मेरा सबसे चनिष्ठ मित्र विशाल मेरे साथ एक ही कमरे में रहता था। अक्सर वह कमरे में पूर्णत निवस्त्र यानि नग्न ही रहता था। किसी बाहर वाले के आने पर बस एक हल्का गमछा लपेट लेता था। मैं कई बार उसके घर गया, उसकी बहनों के घर गया तो पता चला कि वे शरीर को ही सबसे पवित्र मानते हैं और उसके परिवार में नग्नता सामान्य है। वे सभी कोल मार्ग के पूजक है।
इसका अनुभव मुझे पिछली बार हुआ जब मैं उसकी बहन सपना दी के घर गया। हुआ यों कि विशाल ने कहा कि जीजाजी एक महिने के लिए बाहर गये हैं। ये सपना दी का कुछ पेपर है बहुत जरूरी है, में नहीं जा सकूंगा, तुम चले जाओ और सपना दी का सारा काम करा कर ही आना चाहे बीस पच्चीस दिन लगे में तुम्हारा काम और वेतन यहाँ एडजस्ट करता दूँगा।
असलदर यहां उसकी एक प्रेमिका रहती थी। मुझे अपनी बहनों के यहाँ भेजकर वह उसे बुला लेता था। इस कारण वह हमेशा मुझे ही भेजता। उसकी बहनें और सभी कोई मुझे बहुत प्यार करते थे। अपनों से भी ज्यादा और मुझे भी वहाँ बहुत मन लगता था। इसलिए मैं भी तुरंत राजी हो गया। वहाँ जाकर देखा तो सपना दी और उसकी बेटी साक्षी मेरा बेसब्री से इंतजार कर रही थी ।
सपना दी बहुत सुन्दर है। यही कोई 30-35 वर्ष की । लेकिन 24-25 वर्ष से ज्यादा की नहीं लगता है। सुंदर और सुघड़ शरीर 34 साईज के चुची और 36 के कुल्हे, रंग रूप , सौन्दर्य ऐसा कि अप्सरा भी मात खा जाए। चेहरे पर मुस्कान उसके रंग रूप को और निखार देती थी । उसकी बेटी साक्षी को देखा वह भी बड़ी हो गयी थी 16 वर्ष की रंग रूप और सुन्दरता में अपनी माँ पर गयी थी । जवानी भी खिलकर आयी थी। चेहरा गोल मटोल, गुलाबी पंखुड़ियों जैसे होठ बिल्कुल अपनी माँ जैसी ही और माँ जैसे सुन्दर गोल गोल चुची और चुतड़ों की गोलाई भी पूरे विकसित हो गये। आते ही वह मुझसे लिपट गयी जब उसके गोल गोल चुची मेरे सीने से टकराये तो मुझे उसके यौवन का अहसास हुआ लेकिन वह लिपट कर मेरे गोद में ही बैठ गयी।
मैने भी उसे प्यार से पूरी तरह अपने में समेट लिया। फिर मैने उसके लिए बॉकलेट आदि जो ले गया था वह दिया वह मेरे गोद में ही बैठे बैठे खाने लगी। चूंकि में कुर्ता पजामा ही ज्यादा पहनता हूँ और अंदर अंडरवियर जांघिया आदि नहीं पहनता हूँ तो इतनी युवा कन्या के मेरे गोद में बैठने से मेरा लंड उतेजित हो गया जो साक्षी के चुतड़ों की छेद के बीच जाकर कर सेंट हो गया। साक्षी और ज्यादा मुझसे चिपक कर अंदर तक घुसकर बैठ गयी। शायद उसे भी अच्छा लग रहा था। वह गिर नहीं जाए इसलिए मैने उसे पकड़कर और ज्यादा अपने से चिपका लिया और अनयास ही अनजाने में मेरा हाथ उसके चुचियों पर चला गया मैं हाथ हटना चाहा तो साक्षी ने मेरा हाथ अपने चुचियों पर दबा लिया । मुझे उसके मुलायम चुचियों को दबाने में बहुत अच्छा लगा ।
गाँव वाली भाभी को खेत में पेला – Desi Bhabhi ki Chudai
पूर्ण विकसित अच्छे संतरे के इतने बड़े बड़े बहुत ही मुलायम और सुन्दर चुचियां थी । मैं उसके चुचियों को दबाते हुए अपने से चिपका लिया । मेरा उत्तेजित लंड उसके निंतबों के बीच सेट हो गया था और वह मजे से चाकलेट खा रही थी । मैं उसे गोद में बिठाये सपना दी से बातें करने लगा। घर बार समाचार की बहुत सारी बातें करने के बाद सपना दी बोली – प्रिंस उठो हाथ मुंह धोकर कुछ खा पी लो। तुमने तो आकर चाय नास्ता भी नहीं किया।
मैने कहा असल में मार्केट में जब साक्षी के लिए टॉफी खरीद रहा तभी एक पहचान वाला मिल गया उसी के साथ काफी नारता कर लिया अब सीधे रात का खाना खाउंगा। फिर मैने बाथरूम में जाकर नहा कर निकला तो खाना तैयार था। हमलोग प्यार से साथ बैठकर खाये और खाने के बाद सोने की तैयारी करने लगे। सपना दी ने मुझे एक छोटा सा गमछा दिया बोली सारे कपड़े उतार कर इसे पहन लो। रात को शरीर में हवा लगना अच्छा रहता है। मैं वैसे भी नीचे अंडरवियर आदि तो नहीं पहनता हूँ। विशाल के साथ रहकर मुझे भी बिना कपड़ों के ही सोने की आदत हो गयी थी और सपना दी के साथ उतना पर्दा भी नहीं था। प्रिंयका दी ने भी सारे कपड़े खोलकर एक हल्का गमछा लपेट लिया और साक्षी ने तो अपने सारे कपड़े उतार के पूरी नंगी ही आ गयी और मेरे गोद में चढ़ कर बैठ गयी ।
मेरा उत्तेजित लंड खड़ा होकर गमछे से बाहर आ गया और साक्षी की बुर में रगड़ खाने लगा । साक्षी गिर नहीं जाए इसलिए मैंने उसके चुचियों तो दबोच कर अपने में चिपका लिया और उसके होठो को चुमते हुए प्यार करने लगा । बहुत देर तक प्यार करने के बाद मैंने उसे गोदी से उतार दिया और गेस्ट रूम में सोने के लिए जाना चाहा तो सपना दी बोली – क्यों ! हमारे साथ सोने से तुम्हे छूत की बिमारी लग जाएगी क्या ? चलो हमारे साथ ही सोओ। वैसे भी तुम्हारे जीजाजी नहीं है और रात को मुझे डर लगता है और गेस्ट रूम में एसी भी नहीं है फिर हम लोग साथ में ही सो गये । बीच में मैं था और दोनों मेरे अगल बगल थी। कमरे हल्की गुलाबी रोशनी थी।
हम लेट लेटकर बातें कर रहे थे और एकदम एक दूसरे से से सटे हुए थे , सटे हुए क्या चिपके हुए ही थे । बेड पर लेटते ही प्रियका दी का गमछा खुल गया था और वह पूर्ण रूप से नग्न हो गयी थी उसने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया और सामान्य रूप बाते करती रही उसने मेरी और करवट कर अपनी एक जाँघ मेरे उपर रख दी तो मेरा भी गमछा खुल गया था और में भी पूरा नंगा हो गया। में चित लेता हुआ था और दोनों मॉ बेटी मेरी और करवट लेकर अपनी एक एक जाँघ मेरे उपर रखे हुए थी। हम तीनों ही निवसत्र थे। साक्षी बोली – हाँ अब अच्छा लग रहा है। दोनों के जाँघ और चुचियों का भार मेरे सीने के उपर था और अपने बाहों में मुझे ले रखा था । दोनो की बुर मेरे जांघों में रगड़ खा रही थी और उन सबके बीच मेरा लंड उत्तेजित होर 90° के कोण पर खड़ा होकर झंडे की तरह लहराते हुए सलामी दे रहा था ।
मैने भी दोनों हाथों को उनकी कमर के नीचे ले जाकर उनके चुतड़ों की गोलाईयों को दबाकर और ज्यादा अपने से सटा लिया और उनके चुतड़ों की गोलाई की सहलाने लगा बहुत अच्छा लग रहा, लग रहा कि मैं स्वर्ग में पहुँच गया हूँ। साक्षी दी बोली- हमें रात को कपड़े पहन कर सोने की आदत नहीं है रात को हम लोग ऐसे सोते हैं। शरीर के लिए लाभदायक है। रात को तुम्हारे जीजाजी मेरी बुर का रस पीते हैं
उसके बिना मुझे नींद नहीं आती है। मैने पूछा और साक्षी ? सपना दी बोली हाँ वो भी रहती है , तुम्हारे जीजाजी उसकी भी बुर का रस पीते हैं । साक्षी की बुर का रस पिये बगैर उन्हें खाना हजम ही नहीं होता है और मुझसे चुदाई किये बगैर उन्हें नींद ही नहीं आती है । मुझे आश्चर्य हुआ। बोली- इसमें दिक्कत क्या है, सब तो हम ही लोग रहते हैं कोई बाहर का थोड़े ही ना रहता है। असलदर प्रत्येक पुरुष को बुर रस और प्रत्येक लड़की को लंड रस जरूर पीना चाहिए। शरीर से निकले रस से बढ़कर अच्छी चीज शरीर के लिए और कुछ नहीं है। इससे लड़कियों में सुंदरता बरकरार रहती है मैं और साक्षी तो चेहरे और शरीर पर भी स्पर्म के सिवा और कुछ नहीं लगाती हूँ ।
जब भगवान ने हमें इतनी अच्छी चीजे दी है तो केमिकल आदि लगाकर चहरे और शरीर को क्यों खराब करना। मैं और साक्षी तो रोज तुम्हारे जीजाजी का लंड चूसकर उनके लंड का रस पीती भी हूँ । यही कारण है कि हम इतने स्वस्थ्य और जवान हैं। नहीं हो हमारी उम्र की और लड़कियों को देख लो । सबके चहरे पर तो झुर्रियां पड़ने लगी है और चुची तो लटक गये है। मैने सपना दी के चुचियों को दबाकर देखा सचमुच किसी किशोरी लड़की की तरह टाईट थे। सपना दी ने कहा मुझे देख कर किसी को विश्वास नहीं होता कि मेरी साक्षी जैसी एक जवान बेटी भी है कहकर उसने साक्षी के बालों में प्यार से हाथ फेरा। मैने कहा- वाह दी।
इतना तो मुझे मालूम नहीं था अब जब तक मैं यहाँ हूँ आपकी बुर का रस रोज पियूंगा। तब साक्षी तुनक कर बोली और मेरा ? मैने कहा तुम्हारी भी बुर का रस रोज पियुंगा । लेकिन तुम्हारा रस निकलता है क्या ? कहकर मैने उसकी बुर में एक अंगुली घुसा दी। उसकी बुर गीली थी। मैने अँगुली निकाल कर चाटा। बहुत स्वादिष्ट था। प्रियका दी ने बताया कि इस उम्र में लड़कियों का बुर रस ताजा रहता है और बहुत स्वादिष्ट होता है। तुम पीकर देखो। मैं उठकर साक्षी के पैरों के पास गया और उसके पैरों को मोड़कर दोनों पैरों को फैलाकर उसकी बुर में मुंह लगा दिया।
साक्षी के मुँह से आह …आह…. करते हुए सिसकारी भरने लगी । मैंने कसकर अपना मुँह साक्षी के बुर में दबाया और जीभ को उसके बुर के क्लाइटोरिस पर चलाने लगा। क्लाइटोरिस लड़कियों के बुर का जी स्पॉट होता है। साक्षी कुलबुलाने लगी, अपने चुतड़ों को बिस्तर पर उछालने लगी। मैने अपनी पूरी जीभ उसकी बुर में डाल दिया और अंदर तक चाटने चूसने लगा। लगे हाथों से उसके चुचियों को भी दबा और सहला रहा था। साक्षी को बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था। उसने मेरे सर को अपनी बुर में दबा लिया और अपनी जाँघों को सटाकर कसकर दबा लिया।
मेरा दम घुटने लगा, मैने उसके जांघों को अलग किया और तेजी से बुर के अंदर जीभ चलाने लगा। साक्षी जोर से आह… उह…. उई माँ… चीखने लगी। कुछ ही देर में साक्षी की बुर से रस का फुहारा छुट पड़ा और साक्षी जोर से चीख मारकर शांत हो गयी। मेरा मुंह बुर रस से लबालब भर गया। मैने पूरा का पूरा रस पी लिया। एक बूँद भी बाहर नहीं जाने दिया। सचमुच बहुत स्वादिष्ट रस था साक्षी की बुर का। फिर भी मैं उसकी बुर को चाटता रहा। साक्षी कई बार स्खलित हुई और मैने सारा का सारा बुर रस पी लिया।
फिर मैं साक्षी के दोनो चुचियों को बारी बारी चुसने लगा। साक्षी के चुची कड़क और कठोर थे ऐसा लग रहा कि सोने के सुन्दर बेल को किसी ने सीने में फिट कर दिया और उसमें उसके गुलाबी निप्पल उसकी सुन्दरता को और बढ़ा रहे थे। साक्षी के दोनों चुचियों को, चूसने में बहुत मजा आ रहा था। एक चुची को दबाता मसलता तो दूसरे को चूसता। साक्षी आह…. आह…. करती रही। बहुत देर चूसने दबाने और मसलने के बाद मैने साक्षी के मुँह को अपने मुँह में ले लिया और उसके गुलाबी ओठों को, उसके मुंह के अंदर जीभ घुसाकर देर तक चुसता रहा।
सचमुच बहुत मजा आया। तभी सपना दी बोल उठी- अरे तुम दोनो मामा भगिनी तो भूल गये कि मैं भी यहाँ हूँ। मैने कहा ओह सॉरी दी। मैं तो खो गया था। सपना दी बोली- मैने कहा था न् , कि इस उमर में लड़कियों की बुर का रस बहुत स्वादिष्ट होता है। बोलो कैसा लगा ? मैने कहा- जी दी, बहुत !! बहुत स्वादिष्ट। मैने इतना स्वादिष्ट रस पुरी जिंदगी में नहीं पी थी।
सपना दी बोली लो अब मेरा पी के देखो, बताना कैसा लगता है? सुनों 69 वाले पोजिशन में आ जाओ तो मैं भी तुम्हारा पी लूंगी। मैंने आज्ञाकारी बालक की तरह सर झुका कर कहा- जी, प्रिंयका दी और फिर सपना दी के बुर की ओर मुँह कर सपना दी के उपर लेट गया। अब सपना दी की बुर में मेरा मुँह था और प्रिंयका दी के मुंह में मेरा लंड। सपना दी ने अपने दोनों पैरों को मोड़ लिया और मेरा सिर दोनों जाँघों के बीच दबा लिया। मैने दोनों जाँघों को अलग किया और सपना दी के बुर के अंदर अपनी जीभ डाल दी।
सुहाना और उसकी नंद को एक साथ बैड पर चोदा – Muslim Sex Story
सपना दी ने मेरा पूरा का पूरा लंड अपने मुंह में गड़प लिया और मैं भी अपनी जीभ सपना दी की बुर में चलाने लगा। जैसे ही मैने सपना दी के पोनि के क्लाइटोरिस पर अपना मुंह लगाया प्रियका दी चिंहुंक पड़ी और अपने दोनों जाँघों को सटा लिया मैनें दोनों जांघों को अलग किया और क्लाइटोरिस में मुंह लगा दिया। मैं देर तक सपना दी बुर और बुर के क्लाइटोरिस को जीभ से चूसते चाटते रहा। सपना की अपनी चुतड़ों की गोलाई को उछाल उछाल कर मेरे जीभ को अपनी बुर के एकदम अंदर तक ले रही थी।
इधर मेरी स्पीड बढ़ती तो उधर सपना दी मेरे लंड के और ज्यादा स्पीड से अपने मुंह के काफी अंदर तक घुसा कर तेजी ले चुसने लगती ऐसा लगता था कि मेरे लंड को पूरा खा जाएगी। मैं भी कभी बुर के क्लाइटोरिस पर जीभ चलाता तो कभी भी को बुर के काफी अंदर तक घुसा कर पूरी तरह घुसाकर बुर के आंतरिक भाग के दिवारों तक को चाटने लगता। मैने सपना दी के दोनों चुतड़ों की गोलाई को बाहों में समेट कर दबा रखा था। जिससे सपना दी की बुर पूरी तरह खुल गयी थी और मैने अपना पूरा का जीभ सपना दी के बुर के अंदर डाल दी थी। सपना दी बेहाल हो गयी थी। करीब चालीस मिनट तक हमने एक दूसरे का लंड और बुर चूसते चाटते रहे, अब प्रिंयका दी की भी बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था और मुझे भी।
हम दोनो ही एक साथ एक दूसरे के मुंह में झड़ गये। मैं सपना दी का बुर का पूरा रस पी गया और उधर सपना दी भी ने मेरे लंड का पूरा का पूरा रस गटक लिया और चाट चाट कर लंड को साफ कर दिया। स्वर्गानंद की अनुभूति से में लबालब हो गया। अब में सीधा होकर सपना दी पर लेट गया और सपना दी के चुचियों को दबाते हुए सपना दी के मुंह में अपना मुंह ढाल दिया बहुत देर तक हम एक दूसरे को उपर से नीचे तक चूमते चूसते रहे और में काफी देर तक सपना दी के चुचियों को दबाते, सहलाते और चूसते रहा। तक तक मेरा लंड उतेजित होकर रड की तरह टाईट ही गया था और मुझे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था मैने अपने मूसल जैसे लंड को सीधे सपना दी की बुर में घुसेड़ दिया सपना दी आह…. आह ….करने लगी और मैं सपना दी की बुर में धक्के पर धक्के लगाता रहा। बहुत देर बाद मैं और सपना दी एक साथ झड़े तब जाकर मैं और सपना दी शांत हो गये।
फिर मैने सपना दी से कहा हाँ दी, आपकी बुर का रस तो लजबाब है। सपना दी बोली- क्यों ? है न् ? मैने सहमति से सर हिलाया। सपना दी बोली चलो मुझे भी खिलाओ। तो मैने सपना दी की बुर में अंगुली डालकर निकाला और अंगुली सपना दी के मुंह में डाल दी और फिर सपना दी के मुंह में अपना मुंह लगाकर चूसने लगा। और एक साथ से बदल में सोई साक्षी का चुची भी दबाने लगा। बहुत देर तक एक दूसरे के पूरे शरीर को जीभ से चाटते चूसते सहलाते हुए हम तीनों एक दूसरे से चिपक कर सो गये। सुबह देर से मेरी नींद खुली तो देखा खाना आदि बन गया है और सपना दी और साक्षी नहा रही ही है मैनें भी उनको ज्वाइन कर लिया और तीनो साथ में नहाने लगे।
एक दूसरे को साबुन लगाकर सहलाने और मलने में बहुत मजा आ रहा था मैने भी सपना दी और साक्षी के चुचियों को खुब मसलता और बुर के अंदर तक अंगुली को अंदर बाहर कर दोनो की बुर को साफ किया। उसके बाद हम नहा कर बिना कपड़े पहने नग्न ही पूजा घर में आ गये। सपना दी ने अंदर अलमारी से पूजा सामग्री निकाली। एक माँ काली की फ्रेमींग फोटो थी और एक स्त्री पुरुष संभोगरत धातु की मूर्ति और मंत्रों की कुछ किताबें और मद्य (मधु) की एक बड़ी शीशी। उसके बाद किचन से एक बड़ी थाली में बनी हुई मांस, मछली।
मैं चुपचाप देखता रहा। सपना दी ने फोटो और मुर्ति को स्थापित की और उसपर पानी छिड़क कर सिंदूर का टीका लगाया उसके बाद, चावल, चंदन, और सिंदूर से पार्थ पर एक त्रि-कोण सी बड़ी आकृति बनाई और उसके अंदर मुझे गोद में साक्षी के लेकर लेकर चुदाई की मुद्रा में बैठने को कहा। मैं साक्षी को गोद में लेकर चुदाई की मुद्रा में बैठ गया। हम सभी तो नग्न थे ही। साक्षी का मुंह और चुची मेरी और था। हमने साक्षी ओठ अपने ओठ से चिपका लिया और चूसने लगा। मेरा लंड उतेजित अवस्था में था और साक्षी के नंगी बुर में रगड़ खाकर मुझे और भी उतेजित कर रहा था। फिर सपना दी पहले माँ काली की विधिवत पूजा की और काली मंत्र का जाप किया और मुझे काली मां के सामने, सौगंध खिलाकर इस परिवार और पूजा की सारी बातों को गुप्त रखने की शपथ दिलाई। फिर बताया कि अगर भूल से भी इसकी चर्चा कहीं की तो तुम्हें बहुत गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेगें। उसके बाद सपना दी ने उस चुदाईरत मूर्ति की पूजा की।
उसके मंत्र की किताब में संभोगरत स्त्री-पुरूष के हर आसन में बहुत सारे रंगीन फोटो थे और उसी से मंत्रों का जाप करते हुए मेरे लंड और साक्षी की बुर की पूजा की। फूल आदि चढ़ाया उसके बाद साक्षी और मुझे खड़ा किया और मंत्र पढ़ते हुए एक कटोरा साक्षी के गर्दन में मद्य मिश्रीत जल डाला जो साक्षी के दोनों चुचियों से बहते हुए साक्षी के बुर तक पहुंचा। सपना दी बोली ली महाप्रसाद ग्रहण करो और इस जल को सपना दी ने मुझे साक्षी की बुर से चाट चाट कर पी लेने को कहा मैने ऐसा ही किया। करीब एक कटोरा जल और डाला और जिसे मैने और सपना दी ने साक्षी की बुर से चाट चाट कर पी लिया। तीसरे कटोरे की जल को साक्षी के गर्दन में डाला और उस जल को एक पात्र में इकट्ठा कर लिया। फिर सपना दी ने मेरे लंड पर मद्य के शीशी से मद्य डालते गयी और साक्षी मेरे लंड को चूसते हुए सारा मद्य पान करने लगी और सपना दी मद्य डालते गयी और साक्षी मेरा लंड चूसते गयी जब तक कि मेरे लंड से वीर्य का फुहार नहीं छूट गया। साक्षी सारा रस पी गयी। फिर थोड़ी देर रूकवार साक्षी मेरे लंड पर मद्य डालने लगी और सपना दी मेरे लंड को चाटते हुए चूसने लगी।
उसके बाद एक सुन्दर बिस्तर पर सपना दी ने साक्षी को लिटा दिया और उसके पैरों को मोड कर उसकी बुर को खोल दिया फिर सपना दी साक्षी की बुर में मद्य डालते हुए मुझे चाटने को कही मैने साक्षी की बुर चाट चाट कर प्रसाद ग्रहण किया। फिर साक्षी के बुर से रिसे पात्र के जल की हम तीनों ने थोड़ा थोड़ा ग्रहण किया। उसके बाद सपना दी लेट गयी और साक्षी उसकी बुर में मद्य डालने लगी जिसे मैने सपना दी की बुर चाट कर चूस कर ग्रहण कर लिया अब सपना दी बोली मुझे मेरे उत्तेजित लंड को अपनी बुर में डालकर चुदाई करने को कहा। मेने अपना लंड सपना दी की बुर में डाल दिया और चुदाई करने लगा। साक्षी मंत्र पढ़ने लगी। फिर सपना दी ने मेरे साथ कई आसनों में चुदाई किया और हम दोनों के चुदाई से सपना दी की बुर में स्खलित हुए वीर्य और रज के मिश्रण को साक्षी ने एक पात्र में इकट्ठा किया और पी गयी। थोड़ी देर बाद मैने और सपना दी पुनः चुदाई किया और इस बार चुदाई से सपना दी की बुर में स्खलित वीर्य और रज के मिश्रण को एक पात्र में इकट्ठा कर ली। फिर उसको मैनें और सपना दी ने थोड़ा ग्रहण किया। उसके बाद सपना दी ने मांस, मछली, चावल और अन्य सुस्वादु व्यंजनों को परोसा और मेरे और सपना दी के चुदाई से पात्र में जमा किये वीर्य और राज के मिश्रण को उस खाने में मिला दिया। उसके बाद हम सबों ने नग्न ही जमीन पर बैठकर भोजन किया। यह मेरे लिए अनोखा अनुभव था। मैं बहुत रोमांचित था।
सपना ने बताया कि यह कौल मार्ग यानी वाममार्ग की पंचमकार पूजा साधना विधि है। इसमें मांस, मछली, मद्य, मुद्रा और मैथुन जरूरी तत्व हैं। इसमें स्त्री की बुर को उर्जा का उदगम केन्द्र, उर्जा का स्तोत्र और उर्जा का भंडार माना जाता है। स्त्री की बुर ही सबकुछ है। बुर का पान कर, चुदाई द्वारा पुरूष इससे उर्जा और शक्ति प्राप्त करता है। इसलिए इसमें बुर, लंड, वीर्य, रज और चुदाई को प्रमुखता दी गयी है। वीर्य, रज के पान का भी विशेष महत्व है। वीर्य और रज दोनों का का मिलन तो महाप्रसाद है। इसका पान तो जरूर करना चाहिए। इसमें रिस्तों का कोई महत्व नहीं है सभी स्त्री पुरुष भैरव भैरवी हैं। सभी रिस्ते मानव निर्मित और सांसारिक रिस्ते हैं। इनका तंत्र में कोई अर्थ नहीं है। माँ. बाप, बेटा, बेटी, भाई, बहन, बुआ, चाची कोई भी ही सभी को सभी के साथ खुल कर संभोग करना चाहिए और सबकी योनि का आलम्बन करना चाहिए। सबकी योनि पूजित है सबकी योनि का आदर करना चाहिए। इसमें माना जाता है कि हमारा शरीर ही सबसे महत्वपूर्ण होता है, इसलिए इसमें बुर का प्रमुख स्थान है और उसी की पूजा की जाती है। इसे भैरवी चक्र पूजा साधना कहते हैं। इस साधना का फल और लाभ बहुत जल्दी प्रतिफलित होता है और इसको करने वाला निरतर उत्तति की और तेजी से बढ़ता जाता है। साथ ही मन को असीम शांति और प्रेम मिलता है। घर में भी सभी पुरूषों को घर की सभी स्त्रियो से और सभी स्त्रियों को घर के सभी पुरूषों से संभोग करना चाहिए । इसमें घर में भी सभी को सभी का प्यार मिलता है। इसलिए घर में भी आपस में बहुत प्यार और शांति रहती है।
उसके बाद किसी ने कपड़े पहने की जरूरत नहीं समझी हम उसी तरह निवस्त्र ही ड्रॉईंग रूम में आ गये। मैने पूजा के विधि के बारे पूछा तो, सपना दी ने बताया कि कुछ साल पहले साक्षी बहुत जोर की बीमार पड़ी थी बहुत दिखाया कोई फायदा नहीं हुआ। सारे डॉक्टर जबाब दे चुके थे। हमारी एक ही संतान थी हम निराश हो चुके थे। हम दिन रात बस रोते रहते थे।
साक्षी के लेकर हर जगह माथा टेकते टेकते एक दिन अचानक एक भैरवी से हमारी मुलाकात हुई। जब उसने हमारा दुख जाना तो साक्षी के सिर पर हाथ फेर कर मुझे और तुम्हारे जीजाजी को धैर्य रखने को कहा। फिर एक दिन हमारे घर आयी और यह मूर्ति दी और सारी पूजा सामग्री लाने को कहा। तुम्हारे जीजाजी जल्द ही सब सामान ले आए । बोली- कठीन साधना है। सबको नग्न होकर पूजा करना होगा। साथ ही अगम्यागमन भी करना पड़ेगा। हमने पूछा- ये अगम्यागमन क्या करना पड़ेगा? तो बोली- निषिद्ध संभोग यानी एक ही रक्त संबंधों में संभोग यानी जैसे भाई बहन ? हमने पूछा- क्या इसके बिना नहीं हो सकता ? उसने कठोरता से कहा – नहीं। फिर उठकर जाने लगी। साक्षी की सबसे प्यारी बुआ मौसमी वहीं बैठी हुई थी उसने भैरवी के पांव पकड़ लिये। बोली मैं तैयार हूँ अपने भाई के साथ संभोग करने के लिए, बस हमारी साक्षी किसी तरह ठीक हो जानी चाहिए। भैरवी रूक गयी और सबको कपड़े उतारकर पूर्ण नग्न होने का आदेश दिया। हम सभी निवस्त्र हो गये तब भैरवी ने मौसमी को अपने भाई का लिंग पान (चूसने) करने का आदेश दिया। तुम्हारे जीजाजी की संकोच हो रहा था लेकिन मौसमी ने तुरंत अपने भाई का लिंग अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी। उसके बाद भैरवी ने तुम्हारे जीजाजी को मौसमी और साक्षी की योनि का पान करने को कहा। जीजाजी ने पहले अपनी बहन मौसमी का योनि पान किया उसके बाद साक्षी का। फिर भैरवी ने सबको निवस्त्र रहकर ही सारा प्रसाद और पूजन सामग्री तैयार करने को कहा। फिर भैरवी के आदेशनुसार हमने एक साथ निवस्त्र ही स्नान किया। तब तक भैरवी खुद भी पूर्णत निवस्त्र हो चुकी थी।
फिर उसने इसी तरह तंत्र चक्र बनाकर उसमें तुम्हारे जीजाजी को साक्षी को गोद लेकर बैठने को कहा। अब हमारा आपस का संकोच खत्म हो गया था। फिर भैरवी ने हमें काली मां के सामने गोपनीयता की सौगंध दिलाई। उसके बाद पहले काली मां की पूजा की उसके बाद, इस मूर्ति की और साक्षी और मौसमी की योनि की। फिर इसी तरह हम सभी ने एक दूसरे दूसरे की योनि और लिंग से प्रसाद ग्रहण किया और उसके बाद भैरवी ने मौसमी और तुम्हारे जीजाजी को संभोग करने को कहा। भैरवी ने उन्हें आज्ञा दी कि सारे लज्जा और संकोच त्याग कर उन्मुक्त भाव से संभोग करो। चूंकि मौसमी कुंवारी थी। तो तुम्हारे जीजाजी ने ही अपनी बहन का सील तोड़ा। वहीं पर हम सबके सामने तुम्हारे जीजाजी ने अपनी बहन मौसमी के साथ कई बार चुदाई किया और भैरवी ने मुझे हर बार उनके चुदाई से स्खलित हुए रज और वीर्य को मौसमी की योनि से इकट्ठा करने को कहा। फिर उस पात्र से रज और वीर्य के मिश्रण को मुझे साक्षी को पिलाने को कहा। मैने वैसा ही किया। फिर पात्र में बचे हुए द्रव को हमने भोजन में मिलाकर खाने का निर्देश दिया। फिर कहा जब तक साक्षी पूरी तरह ठीक नहीं हो जाती तक तक इसी तरह पूजा करना है और साक्षी की संभोग द्रव पिलाना है। लेकिन ध्यान रहे रक्त संबंधों में हुए संभोग का संभोग द्रव ही पिलाना है। दूसरे के बीच हुए संभोग से नहीं। जब यह पूरी तरह ठीक हो जाएगी तो एक पूजा और करानी होगी, यह किसी के बीच हुए संभोग के संभोग द्रव का पान कर सकती है।
भैरवी ने बताया कि सभी सांसारिक रिस्ते निरर्थक हैं। भैरवी चक्र में भाई, बहन, पति पत्नी आदि सभी केवल भैरव भैरवी है सभी आपस में संभोग कर सकते हैं। संभोग जीवन का परम सत्य है। कुवांरी लड़की से चुदाई सबसे ज्यादा फलदायक है। उसमें सबसे ज्यादा उर्जा होती है। जीवन आधार ही लिंग और योनि है। इसके संभोग और उर्जा से ही जीवन का निर्माण होता है। इसके अलावे भैरवी ने हमें तंत्र की बहुत सारी बातें जिसमें रक्त संबंधों में संभोग की अनिवार्यता और महत्ता बताई। अब हमारे मन का भ्रम पूरी तरह दूर हो गया था।
शाम को साक्षी ने बताया कि कुछ अच्छा महसूस कर रही है। मौसमी यहीं रूक गयी। अब रोज पूजा करने के बाद तुम्हारे जीजाजी अपनी बहन मौसमी के साथ रोज चुदाई करते और चुदाई द्रव साक्षी को पिलाते। दिन रात मिलाकर कम से कम पाँच छः चार तुम्हारे जीजाजी अपनी बहन मौसमी के साथ चुदाई करते और चुदाई रस साक्षी को पिलाते । घर में हम सभी अधिकतर नग्न ही रहते। तुम्हारे जीजाजी तो अपनी बहन को छोड़ते ही नहीं थे। उन दोनों भाई बहन का दिन रात एक ही काम था, अधिक से अधिक चुदाई करना। वैसे भी तुम्हारे जीजाजी हमेशा मौसमी को गोद में बिठाकर उसके चुचियों को दबाते मसलते रहते थे और बुर में अंगुली आदि करते रहते थे।
साक्षी के बीमारी में बहुत तेजी से बहुत ज्यादा सुधार हो रहा था। हमलोग यह देखकर बहुत खुश थे। मात्र 21 दिन में साक्षी एकदम स्वस्थ हो गयी। लेकिन हमने इसे जारी रखा। तब से हम सभी घर में अधिकतर नग्न ही रहते हैं ताकि आपसे में एक दूसरे से कोई लज्जा या संकोच ना रहे।
हमने ईश्वर और भैरवी को बहुत बहुत धन्यवाद दिया कि उसने हमारी साक्षी को ठीक कर दिया।
फिर मेरे घर में अन्य सभी भाई बहनों और हमारे पति की बहनों ने भी इसी पूजा को अपना लिया और सब इसी पूजा को करते हैं। यानी सभी सभी के साथ चुदाई करते हैं। इसलिए हममें आपस में कोई पर्दा या संकोच नहीं है। इसलिए हम सबों के बीच आपस में बहुत प्यार है। सब एक दूसरे पर जान देने को तैयार रहते हैं। हाँ लेकिन कभी भी घर से बाहर इन बातों की चर्चा भूल कर भी नहीं करते हैं। तुमने तो गर्मी की छुट्टी में देखा ही होगा कि किसी को किसी से कोई परदा नहीं है और हम सभी आपस में कितना खुल कर जीते हैं और आपस में कितना प्यार करते हैं।
मैने विशाल के बारे में बताया कि वह भी अधिकतर नग्न ही रहता है । आपने विशाल के साथ चुदाई किया या नहीं ? सपना दी मुस्कुरा कर रह गयी। स्वीकृति में सर हिलाया, बोली कुछ नहीं, फिर बोली अरे वो तो अपनी बहन लोग को एकदम भुल गया है बस अपनी गर्लफ्रेंड सोनिया के पीछे पड़ा रहता है। तुम ही जो हो कि हम बहनों का इतना ख्याल रखते हो । तुम्हारे जीजाजी भी अपनी बहनों को जान से ज्यादा मानते हैं । मौसमी की तो शादी हो गयी है लेकिन काजल की नहीं हुई है। दोनों हमेशा आते रहती है आती है तो तुमसे मिलवा दूंगी। वो दोनों भी आती है तो वो भी मेरे यहाँ बिना कपड़ों के ही रहती है। हम सब साथ ही सोते हैं और तुम्हारे जीजाजी मेरे साथ मौसमी और काजल के साथ भी खुब चुदाई करते है। बहुत मजा आता है। कभी तुम भी रहना। वैसे भी बहनों का हक पत्नी से ज्यादा रहता है जैसे तुम पर मेरा हक है। कहती हुई सपना दी मेरी गोद में आवकर बैठ गयी मैं उसके चुचियों को दबाने और सहलाने लगा और साथ में सपना दी की बुर में अंगुली घुसाकर अंदर बाहर करने लगा। बुर के सहलाते हुए मैने सपना दी की इतनी चिकनी और मखमली बुर के बारे में पूछा तो उसने बताया जब हम बहनों ने जन्म लिया था तभी मम्मी ने बैगन को पानी में उबालकर उस पानी से सिर को छोड़कर बाकी शरीर को हमें कई बार नहलाया था। उसके बाद हमारे शरीर में सिर छोडकर कहीं बाल नहीं उगे और और हमारा शरीर और बुर इतनी सुन्दर और चिकनी हो गयी। मैंने पूछा- सभी बहनों की बुर तो इसी तरह होगी ? सपना दी बोली – हाँ , हम सभी बहनों सभी बहनों और लड़कियों की बुर इसी तरह मुलायम चिकनी और मखमली है। मैं बोला – हां दी, इसलिए तो चुसने चाटने में बहुत मजा आता है।
कुछ देर बाद साक्षी चाकलेट लेकर आयी तो मैने साक्षी की बुर में चाकलेट डाल दिया और उसकी बुर में मुंह लगाकर चाकलेट खाने लगा। कुछ चाकलेट साक्षी के चुचियों पर भी मल दिया चुचियों को भी खूब चुसा। मैने सपना दी से साक्षी से चुदाई के बारे में पूछा तो बोली – अभी यह छोटी है अगले बार आओगे तो कर लेना। चाकलेट खाने के बाद साक्षी आईसक्रीम लेकर आयी तो मैने उसे सपना दी की बुर में डालकर खाया। ठंडी ठंडी आईसक्रीम में दोनों को बहुत मजा आया। फिर मैने सपना दी को अपनी गोद में बैठाकर उसके चुचियों को दबाने और सहलाने लगा और बुर के क्लाइटोरिस को सहलाने लगा ती सपना दी जोश में आ गयी और वहीं ड्रॉइंग रूम के सोफे पर बैठे बैठे ही हम चुदाई करने लगे। सोफा पर चुदाई करने का अलग ही आंनद है। फिर हम दोनों के चुदाई से स्खलित हुए चुदाई द्रव को हमने एक कटोरी में जमा किया और हम सभी थोड़ा थोड़ा पी गये। उसके बाद सपना दी कुछ काम करने चली गयी और मैं साक्षी को गोद में बैठाकर उसके चुचियों और पूरे शरीर को सहलाने घुमने और चाटने लगा।
दोपहर को खाने के बाद सपना दी ने 84 इंच की टीवी में HD ब्लू फिल्म लगा दी। ब्लू फिल्म चलने लगा और तीनों वहीं बिस्तर पर एक दूसरे सहलाने और चुमने चाटने लगे। साक्षी भी काफी उतेजित हो गयी। मैने सपना दी से साक्षी से चुदाई करने लिए करने के लिए रिक्वेस्ट की। तो साक्षी ने जिद की – हाँ मम्मी कर लेने दो ना। सपना दी साक्षी के सर पर हाथ फेरकर बोली- अच्छा तो कर ले।
सपना ने पहले मद्यु की एक शीशी दे आयी और साक्षी के बुर को फैलाकर उसमें बहुत सारा मधु डाल दिया और मुझे चाटने को कहा। मैं चाटने लगा। साक्षी जोश से बिलबिला उठी। फिर सपना दी ने मेरे लंड को चुसकर गीला किया और चिकनाई मेरे लंड और साक्षी की बुर में डाल दिया फिर धीरे धीरे मुझे अपना लंड साक्षी की बुर में प्रवेश कराने को कहा और सपना दी साक्षी के चुचियों सहलाने और चूसने लगी। साक्षी को दर्द हो रहा था वह दर्द से चिल्लाने लगी तो सपना दी में अपना मुंह साक्षी के मुंह में डालकर चूसने लगी और हाथों से उसके चुचियों को सहलाने लगी। साक्षी लगातार मुझे अपने से दूर हटा रही थी और मैं लगातार अपने लंड को साक्षी की बुर में प्रवेश कराने की कोशिश कर रहा था। आधा लंड घुसने के बाद साक्षी चिल्ला उठी और जोर लगाकर मुझे अपने से दूर धकेल दिया। लेकिन फिर में साक्षी को सहलाने घुमने लगा तब जाकर साक्षी शांत हुई। इसके बाद साक्षी की बुर में और ज्यादा चिकनाई डालकर फिर से साक्षी की बुर में लंड डालने का प्रयास करने लगा। अब साक्षी उतना नहीं चीख चिल्ला रही थी लेकिन रह रहकर दर्द से चेहरे को भींच रही थी।
अबकी बार मैने एक जोरदार धक्का दिया और मेरा पूरा लंड साक्षी के बुर के अंदर चला गया। साक्षी जोर से चीख उठी। सपना दी ने अपने मुंह से साक्षी का मुंह दबा दिया और लगातार चक्का लगाता रहा कुछ देर बाद साक्षी शांत हो गयी और मजा लेने लगी और जोर जोर से अपने चुतड़ों को उछालने लगी। बीस मिनट तक लगातार चुदाई करने के बाद साक्षी झड़ गयी और शांत हो गयी। मेरा लंड भी स्खलित हो ढीला हो गया था। मैने अपना लंड साक्षी की बुर से बाहर निकाला तो उसमे खून लगा हुआ था यानी साक्षी की झिल्ली फट गयी थी। साक्षी खून देखकर घबड़ा गयी तब मैने और सपना दी ने उसे समझाया कि कोई बात नहीं पहली बार में ऐसा होता है। अब तुमको दर्द भी नहीं होगा ना खून लिकलेगा। बस केवल मजा आएगा। तुमको भी कितना दिन से मन था। अब जब तक प्रिंस मामा है तुम दोनों जमकर चुदाई करना। उसके बाद सपना दी ने हम दोनों को गले लगाया और चुम लिया। मैने भी साक्षी और सपना दी की बुर को चुमकर थैंक्यू कहा तो दोनों हँस पड़ी। फिर मैने सपना दी को चुमने सहलाने लगा और सकी बुर में अंगुली करते हुए इसके बुर के क्लाइटोरिस को सहलाने लगा तो सपना दी को भी जोश आने लगा और मेरा लंड भी उतेजित होने लगा। एक घंटे तक चुमते सहलाते यानी फोर प्ले करने के बाद हम पूरे जोश में आ गये और सपना दी और मैंने जम कर चुदाई किया । साक्षी हमें चुदाई करते हुए देखती रही ।
फिर खाना खाने के बाद हमने थोड़ी देर आराम किया और आराम करने के बाद मैंने और सपना दी फिर मैदान में आ गये और हमने दो राउंड और चुदाई किया। शाम को मैने साक्षी और सपना दी को एक जोरदार पार्टी दी और दोनों को एक एक मँहगी मंहगी ड्रेस भी खरीद दी। दोनो बहुत खुश हो गई। खैर साक्षी ने तो दो दिन चुदाई नहीं किया बस उसे चुमा चाटा और सहलाया लेकिन सपना दी और मैने जम कर चुदाई किया। दो दिन बाद साक्षी भी नॉर्मल हो गयी तो हम तीनों एक ही साथ चुदाई करने लगे। साक्षी भी अब बहुत खुश रहती है।