला हुआ था| बंगले में दो फ्लैट थे| एम् में मैं और दूसरे में एक सुधीर परिवार रहता था| सुधीर साहब हमारी फैक्ट्री में काम करते थे|
उनके एक बेटा भी था जो दूसरी जगह काम करता था| वो भी मेरी ही उम्र का था| उसकी पत्नी का नाम था निशा| निशा भी कंचन की ही तरह गज़ब की खुबसूरत थी| वो मुझे सुनील भाई कहकर बुलाती थी और हमेशा अच्छे से बात करती थी|
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सुधीर साहब की पत्नी का देहांत कुछ समय पहले हो चुका था|मैं शादी के बाद कंचन को लेकर मणिनगर आ गया| अभी तक मैंने कंचन के साथ सुहागरात नहीं मन पाया था| कंचन शादी के समय से ही तेज बुखार के चलते बहुत कमजोर हो गई थी|
मैं उसे पूरा आराम देना चाहता था| यहाँ आने के बाद दूसरे दिन ही निशा उससे मिलने आई और वो दोनों सहेलीयां बन गई| मैं बहुत खुश हो गया| एक दिन रात को मैंने कंचन को अपनी बाहों में भर लिया| वो भी कुछ ना बोली और खुद-बी-खुद सिमट गई|
हम दोनों के एक दूसरे को काफी देर तक किस किया| जब मैंने कंचन के कपडे उतारे तो वो थोडा कसमसाई|मैंने उसे अपने साथ पूरी तरह नग्न कर दिया| मैंने उसे आज पहली बार इस तरह देखा था| उसके हर जिस्म का एक एक हिस्सा बहुत ही कारीगरी से बना हुआ था|
मैं अपने आपको बहुत खुशनसीब समझने लगा| हम दोनों आपस में लिपट गए|लेकिन इसके आगे कंचन एकदम से ठंडी हो गई और हमारा मिलन अधुरा रह गया| लेकिन मैंने इसे कोई गलत नहीं माना| लेकिन हर बार वो ऐसा ही करने लगी तो मुझे थोड़ी हैरानी हुई|
मैंने उससे एक दो बार पूछा तो उसने कुछ ना कहा और बात को टाल गई|एक दिन मैं दोपहर को घर आ गया क्यूंकि मेरे सर में बहुत दर्द हो रहा था| मैंने देखा की कंचन और निशा बहुत ही घुलमिलकर बातें कर रही है और हंस भी रही है|
मुझे बहुत अच्छा लगा| कंचन का चेहरा आज पहली बार इतना खिला हुआ लग रहा था| रात को मैंने फिर एक बार कोशिश की लेकिन बात वहीँ आकर रुक गई| लेकिन इतना जरुरु हुआ की कंचन ने आज ज्यादा गर्मजोशी से मुझे भू चूमा था और खुद के भी चुम्बन दिए थे|
दो दिन बाद मुझे कुछ काम से किसी मीटिंग में जाना था| कपडे बदलने के लिए मैं घर पर गया| दरवाजा खुला था| मैं अपने कमरे में जैसे ही दाखिल हुआ मैंने देखा की कंचन और निशा दोनों ने एक दूसरे को गले से लगा रखा है|
दोनों पलंग पर बैठी हुई है| कंचन निशा को चूम रही थी औए निशा कंचन के बाल सहला रही थी|मैं हैरान हो गया| अब मैं समझा की कंचन पूरी तरह से खुलकर मेरे साथ सेक्स क्यूँ नहीं कर रही थी| तो इसका मतलब यह हुआ की वो लेस्बियन है|
मैंने सुना था की लेस्बियन आपस में ही संतुष्ट होते हैं ऐसा नहीं की वे मर्दों के साथ संभोग नहीं करते लेकिन ज्यादातर वो आपस में ही सेक्स सम्बन्ध बनाते हैं| मैं परेशान हो गया| मैंने ये बात मेरे कुछ करीबी रिश्तेदारों को बताई लेकिन किसी ने भी कोई सुझाव नहीं दिया|
मेरी परेशानी बढती जा रही थी| हमारा सम्बन्ध केवल चुम्बनों तक ही रह गया था, यहाँ तक कि कंचन ने आज तक मुझे अपने होंठ चूमने नहीं दिए थे|इन्ही दिनों मेरी मुलाकात मेरे एक बहुत पुराने मित्र से हुई| मैं उसे सारी समस्या बताई|
उसने सारी बात सुनने के बाद मुझे कुछ सुझाव दिए| मुझे उसके सुझाव कुछ पसंद आये| मैंने उस दोस्त के बताये एक आदमी से मुलाकात कि| उस आदमी ने मुझे कहा कि काम हुआ समझो| उसी शाम को मैं उस आदमी से मिलने गया|
उसने मुझे एक जवान लडकी से मिलवाते हुए कहा ” ये अंजलि है| ये आपके यहाँ काम करने के लिए तैयार है| मैंने इसे सब कुछ समझा दिया है| ये कल ही अपना सामान लेकर आपके घर पहुँच जाएगी| आपकी हर समस्या हल हो जायेगी|
अंजलि एक लगभग पैंतीस साल कि उम्र कि औरत थी| उसका शरीर जबरदस्त गंठा हुआ था| उसके स्तन तो जैसे ब्लाउज को फाड़कर बाहर आने को बेताब थे| वो दिखने में ज्यादा खुबसूरत नहीं थी|
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लेकिन उसके गठे हुए शरीर और साफ सुथरे कपडे से दिखने में काफी गरम लग रही थी| अंजलि ने मुझसे कहा ” आप बिलकुल चिंता मत करना|मैं सब समझ गई हूँ| आपकी समस्या हल हुई समझो| मैं और आप मिलकर इस समस्या को सुलझा लेंगे|
बस आप अपना सहयोग पूरा पूरा देना| समय समय पर मैं आपको इशारे से सब कुछ सम्जहती रहूंगी और कब मदद चाहिये बताती भी रहूंगी| आजकल इस तरह की समस्या बहुत कॉमन हो गई है| मैं ऐसी समस्याएँ सुलझा चुकी हूँ|” मैं खुश होता हुआ घर लौट आया|
मैंने कंचन से कहा ” मैंने तुम्हारी मदद के लिए एक नौकरानी रख ली है| घर का सारा काम कर लेगी और तुम्हे भी आराम रहेगा| मुझे तुम्हारी बहुत चिंता रहती है|” कंचन ने खुश होते हुए कहा ” ये तो बहुत ही अच्छी बात है|
अब मैं फुर्सत में रहूंगी और घर की देखभाल ज्यादा आसानी से कर सकुंगी|”अगले दिन सवेरे ही अंजलि अपने साथ एक सूटकेस लेकर आ गई| मैंने अंजलि को कंचन से मिलवाया| अंजलि ने सारा काम संभाल लिया|
अंजलि ज्यादातर ट्यूब टॉप के ऊपर फुल ज़िप्पर पहनती थी और नीचे घुटनों तक की लम्बाई की कैप्री| कुल मिलाकर वो नौकरानी नहीं बल्कि बाहर के देशो की तरह हाउस मेनेजर लगती थी|
जब मैं तैयार होकर नाश्ते के लिए टेबल पर आया तो नाश्ता लगा हुआ था| कंचन बैठी थी और बहुत खुश नजर आ रही थी| तभी अंजलि आ गई| उसने कंचन के सर में मालिस करनी शुरू कर दी| अंजलि ने मेरी तरफ मुस्कुराकर देखा|
मैंने देखा कि अंजलि ने कंचन के सर की मालिश करते करते उसकी कंधे और बाहें भी दबानी शुरू कर दी थी| कंचन को यह बहुत अच्छा लगने लगा| मैं मुस्कुराते हुए फैक्ट्री चला गया|
शाम को लौटने पर अंजलि ने कहा धीरे धीरे योजना शुरू कर दी जायेगी| रात को खाना खाने के बाद अंजलि ने कंचन से अपनी मसाज करवाने के लिए कहा| कंचन तैयार हो गई| अंजलि ने मेरे सामने ही उसकी पीठ पर मसाज शुरू कर दी|
अंजलि के हाथ धीरे धीरे कंचन की पीठ के निचले हिस्से तक पहुँच गए| कंचन के उभरे हुए बटक्स ( चुतड ) अंजलि के मसाज से हिलने लगे| अंजलि के हाथ अब उसकी जाँघों तक पहुँच गए|
अंजलि के इशारे से मैं उठकर बाहर आ गया और खिड़की से अन्दर देखने लगा| कंचन अपनी जंगों पर मसाज से अब उत्तेजित होने लगी थी| अंजलि अब और ज्यादा नीचे झुक गई| उसकी उभरी हुई छाती कंचन की पीठ को छूने लगी| कंचन थोडा कसमसाई|
अंजलि ने उसे अब सीधा लिटा दिया और मसाज करने लगी| पहले सर; फिर कंधे और फिर अंजलि ने उसके उभारों को धीरे धीरे मसलना शुरू किया| कंचन ने अंजलि को अपनी तरफ खींचा| अंजलि ने अब अपने स्तन कंचन के स्तनों पर टिका दिए |
अपने स्तनों से कंचन के स्तनों को हिलाने और दबाने लगी|कंचन ने अंजलि को कसकर पकड़ लिया और अपने ऊपर लिटा लिया| कंचन अंजलि के गालों को चूमने लगी| अंजलि ने मुझे अन्दर आने का इशारा किया|
मैं तुरंत अन्दर गया| अंजलि ने कंचन की कुर्ती के बटन खोलकर उसे उतारना शुरू किया| कंचन ने कोई प्रतिरोध नहीं किया और जवाब में अंजलि के ज़िप्पर को खोल दिया और उसे खींच कर उतार दिया|
अब अंजलि केवल ट्यूब टॉप में ही रह गई| अंजलि का गदराया जिस्म मुझे उत्तेजित कर गया|उसकी उभरी हुई छातियाँ ट्यूब टॉप में से ऐसे झाँक रही थी जैसे कोई भारी चीज को बहुत पतले कपडे में बाँध कर लटकाया जाए|
अंजलि ने अब अपनी आधी नंगी छाती को कंचन की छाती से स्पर्श कराया| कंचन अब केवल ब्रा में थी| अब अंजलि ने कंचन की लेग्गिंग्स उतार दी| कंचन ने भी जवाब में अंजलि की कैप्री को खींच दिया|
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अंजलि और कंचन दोनों अब केवल दो बेहद छोटे कपड़ों में थी जो उनके दोनों जरुरी हिस्सों को ढंके हुए थे| मैंने भी अंजलि के इशारे पर अपने कपडे उतार दिए| अब मैं केवल अपनी अंडर वेअर में था| अंजलि और कंचन एक दूसरे से लिपटे जा रहे थे|
अंजलि भी एकाएक नशे में आ गई| दोनों ने एक दूजे को चूमना शुरू किया|मुझे अब अपने पर काबू नहीं रहा| मैं भी पलंग पर चढ़ गया और उन दोनों के एकदम करीब बैठ गया| कंचन ने अचानक मुझे देखा और मुस्कुराई|
मैंने भी मुस्कुराकर जवाब दिया| मैंने कंचन का एक हाथ पकड़ लिया| कंचन ने मुझे नीचे झुकने के लिए कहा| मैं नीचे झुका और कंचन के गालों को चूमने लगा| कंचन ने जवाब में मेरे गालों को चूम लिया|
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