दोपहर हो चली थी, फातिमा ने खेत में काम करने गए अपने देवर रहमान के लिए खाना बांधा ओर अपनी बेटी आलिया को आवाज़ दी|
रजिया- बेटी आलिया, जा तू खेत में अपने चाचू को खाना दे आ!
आलिया- नहीं जाऊँगी… मुझे अभी हुसैना के घर जाना है।
बाहर फातिमा का शराबी और जाहिल शौहर अब्दुल मियाँ अभी तक चारपाई पे बैठा हुक्का गुड़गुड़ा रहा था। फातिमा ने सोचा कि वो उसे ही कह देगी भाई का खाना देकर आने को! फातिमा खाना बांध कर बाहर लाई और अपने मिंया से बोली- जाओ रहमान को खाना दे आओ!
यह सुनते ही अब्दुल-मियाँ भड़क गए- साली, माँ की लौड़ी, मुझे बोल रही है? तेरे बाप का नौकर हूँ मादरचोदी?
फातिमा कुछ नहीं बोली, वह जानती थी कि इस हरामी पिल्ले को बोलने का कोई फायदा नहीं, यह ना काम का, ना ठुकाई का, बस दुश्मन रोज ढाई सेर अनाज का। वह खुद ही बुरका पहन खाना लेकर खेतों की ओर चली।
उनके खेतों में रहमान मजदूरों के साथ काम कर रहा था, माथे से बहता पसीना और उसका गठीला बदन जो मेहनत करते करते लोहे सा मजबूत हो गया था।
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फातिमा ने खाना खेतों के बीच बने एक छोटी कोठरिया में रख दिया और बाहर काम कर रहे एक मजदूर को बोली- रहमान को बोल कि खाना खा लेगा।
मजूदर ने जाकर रहमान को बोला कि आपकी भाभीजान आपको खाने के लिए बुला रही हैं।रहमान वहीं काम छोड़ कर चल पड़ा। कोठरी में पहुँच कर उसने सब मजदूरो को कहा- जाओ, तुम भी खा पी लो!
यह सुन कर सब लोग वहाँ से चले गए, रहमान उस कोठरी के अंदर गया और दरवाजा अंदर से बन्द कर लिया। फातिमा ने उसे एक तौलिया दिया, रहमान ने अपने माथे का पसीना पोंछा लेकिन उसकी नज़र बिना झुके ही फातिमा से मिल रही थी बल्कि फातिमा अपनी नज़र बार बार चुरा रही थी।
रहमान ने तौलिया नीचे रखा और दरवाज़ा बंद कर लिया, जाकर चारपाई पर बैठ गया। रहमान ने एक मिनट के लिए भी अपनी नज़र अपनी फातिमा भाभी जान के बदन से नहीं हटाई।
फातिमा ने पास रखा खाना रहमान की तरफ बढ़ा दिया तो रहमान ने फातिमा का हाथ पकड़ा और उसे खींच कर अपनी गोद में बैठा लिया।
फातिमा – मत कर जाने दे मुझे !
रहमान- अभी नहीं पहले मुझे प्यार करने दो भाभीजान !
फातिमा- देख कोई आ जायेगा…
रहमान- नहीं आएगा, मैं हूँ न, यहाँ मेरी इजाज़त के बिना कोई नहीं आता।
यह यह बोलते ही रहमान ने फातिमा के बोबे, जांघ ओर पीठ पर हाथ फिरने लगा।
फातिमा- रात को करेंगे, अब जाने दे मुझे!
रहमान- भाभीजान, बस एक बार करने दो, फिर चली जाना। मुझसे रात तक सब्र नहीं हो पाएगा !
रहमान ने फातिमा को अपने ऊपर से हटा के साथ में लिटा दिया और झट से खड़ा हुआ, अपनी लुंगी खोली, चड्डी नीचे की और लण्ड को हाथ में पकड़ दो तीन झटके दिए।
फातिमा उसे ऐसा करते ही देख रही थी कि रहमान चारपाई पर आ गया और अपना लण्ड सीधा फातिमा के होंठों पर रख दिया।
लौड़ा भी बड़ी तेज़ी से खड़ा होकर अपनी औकात पर आ गया। लेकिन फातिमा ने अपना चेहरा एक तरफ कर लिया। लगभग एक हफ्ते पहले की ही बात है, रात को जब अपने निकम्मे शौहर को छोड़ फातिमा अपनी मर्जी से अपने देवर रहमान के कमरे में आई थी और उसको अपना शौहर बना लिया था।
लेकिन इन औरतों का मूड भी शेयर-मार्किट जैसा होता है, ना जाने कब खुद-ब-खुद चुदवाने आ जाए, ना जाने कब मना कर दे! रहमान वापस खटिया पर बैठ गया और एक हाथ से भाभी के बूबे दबाने लगा और दूसरे हाथ से उसकी पीठ सहलाने लगा।
अपना सर उसने भाभी के कंधे पर रखा और उसकी गर्दन को सूंघने और चुम्मियाँ लेने लगा लेकिन अभी अभी फातिमा कुछ खास जवाब दे नहीं रही थी। रहमान ने अपना हाथ थोड़ा और नीचे किया और भाभी की जांघों को सहलाने लगा।
धीरे धीरे से उसने भाभी के बुरके को ऊपर खींचना शुरू किया। अंदर फातिमा ने केवल गाऊन और उसके नीचे घाघरा ही पहना था, वो भी बिना कच्छी के! अब रहमान ने अपना हाथ भाभी की जांघों के बीच थोड़ा और अंदर किया और उसकी उंगलियाँ भाभीजान की जांघों को छूने लगी।
वो धीरे धीरे से भाभी की भोंस की गहराई पर उंगली फेरने लगा। थोड़ी देर बाद, रहमान के सब्र का बांध टूट गया और वो तुरन्त ही अपने घुटनों के बल फर्श पर बैठ गया। भाभीजान की दोनों टांगों को उसने अपने कंधों पर लिया और उनके भोंसड़े को लबालब चाटने लगा।
फातिमा भी धीरे धीरे से मस्ती में आने लगी और अपनी उंगलियों से रहमान के बालों को सहारने लगी। अब रहमान ने भाभीजान की किशमिश को अपने मुँह में लिया और जैसे नवजात बालक अपनी माँ की चुचूक चुसता है, वैसे ही वो फातिमा के दाने को चूसने लगा।
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शौहर के प्यार न मिलने से बन्ज़र हो चुकी फातिमा की फ़ुद्दी भी बेटे जैसे देवर की जीभ का प्यार पा कर हरी-भरी होने लगी, धीरे धीरे से पानी छोड़ने लगी। कुछ मिनट और बीते तो अपनी मुलायम जांघों के बीच फातिमा ने बेटे का सर जोर से दबाया, उसके बालों को जोर जोर से खींचने लगी, मानो सिग्नल दे रही हो कि ‘अब मै उस मुकाम के करीब हूँ तू तेजी से जीभ चला!’
रहमान वैसे तो अलहड़ था लेकिन इशारों ही इशारों में समझ गया और भूखी बिल्ली के माफिक तेजी से अपनी जीभ चलाने लगा। थोड़ी ही देर में फातिमा तो ‘हाय…अल्ला’ बोल के झड़ गई और थकी बेहाल होकर खटिया पर लिट कर हांफने लगी।
रहमान ने सोचा कि हाँ, अब देखता हूँ कि भाभी चुदवाने से कैसे मना करती है! रहमान भी अब खटिया पर चढ़ गया और उसने अपनी भाभी फातिमा की टाँगों को हवा में उठा लिया।
इसकी वजह से फातिमा के भोसड़े के साथ उसका गाण्ड का छेद भी बिल्कुल साफ़ नज़र आ रहा था, अब वो गौर से अपने भाभी के पूरे बदन को मन भर के देखने लगा।
फातिमा ने शरमा कर अपने चहेरे को अपने हाथों से ढक लिया। यह देख कर रहमान का लौड़ा तो पूरे जोर-शोर से एकदम लोहे के सरिये सा खड़ा हो गया। रहमान ने ज्यादा देरी न करते हुए लौड़े को अपनी सगी भाभी की फ़ुद्दी के अंदर किया और थोड़ा ऊपर होकर चारपाई के दोनों ओर पैर रख लिए जैसे कोई टट्टी कर रहा हो.
फातिमा की दोनों टांगें हवा में थी और रहमान का लण्ड चूत में जाने को बिल्कुल तैयार था। रहमान ने अपनी कमर ऊपर करके लण्ड को चूत के अन्दर धकेला,
भोसड़ी की चटाई करते वक्त लग रहमान के थूक और मुकाम के कारण निकले फातिमा के पानी के कारण उसका भोंसड़ा एकदम गीला व चुदने के लिए एकदम तैयार हो चुका था।
रहमान अपने जानदार लौड़े से अपनी भाभी की कमचुदी फ़ुद्दी को चोदने लगा, जैसे बीज बोने के लिये खेत तैयार कर रहा हो! रहमान अपना खड़ा लंड धीरे धीरे अंदर बाहर कर रहा था, थोड़ा नीचे होता और लण्ड को पूरा अन्दर पेल देता।
फातिमा को चीखने का मन कर रहा था, वो चाहती थी कि वो जो महसूस कर रही है, अपने इस बेटे जैसे देवर को चिल्ला चिल्ला कर बताये पर वो खुद को संभाल रही थी कि कहीं खेत के मजदूर दौड़ कर आ ना जाएँ।
जब रहमान को लगता कि वह झड़ने की कगार पर है तो वो अपने धक्कों की गति धीमी कर देता और कभी कभी तो बिल्कुल ही हिलना बन्द करके अपना लौड़ा भाभीजान की चूत में रख कर, बिना हिले-डुले दो-तीन मिनट आराम ले लेता।
ऐसा करने में उसे बड़ा मज़ा आता था क्योंकि जैसे ही रहमान हिलना बन्द करता तो फातिमा अपने चूतड़ों को आगे पीछे करके अपनी ठुकाई चालू रखती और रहमान की कमर को पकड़ कर अपने हाथों से उसे अंदर बाहर करने के लिए धक्का देती।
एक अनुभवी औरत की चुदाई करना तो कड़ी धूप में खेतों में काम करने से भी कहीं ज्यादा थका देने वाला काम था। रहमान के पसीने और छक्के छूटने लगे, उसने भाभीजान को जोर से एक चुम्मी देकर अपना मुँह फातिमा के मुख पर गड़ा दिया।
रहमान ने अपने धक्कों को तेज किया और लण्ड ऊपर होने वजह से चूत में घुस जाता था और फट से दूसरा धक्का लगा जा रहा था। फातिमा ने अपने दोनों हाथों से खटिया के दोनों सिरों को पकड़ लिया, बस जैसे ही एक धक्का जोर से रहमान ने लगाया कि उसी वक्त फातिमा की चूत की छूट हो गई, दो चार धक्के मारने के बाद रहमान ने भी पानी छोड़ दिया।
रहमान बिना संभले फातिमा की चूचियों पर जा गिरा उसकी टांगें सीधी हुई जिसकी वजह से फातिमा की टांगें हवा से नीचे आकर ज़मीन पर लग गई, दोनों की सांसें बड़ी तेज चल रही थी। फातिमा ने रहमान को अपने ऊपर से हटाया और ठण्डी हुई उसकी चूत से निकलता काफी सारा पानी उसकी जांघों तक पहुँच गया।
उसने पास में परने को उठा कर अपनी चूत के अन्दर का सारा पानी साफ़ किया और कपड़े पहनने लगी। रहमान वहीं नंगा पड़ा अपने सगे भाई की जोरू को देख रहा था और अपने लण्ड हाथ में लेकर हिला रहा था।
रहमान – रुको भाभीजान, आपको एक तोहफा देना है।
फातिमा रुक गई, रहमान ने चारपाई के नीचे पड़े एक डिब्बी को उठाया और फातिमा को दिया। फातिमा ने डिब्बी को खोला, उसमें पायल का जोड़ा था जो काफी सुंदर लग रहा था, उसे देख कर फातिमा के मुख पर मुस्कान आई।
रहमान – भाभीजान आप भूल गई लेकिन मुझे बखूबी याद है कि आज आपका जन्मदिन है!
फातिमा- ये पायल तो बहोत बढ़िया है रहमान!!
रहमान- भाभीजान, आपको मेरा तोहफ़ा पसन्द आया, शुक्र है, मुझे औरतों की चीजों का ज्यादा पता नहीं है ना !
फातिमा- चल अभी तो मैं जा रही हूँ लेकिन तू खाना खा लियो !
रहमान- ठीक है भाभीजान, पर रात को कमरे में आ जाना! आपका जन्मदिन खटिया में लेट कर धूमधाम से मनाएँगे!
यह सुन कर फातिमा रोमांचित भी हो उठी, थोड़ी शरमा भी गई और तेजी से घर की ओर चल पड़ी। लेकिन उसे क्या पता था कि रहमान ने जन्मदिन भाभीजान की गांड-चुदाई करके धूमधाम से मनाने का सोच के रखा था। रहमान ने कपड़े पहने और खाना खाकर काम पर लग गया।
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शाम को घर में सब आँगन में बैठे शाम की चाय पी रहे थे। फातिमा की बेटी आलिया किसी रिश्तेदार की शादी की तैयारियों में मदद कराने गई थी, वापस आई तो उसके हाथों में मेंहदी लगी थी। वो अपनी अम्मी फातिमा को मेंहदी दिखाने लगी- अम्मीजान देखो ना… कैसी लगी है मेंहदी!
फातिमा- बहोत खूब, बहोत बढ़िया लगी है!
आलिया- वो गुलबदन चाची ने शहर से खास ब्यूटीपार्लर वाली लड़की को बुलाया है।
फातिमा मुँह बिगाड़ के- हाँ, उनके घर पैसों के दरिया बहते हैं, गुलबदन का खसम पुलिस में जो है, पैसा तो होगा ही, और ऐसे मौकों पर जमकर उड़ाएँगे भी।
फातिमा पुराने दिनों की यादों में खो गई, जब उसे भी निकाह की मेंहदी लगाई गई थी, वो कितनी खुश थी, उसके दिल में कितने अरमान थे। लेकिन सुहागरात को ही उन पर पानी फिर गया,
जब अब्दुल मियाँ शराब के नशे में चूर, तम्बाकू से बदबू मारते मुँह के साथ, बिना कुछ रोमांस किये, सीधा उस पर चढ़ गया था और आधे मिनट में ही झड़ कर बेहोश सा हो गया था।
वो तो फातिमा का नसीब अच्छा था कि रहमान जैसा समझदार देवर था जो उसका ख्याल भी रखता, और हर रूप से ‘संतुष्ट’ भी करता। फातिमा ने मन में सोचा कि वो भी अपनी नई पायल बेटी को दिखाए लेकिन फिर यह ख्याल छोड़ दिया.
यह सोच कर कि आलिया भी रहमान से नई पायल, झुमके या चूड़ियाँ लाने की जिद पकड़ेगी और उनके घर की माली हालत कुछ ठीक नहीं थी। वैसे तो बाप-दादा ढेर सारी जमीन जायदाद छोड़ गए थे लेकिन रहमान भाई अब्दुल मियाँ ने थोड़ी जमीन छोड़ शराब और जुए में सब कुछ उड़ा दिया था।
वो तो अब रहमान बड़ा होकर खुद कामकाज देखने लगा, तब जाकर परिवार की गाड़ी पटरी पर आई, रहमान की मेहनत से उन्होंने थोड़ी और जमीन खरीदी, नया मकान भी बनाया और सरकारी कर्जे से ट्रेक्टर भी ले लिया। आलिया ने फातिमा का कंधा हिलाते हुए झकझोरा- अम्मीजान, किन ख्यालों में खो गई? खाना नहीं बनाना क्या?
फातिमा – हाँ हाँ बेटी, चलो।
रात के नौ बजने को आये, अपने जन्मदिन की खुशी में फातिमा ने सबके लिए खीर भी बनाई लेकिन रहमान अभी तक खेत से वापस नहीं आया था। आलिया तो खाना खाकर अपने कमरे में चली गई।
घर में अभी भी टीवी नहीं था इसलिए मनोरंजन के नाम पर आलिया केवल छिपछिप के सहेलियों से रोमेंटिक नोवल ले आती और देर रात तक अपने कमरे में पढ़ती.
यदि कोई रोमेंटिक सीन आ जाए तो पढ़ते पढ़ते अपनी बुर को उंगली से सहलाती, उसमें उसे एक अजीब सा मजा आता। वैसे वो अभी तक एकदम कुँवारी थी।
फातिमा भी रसोई में बाकी काम खत्म कर रही थी, बाहर से अब्दुल मियाँ ने आवाज लगाई- मैं पन्द्रह मिनट में आता हूँ।
ऐसा बोल कर वो चला गया। फातिमा भी समझती थी कि पन्द्रह मिनट का मतलब अब उसका मिंया पूरी रात अड्डे पर बैठ कर दारू पिएगा और टल्ली होके किसी नाली या झाड़ियो में गिर कर सो जाएगा। घर के सभी सदस्य भी यही चाहते थे कि अब्दुल मियाँ घर से बाहर ही फिरता रहे.
जब भी वो घर में होता, अक्सर छोटी छोटी बातों पे झगड़ा करना, गालियाँ बकना, मार-पिटाई करना ही उसको आता था। रहमान जब से कमाने लगा, उसने गाँव में लगे शराब के अड्डे वाले को बोल दिया था कि मेरे भाई आके जितना पीना चाहे पीने देना, और महीने की पहली तारीख को हिसाब मुझसे कर लेना।
रहमान तो मन ही मन चाहता था कि बुढ्ढा कहीं जहरीली शराब पी कर मर जाए तो अच्छा, कम से कम सरकार की तरफ से चार-पांच लाख रूपये मिले तो खेती के साथ साथ, छोटी मोटी किराने दुकान शुरू कर दूँ |
घर की चार चीज का भी इंतजाम हो जाए। खैर तो अब फातिमा रहमान की राह देखते देखते घर के बाहर ही खाट पर बैठी थी। साढ़े नौ बजे रहमान ट्रेक्टर लेकर वापस आ गया।
फातिमा- रहमान भाई, इतनी देर क्यों हो गई?
रहमान- कोई नहीं भाभीजान, वो तो जरा ट्रेक्टर खराब हो गया था।
फातिमा- चल हाथ मुँह धो ले, तेरे वास्ते खाना लगाती हूँ बाद में रहमान रसोई में आया, बैठा, फातिमा ने उसकी थाली में परोसना शुरू किया।
फातिमा- देख मैंने खीर भी बनाई है, तुझे बहोत पसन्द है ना?
फातिमा ने प्यार भरी निगाहों से रहमान की ओर देखा। रहमान ने मुस्कुरा कर हाँ कहा। फातिमा उठी और एक डिब्बे में से मुठ्ठी भर के काजू-बादाम-किशमिश-अखरोट उसने रहमान की खीर वाली कटोरी में डाली।
रहमान- बस बस भाभीजान, इतना मत डालो!
फातिमा- तू खेतों में पूरा दिन इतनी कड़ी महेनत करता है ना! खाएगा नहीं तो ताकत कैसे आएगी भला?
वैसे मन ही मन फातिमा का इरादा कुछ और ही था, इतने सारे काजू बादाम किशमिश उसने खीर में इसलिए मिलाए ताकि रहमान की मर्दाना ताकत और उभर के आए और वो रात-भर उसकी जमकर बिना थके ठुकाई कर सके।
क्योंकि फातिमा कोई आजकल की अलहड़ लड़कियो जैसी नहीं थी कि बस एकबार की चुदाई में ही टांयटांय फिस्स हो जाए, वो तो बरसों से भूखी थी, आज तो रात में कम से कम तीन से चार बार जमकर चुदवाऊँगी, ऐसा मन ही मन ठान के रखा था। रहमान ने खाने लगा, फातिमा उसके सामने ही बैठ कर उसे प्यार से देखने लगी।
रहमान की नजर भाभी के पैरों पर पड़ी- यह क्या भाभीजान, आपने वो पायल क्यों नहीं पहनी? मेरा तोहफा पसंद नहीं आया क्या?
फातिमा – अरे अब ऐसे सजने-धजने की मेरी नहीं आलिया की उम्र है, उसके निकाह में उसे दे देंगे, ठीक है ना?
‘क्या भाभीजान आप भी! अभी कहाँ आपकी उम्र हुई है, बिल्कुल परिस्तान की रानी लगती हो! मेरा तोहफा तो आपको कबूल करना ही होगा। कहाँ रखी हैं पायल?
फातिमा – वो अलमारी में!
रहमान खाना छोड़ कर अलमारी से वो पायल ले कर आया, अपने हाथों से भाभीजान को वो पायल पहनाई।
फातिमा बहुत शरमाई लेकिन उसका पूरा बदन रोमांच से पुलकित हो उठा, बोली- ‘काश तू मेरा शौहर होता!’
रहमान ने भाभी को बांहों में भर लिया, होठों पे एक बोसा देकर उसके बालों में हाथ फेरते हुए बोला- वो तो मैं अभी भी बन सकता हूँ, जब मियाँ बीवी राजी तो क्या करेगा काजी!
फातिमा ने रहमान के चौड़े सीने पर सर रख कर अपनी आँखें बन्द कर की और यह दुआ करने लगी कि ‘यह हसीन रात कभी खत्म न हो।’
थोड़ी देर बाद अपने आप को सम्भालते हुए वो रहमान से अलग हुई- चल सलीन, तू अभी खाना खा ले।
रहमान- भाभीजान चलो अब,,,,,उसने अपने कमरे की ओर इशारा किया।
फातिमा हाँ बाबा, आती हूँ, पहले यह बचा-खुचा खाना बाहर कुत्तों को फेंक दूँ।
रहमान ने मन में सोचा कि कुत्तों से याद आया, आज तो भाभीजान की कुत्ता-आसन में गाण्ड चुदाई करूँगा।
रहमान अपने कमरे में गया। कुछ दिनों पहले वो फसल के लिए कीटनाशक दवाई लाने शहर गया था, तभी उसने फातिमा के लिए वो पायल खरीदी थी, साथ ही में वो परफ्यूम की बोतल व रेलवे स्टेशन के बुक-स्टाल से ‘आधुनिक कोकशास्त्र’ की किताब भी लाया था, जिसमें चुदाई के भिन्न भिन्न आसनों का फोटो के साथ वर्णन किया गया था।
काफी देर तक वो किताब के पन्नों को आगे-पीछे करता रहा। तब छम्म-छम्म करती पायल की आवाज उसके कान में पड़ी, वो उठा और पूरे कमरे में परफ्यूम छिड़क दिया। फातिमा पहले अपनी बेटी आलिया के कमरे की ओर गई, देखा, कमरे की बत्ती बन्द है, मतलब बेटी सो गई है, अब कोई खतरा नहीं।
हिमांचल की माल को सेब के बगीचे में चोदा -Desi Sex Kahani
वो दबे पाँव रहमान के कमरे में गई, दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और हल्के से मुस्कुराते-मुस्कुराते रहमान के पलंग की ओर बढ़ी। रहमान उठा, अपने दोनों हाथों से उसने फातिमा के कंधों को पकड़ा और आहिस्ता से पलंग पर बैठाया।
अब्दुल- माशाल्लाह.. आज तो क्या खूबसूरत लगी रही हो भाभीजान! फातिमा ने नई नवेली दुल्हन की तरह शरमा कर अपने दोनों हाथों से चहेरे को ढक लिया। रहमान आगे बढ़ा, अपने हाथों से फातिमा के हाथों को उसके चेहरे से हटाया और गाल पर एक चुम्मा लिया और फातिमा की दोनों टांगों को जमीन से ऊपर उठाया और पलंग पर पूरी तरह से उसे लेटा दिया।
रहमान ने अपना शर्ट, लुंगी, कच्छा फट से निकाल कर जमीन पर फेंक दिया और पलंग पर बैठ गया। रहमान भली भांति जानता था कि ऐसे भाभीजान सीधे सीधे तो गांड मारने दे, उसके चांस बहुत कम हैं, किन्तु उसने औरत को राजी करने के टिप्स ‘आधुनिक कोकशास्त्र’ पढ़े थे, वो समझ गया था कि धीरे धीरे रोमेंटिक तरीके से आगे बढ़ने में ही समझदारी है।
तभी औरत को मजा आता है और वो अपने आप से बार बार खुद ब खुद पलंग में प्यार पाने के लिए आ जाती है। दोपहर में खेत में की चुदाई से उसे भाभीजान की कमजोरी का भी पता चल गया था यानि की भोसड़ा-चटाई!
फातिमा अभी भी पलंग पर लेटी मुस्कुरा रही थी, रहमान उसके पैरों के पास गया और उनकी पायल को चूम लिया। धीरे धीरे से रहमान भाभीजान के पैर दबाने लगा। यह क्या कर रहे हो?’
‘आप पूरा दिन काम करते करते थक गई होंगी न.. बस कुछ मत बोलिए, ऐसे ही लेट कर आराम कीजिए।’
रहमान भाभीजान के पैरों को बड़े प्यार से दबाने लगा… पहले घुटनों तक, फिर जांघों तक, उसके हाथ धीरे धीरे और ऊपर बढ़ने लगे, अपने दोनों हाथों से उसने फातिमा के दोनों मोटे बोबों को जकड़ा और उन्हें मसलने लगा।
‘हाय अल्ला…’ फातिमा ने अपने नीचे का होंठ दांतों के बीच दबाकर कर आँखें बंद कर ली।
यह देख रहमान जोश में आ गया और लेटी हुई फातिमा की जांघों पर बैठ गया और बोबों को जमकर दबाने और मसलने लगा। थोड़ी देर बाद उसने अपने दांये हाथ से चूची मसलाई चालू रखी और बांये हाथ को भाभीजान की दो टांगों के बीच की जन्नत पर रख दिया।
बिना गाउन या घाघरा, उतारे या नीचे किए वो ऐसे ही अपने नाखूनों से भाभीजान की भोंस को रगड़ने लगा। फातिमा तो जैसे जन्नत में थी, उसने अपनी हुंकार रोकने के लिए अपनी हथेली होंठों के बीच दबा ली। रहमान तो खाने बैठा था, तब से चुदाई के लिए उत्सुक था, लेकिन उसने खुद पर काबू रखा, कि नहीं ‘आज भाभीजान का जन्मदिन है तो मजे लेने का उनका हक पहले बनता है।’
रहमान ने ऐसे ही अपना फॉर प्ले लगभग आधे घंटे तक जारी रखा। इस बीच फातिमा एक बार झड़ भी गई, तब जाकर रहमान को लगा कि हाँ अब लोहा गर्म हुआ है, हथोड़ा मारने का वक्त आ गया है। उसने धीरे से फातिमा को धक्का लगा कर पेट के बल सुला दिया और उनका गाउन और घाघरा उपर की ओर खींच दिया।
अब अपने दोनों हाथों से फातिमा के मोटे मोटे नितम्बों को दो तरफ पसारा और भाभीजान की गाण्ड के कसे हुए छेद का मुआयना किया। शादी के बीस साल बाद भी फातिमा की गाण्ड अभी तक अनचुदी-अनछुई थी |
क्योंकि उसके शौहर अब्दुल मियाँ का फटीचर लंड तो बमुश्किल से चूत में ही घुस पाता था, गाण्ड चुदाई करना तो अब्दुल मियाँ के लिए जैसे लोकपाल बिल पास कराने जैसा असंभव काम था।
फिर रहमान ने भाभी जान की गांड में अपना लौड़ा घुसाया, फातिमा दर्द से चिहुक उठी और खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगी. लेकिन रहमान की पकड़ और भी मजबूत हो गई और उसने अपने एक हाथ से फातिमा के मुंह को बंद किया|
जबरदस्ती गांड में लंड पेलने लगा. फातिमा की तो जैसे जान ही निकल रही थी. पर वो भी अपने देवर को खुश करने के लिए ये दर्द बर्दास्त कर रही थी. ऐसे ही 15 मिनट तक रहमान ने फातिमा की गांड चोदी और गांड में ही झड गया. फातिमा की गांड रहमान का लंड खा कर सूज गई थी|