कुछ दिनों से मैं बहुत ही ज्यादा बीमार था इसलिए मैं कहीं जा भी नहीं पा रहा था। मेरी बीमारी की वजह से मेरे पापा मम्मी भी बहुत ज्यादा परेशान थे वह लोग मुझे कहने लगे कि मोहन बेटा तुम बहुत ज्यादा बीमार हो तुम किसी अच्छे हॉस्पिटल में जाकर अपना इलाज क्यो नहीं करवाते। मैंने पापा से कहा कि हां पापा मैं चला जाऊंगा लेकिन मैं कहीं भी जा नही पाया था।
पापा ने मुझसे पूछा कि बेटा तुम कहीं जाते क्यों नहीं हो तो मैंने पापा से कहा कि हां पापा मैं चला जाऊंगा। मुझे नहीं मालूम था कि जब मैं हॉस्पिटल में जाऊंगा तो कुछ दिन तक मुझे हॉस्पिटल में ही एडमिट होना पड़ेगा। डॉक्टर ने मुझे बताया कि मेरे पेट में दिक्कत है जिसकी वजह से मुझे कुछ दिनों तक हॉस्पिटल में ही रहना पड़ेगा।
मैं कुछ दिनों तक हॉस्पिटल में हीं रहा उसके बाद मैं घर लौट आया था जब मैं घर आया तो मेरे परिवार वाले ही मेरी देखभाल कर रहे थे। कुछ दिनों तक मैं घर पर रहा और फिर धीरे धीरे मैं ठीक होने लगा था अब मेरी तबीयत में काफी ज्यादा सुधार आ चुका था।
मैं इस बात से काफी खुश था कि मेरी तबीयत पहले से ज्यादा ठीक हो चुकी है लेकिन मुझे अपने ऑफिस से रिजाइन देना पड़ा। मैंने अपने ऑफिस से रिजाइन दे दिया था अपने ऑफिस से रिजाइन देने के बाद मैंने दूसरी जॉब की तलाश शुरू कर दो लेकिन मुझे कहीं भी जॉब नहीं मिल पाई थी।
काफी समय हो गया था मुझे कहीं नौकरी भी नहीं मिल पा रही थी मैंने सोचा कि क्यों ना मैं अपने मामा जी से इस बारे में बात करूं और मैंने जब अपने मामा जी से इस बारे में बात की तो उन्होंने मुझे कहा कि बेटा तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया।
मामा जी ने मेरी जॉब के लिए अपने ऑफिस में ही बात कर ली और फिर उनके ऑफिस में मेरी जॉब लग गई थी। उनके ऑफिस में जब मेरी जॉब लग गई तो मुझे काफी अच्छा लग रहा था कि अब मैं जॉब करने लगा हूं। उसी कंपनी में एक लड़की जॉब करती है वह काफी समय से वहां पर जॉब कर रही थी उसका नाम आयशा है।
आयशा से शुरुआत में तो मैं इतनी बातें नहीं करता था लेकिन अब धीरे धीरे हम दोनों एक दूसरे से बातें करने लगे थे। मुझे आयशा से बातें कर के अच्छा लगता और आयशा को भी मुझसे बात करना अच्छा लगने लगा था।
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मैं आयशा को मन ही मन चाहने लगा था लेकिन अभी भी मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं आयशा को अपने दिल की बात कहूं या नहीं। मुझे लग रहा था कि अगर मैंने आयशा को अपने दिल की बात कही तो कहीं उसे कुछ गलत ना लगे इसलिए मैंने उससे अपने दिल की बात नहीं कही थी।
मैं चाहता था कि जल्द से जल्द मैं आयशा से अपने दिल की बात कह दूँ और एक दिन वह मौका मुझे मिल ही गया जब मैंने आयशा को अपने दिल की बात कह दी। मैंने उस दिन पहली बार आयशा से इतनी बातें की थी हम दोनों साथ में ही बैठे हुए थे।
जब मैंने आयशा से कहा कि मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं तो थोड़ी देर तक आयशा ने मेरी तरफ देखा जब आयशा मेरी तरफ देख रही थी तो मैंने आयशा से कहा कि मुझे तुम्हारा साथ बहुत ही अच्छा लगता है।
आयशा मुझे कहने लगी कि मोहन मुझे मालूम है लेकिन तुमने यह बात मुझे पहले क्यों नहीं बताई। मैंने आयशा से कहा कि मुझे यह डर लग रहा था कि कहीं तुम्हें कुछ गलत ना लगे इसलिए मैंने तुमसे अपने दिल की बात नहीं कही। आयशा ने मेरे प्रपोज को स्वीकार कर लिया था और हम दोनों एक दूसरे के साथ रिलेशन में थे।
मैं बहुत ज्यादा खुश था कि अब मैं आयशा के साथ रिलेशन में हूं क्योंकि मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि आयशा के साथ मैं रिलेशन में रहूंगा। हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत अच्छे से रिलेशन को निभा रहे थे मैं ज्यादा से ज्यादा समय आयशा को देने की कोशिश करता। यह बात मेरे मामाजी को पता चल चुकी थी और जब उन्हें यह बात मालूम चली तो उन्होंने मेरे मम्मी से इस बारे में बात की।
उस दिन मैं ऑफिस से घर लौटा तो मम्मी ने मुझसे आयशा के बारे में पूछा, पहले तो मैंने उन्हें कुछ बताया नहीं लेकिन जब पापा मम्मी ने मुझसे इस बारे में पूछा तो मुझे आयशा के बारे में सब कुछ बताना पड़ा और मैंने उन्हें बताया कि मैं आयशा से प्यार करने लगा हूँ और हम दोनों शादी करना चाहते हैं।
वह लोग भी आयशा से मिलना चाहते थे और जब मैंने यह बात आयशा को बताई तो आयशा ने मुझे कहा कि मोहन मुझे बहुत डर लग रहा है। मैंने आयशा को कहा तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है तुम्हें पापा मम्मी से तो मिलना ही होगा और वह जब पापा मम्मी से मिली तो आयशा बहुत ही ज्यादा खुश थी और मैं भी काफी खुश था कि वह पापा मम्मी से मिली।
पापा मम्मी ने उसे अपनी बहू के रूप में स्वीकार कर लिया था मुझे काफी ज्यादा अच्छा लगा कि अब आयशा को उन्होंने अपनी बहू के रूप में स्वीकार कर लिया है। मैं बहुत ज्यादा खुश था और आयशा भी बहुत ही खुश थी।
पापा मम्मी जब आयशा के मम्मी पापा से मिले तो हम दोनों के रिश्ते को सब लोग स्वीकार कर चुके थे और हम दोनों बहुत खुश थे कि अब हमारे रिश्ते को सब लोगों ने स्वीकार कर लिया है। मेरे लिए तो यह बहुत ही ज्यादा खुशी का पल था कि आयशा मेरी होने वाली है और फिर हम दोनों की सगाई हो गई।
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जब हम दोनों की सगाई हो गई तो अब आयशा और मैं ज्यादा से ज्यादा एक दूसरे के साथ समय बिताने लगे थे। एक दिन मै घर पर अकेला था उस दिन मैने सोचा आयशा को बुला लू और उस दिन मैने आयशा को बुला लिया आयशा बहुत ज्यादा खुश थी वह घर पर आ गई जब वह आई तो मै खुश था।
हम दोनो साथ मे बैठे थे मैने सोचा क्या ना आयशा का हाथ पकड लूं। और मैने आयशा का हाथ पकड लिया हम दोनो गरम होने लगे मैने आयशा के होंठो को चूम लिया वह खुश हो गई और मै भी खुश था। हम दोनो की उत्तेजना इस कदर बढ गई की हम दोनो ही रह ना सके।
मैंने उसकी जांघो को सहलाया उसके अंदर की गर्मी बाहर की तरफ आने लगी थी। मुझे भी एहसास होने लगा था कि वह तड़पने लगी है। आयशा की चूत का पानी बढता जा रहा था। वह चाहती थी मैं उसे अपनी बाहों में ले लूं। मैंने आयशा को अपनी बाहों में लिया। वह बहुत अधिक गर्म होने लगी थी।
उसके अंदर की गर्मी बढ़ने लगी थी। मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था। मैंने आयशा के कपड़ों को धीरे धीरे उतारना शुरू किया उसके बदन से मैंने अब सारे कपड़े उतार दिए थे। वह मेरे सामने नग्न अवस्था में थी। उसके नंगे बदन को देखकर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया था। उसका नंगा बदन बहुत ही ज्यादा गोरा था।
यह पहला बार था जब मैंने उसको नंगा देखा था मै उसके गोरे बदन को महसूस करने के लिए तडप रहा था। मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरू कर दिया था। मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा था। आयशा के स्तन रूई जैसे मुलायम थे। वह बहुत ज्यादा खुश हो गई थी जब मै उसके स्तनों को दबाकर उन्हें अपने मुंह में लेकर चूस रहा था। आयशा उत्तेजित होती जा रही थी।
उसके चेहरे पर दिख रहा था उसे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा है। उसके अंदर की आग बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी और मेरे अंदर की आग भी कहीं ना कहीं अब पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी। आयशा ने मेरे लंड को बाहर निकाला और वह उसे हिलाने लगी।
काफी देर तक हिलाने के बाद जब उसने अपने मुंह में लंड को लेना शुरू किया तो मुझे आनंद की अनुभूती हो रही थी वह जिस प्रकार से मेरे मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी उससे मुझे मज़ा आ रहा था। आयशा बहुत ज्यादा खुश हो गई थी वह बोली तुम्हारे लंड को अपने मुंह में लेने में बहुत मजा आ रहा है।
मेरे लंड से पानी भी निकलने लगा था अब हम दोनों ही पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुके थे। हम दोनों की उत्तेजना पूरे चरम सीमा पर पहुच चुकी थी। आयशा ने अपने पैरों को खोल लिया था उसकी चूत मेरे सामने थी। मैंने जब देखा उसकी चूत से पानी बाहर निकल रहा है तो मैं उसकी चूत को चाटने लगा मुझे बहुत अच्छा लगने लगा था।
मैं जब उसकी गुलाबी चूत को चाट रहा था तो मेरे अंदर की आग बढ़ती ही जा रही थी। मुझसे रहा नही गया और ना ही आयशा रह पाई, मैंने अपने लंड पर अब थूक लगाया और मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाया। आयशा की चूत पर लगा पानी मेरी गर्मी को बढा रहा था।
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मैंने आयशा की चूत पर अपने लंड को लगाया और उसकी चूत को रगडने लगा मुझे मजा आने लगा था और आयशा बोलने लगी अब मत तडपाओ जल्दी से लंड को घुसा दो। मैने आयशा की चूत मे लंड डाल दिया उसकी सील टूट गई और उसकी चूत से खून निकल आया। मैंने उसे बड़ी तेज गति से धक्के देने शुरू कर दिए थे। मुझे बहुत ही मज़ा आने लगा था वह बहुत ही उत्तेजित हो गई थी। मेरे अंदर की आग अब बढ चुकी थी और उसके अंदर की आग भी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी। आयशा की चूत से खून बाहर आ रहा था।
मुझे आयशा को चोदने मे मजा आ रहा था और मेरे अंदर की गर्मी को वह बढ़ाने लगी थी। मेरे लंड और आयशा की चूत की रगडन से जो गर्मी पैदा हो रही थी वह एक अलग ही गर्मी पैदा कर रही थी जिससे कि हम दोनों को चरम सुख की अनुभूती हो रही थी। मैंने आयशा को कहा मेरा लंड अब तुम्हारी चूत की गर्मी ज्यादा झेल नहीं पायेगा।
आयशा बोली मेरी चूत मे माल को गिरा दो मैने आयशा की चूत मे अपने वीर्य को गिराने का फैसला कर लिया था। जब मैंने अपने वीर्य की पिचकारी से आयशा की चूत को नहलाया तो वह खुश हो गई। मैने उसकी चूत से लंड को बाहर निकाला तो उसकी चूत से खून निकल रहा था और मेरा माल भी। पहली बार उसकी चूत का मजा लेकर बहुत अच्छा लगा।