Chachi Ki Chudai : हैल्लो दोस्तों ,मेरा नाम अर्जुन है, और उम्र 24 साल है, मैं अपने कॉलेज के तीसरे साल में था। एग्जाम ख़तम होने के बाद मैंने गांव जाने का फ़ैसला लिया।गाँव में मेरे चाचा, चाची, उनका बेटा जो काफी छोटा था, साथ में दादी, सब लोग साथ में रहते है।
साथ में एक नौकर भी था, जो कुछ साल पहले चाचा ने अपनी मदद के लिए रखा था। नौकर का घर चाचा के गांव में ही था।चाचा ने शुरू से ही खेती संभाली है, और दादी ने बड़े बेटे यानी मेरे पापा को शहर भेज दिया था।
चाचा की शादी को 3 साल हो चुके थे, और चाचा की उम्र 35 है, जबकि चाची की उम्र 28 है। गांव में अक्सर लड़कियो की शादी कम उम्र में ही हो जाती है।चाचा और चाची की शादी के वक्त मैं 20 साल का था।
तब मैं चाची को अक्सर एक जवान लड़के की नज़रों से देखता रहता था। कई बार मेरे मन में उनके लिए गंदे ख़याल आते, पर मैं रिश्तों के बारे में सोचता और मेरी इच्छा मेरे मन में ही रह जाती।खैर में शाम को 5 बजे गांव पहुंचा।
चाचा-चाची और दादी से बड़े दिनों बाद मिल कर अच्छा लग रहा था।थोड़ी देर दादी के साथ बैठ कर बात-चीत करी। एक घंटे बाद चाचा मुझे खेत घूमने ले गये। वहां से हम शाम 7 बजे घर आ गये।
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मैं पानी पीने किचन में गया। चाची हम सब के लिए खाना बना रही थी। किचन में बहुत गर्मी होने से चाची पसीने से भीग चुकी थी।आज भी चाची का बदन उतना ही बोल्ड था जितना कि शादी के वक्त था। चाची ने अपने बदन को पूरी तरह से ढका हुआ था।
चाची की सुंदरता को देखते ही अचानक मेरे हाथ से पानी का ग्लास छूट गया, और नीचे पानी गिर गया। चाची जल्दी से पोछा लेकर आई जैसे ही चाची नीचे बैठी, उनकी साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया, और उनका बदन सफ दिखाई देने लगा।
पसीने से उनका ब्लाउस पूरी तरह भीग चुका था। पसीने की बूंदे उनके ब्लाउज़ के अंदर जा रही थी।ब्लाउस गीला होने से चाची की चूचियां दिखाई देने लगी। उनके दूधे आज भी उतने ही बड़े थे।चाची पानी साफ करती रही, और मैं उनके बदन को देखते ही रहा।
मैं खड़े-खड़े उनकी सुंदरता को निहारता रहा। मन ही मन मैं उनकी गांड को पकड़ कर जम के दबाना चाहता था, और उनकी चूचियों को जम कर सहलाना चाहता था। पानी पोंछने के बाद चाची ने मेरी ओर देखा। मैं चाची के बदन को घूर रहा था।
चाची ने अपने बदन पर वापस साड़ी डाल दी, और मेरी ओर देख कर मुस्कुरा के वापस काम करने चली गयी। मैंने कुछ नहीं किया, और चुपचाप पानी पी कर बाहर चला गया। अब रात को खाना खाने के बाद सब साथ में बैठ कर बात-चीत करने लगे।
कुछ देर बाद सब सोने चले गये। चाचा ने मुझे अपने साथ छत पर सोने के लिए बुला लिया। अब मैं, चाचा, और चाची छत पर सो रहे थे। दादी और चाचा का लड़का नीचे सो रहे थे।कुछ देर बाद चाचा को उनके दोस्त का फोन आया|
वो अपने दोस्तों के साथ रात को खेत में पार्टी करने चले गये। अब चाची और मैं छत पर अकेले थे।चाची काम करते थक गयी थी, और वो चाचा के जाने के बाद ही सो गयी थी। मैं कुछ देर तक चाची को निहारता रहा, और अब मैं भी अब सो गया।
आधी रात को मुझे प्यास लगी। मैंने चाची को उठाने का सोचा, पर वो वहां नहीं थी।मैं सीढ़ियों से नीचे गया, सीढ़ियों के नीचे एक स्टोर रूम बना है।जैसे ही मैं स्टोर रूम के पास से गुजरा, मैंने सुना कि स्टोर रूम से आवाजें आ रही थी।
मैंने स्टोर रूम का गेट खोलने की कोशिश की, पर गेट अंदर से लगा था। तो मैंने खिड़की से झांक कर देखा, और मैं हैरान रह गया।रामदीन ,जिसे चाचा ने काम पर रखा था,और चाची आपस में लिपटे हुए थे।
रामदीन ने चाची की साड़ी निकल दी, और चाची की चूचियों को ब्लाऊज़ के उपर से दबा रहा था। चाची सिर्फ पेटीकोट और ब्लाऊज़ पेहने हुई थी।अब चाची ने नीचे झुक कर रामदीन की पैंट निकाल दी, और लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी।
रामदीन का लंड पूरी तरह चाची ने अपने अंदर ले लिया। रामदीन भी कम नहीं था। उसने चाची का सिर पकड़ा, और ज़ोर-ज़ोर से लंड अंदर-बाहर करने लगा। मैं बाहर खिड़की से यह सब देखता रहा।
थोड़ी देर बाद रामदीन ने अपना माल चाची के मुंह में भर दिया, और चाची चिनाल की तरह पूरा माल पी गयी।चाची खड़ी हो गयी, और रामदीन से लिपट गयी, और धीरे-धीरे उसकी शर्ट के सारे बटन खोल दिये।
वो रामदीन के बदन को चूमने लगी, और रामदीन भी चाची कि गांड दबाने लगा। रामदीन ने चाची के ब्लाऊज़ के सरे हुक खोल दिये, और पलटा कर चाची की पीठ को चूमने लगा।
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गांव में अक्सर औरते ब्रा नहीं पहनती है, और चाची ने भी ब्रा नहीं पहनी थी।चाची की पीठ को चूमते ही चाची की हवस जाग उठी। किसी रांड कि तरह चाची अपनी चूचियां दबाने लगी। फिर रामदीन चाची की दोनों चूचियों को दबाने लगा|
धीरे से चाची का पेटिकोट खोल कर चाची को नीचे से नंगा कर दिया।स्टोर रूम में रखी गेहूं की बोरियों पर चाची को लिटा दिया।पूरी तरह नंगी होकर चाची बोरियों पर लेट गयी, और रामदीन ने अपना मुँह चाची की दोनो टांगो के बीच डाल दिया, और चाची के चूतड़ को चूसने लगा।
यह सब देख कर मेरा लंड खड़ा हो कर तड़पने लगा। मैं लंड को बाहर निकाल कर हिलाने लगा।रामदीन बड़ा ही हरामखोर इंसान है। वो बिन रुके लगातार चाची की चूत को अपनी जीभ से चूमते रहा।
चाची भी तड़प रही थी, और उनकी चूचियों को अपने हाथों से दबाते रही। कुछ देर बाद चाची झड़ने वाली थी। चाची की आवाज़ निकल गयी, आह आह, और चोदो रामदीन , फाड़ दो मेरी चूत को। आह आह ऐसे ही चूस्ते रहो”।
रामदीन बिन रुके चूसता चला गया। थोड़ी देर बाद चाची बोल पडी, “मैं झड़ने वाली हूं, और जोर से चूसते रहो मेरी चूत को”।रामदीन ने कहा, “इतनी जल्दी कैसे छोड़ दूं सेठानी जी, अभी तो आधा ही हुआ है, अपने माल को अंदर ही रखो”।
चाची ने कहा, “मैं पहले ही काफी थक चुकी हूं। अब और नहीं रोक पाऊंग़ी ।रामदीन ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी, और चाची भी धीरे-धीरे आवाजें निकालती रही। मैं चुप-चाप खिड़की से यह सब देखते रहा, और हिलते हुए अपने माल को अंदर ही रोक कर पूरे आनंद से हिलने लगा।
आस-पास का ध्यान ना देते हुए मेरा हाथ खिड़की से टकरा गया, और खिड़की पीछे दीवार से टकरा गयी।अचानक हुई आवाज़ से चाची ने खिड़की की तरफ देखा।मैं डर गया था, और चुप-चाप खिड़की के पास ही खड़े रहा।
मगर चाची ने खिड़की के पास मुझे देख लिया। चाची ने मेरी ओर देखा। मुझे लंड हिलाते देख कर चाची चौंक गयी, और सारे माल से रामदीन के मुंह में झड़ गयी। रामदीन डर के मारे खड़े हो रहा था, पर चाची ने अपने पैरों से रामदीन का सिर अपनी चूत के पास ही दबा के रखा।
थोड़ी देर तक चाची और मैं एक-दूसरे को देखते रहे। चाची भी कुछ नहीं बोली। रामदीन ने धीरे से मुंह उठा कर बोला, “लगता है, कोइ जाग गया है सेठानी जी”।चाची ने कहा, “कोइ नहीं है, बिल्ली थी खिड़की के पास।
तुम मत रुको, चूसते रहो मेरे गुलाबी फूल को”। मैं चुप रहा, वो दोनों फिर से शुरू हो गये। रामदीन चाची की चूत को सहलाता रहा, और चाची मुझे देखते हुए जम कर उछलती रही।थोड़ी देर बाद चाची का माल बाहर आने लगा|
रामदीन उठ कर खड़ा हो गया। चाची भी अपनी साड़ी उठा कर बाहर आने लगी। मैं और आनंद लेना चाहता था, पर रामदीन का लंड सूख गया था।चाची काफी थक चुकी थी, और अपनी साड़ी उठा कर बाहर आ रही थी।
अचानक रामदीन ने चाची का हाथ पकड़ कर वापस खींच लिया, चाची ने कहा “अब तो तुम्हारा औजार भी थक गय़ा, अब क्या करने का मन है?रामदीन ने अपनी पेंट में से एक गोली निकाली और खा गया। उसने फिर चाची को नीचे झुक कर लंड चूसने को कहा।
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चाची यह सब नहीं करना चाहती थी।दरसल वो वाएग्रा कि गोली थी, जिससे मर्दों के औजार की ताकत बढ़ जाती है।चाची ने कहा, “छोड़ दो, मेरे अंदर ताकत नहीं बची है, अब और मत करो। मैं तुम्हारी सेठानी हूं चुप-चाप मेरा कहा मानो।
रामदीन ने कहा, “जैसा कहा है, वैसा ही करो। वर्ना मैं चिल्ला कर सब को जगा दूंगा, और तुम कुछ नहीं कर पाओगी।रामदीन ने फिर कहा, “बहुत दिनों के बाद सेठ घर पर नहीं है, मैं इस मौके को केसे जाने दे सकता हूं?”
चाची पर मुझे तरस आ रहा था, पर मैं भी चाची को चुदते हुए देखना चाहता था।चाची मेरी ओर आशा से देखती रही, पर मैं चुप-चाप देखता रहा। रामदीन ने चाची का सिर नीचे झुका दिया। चाची ने रामदीन के दोनो गोटे अपने मुंह में ले लिये, और चूसते जा रही थी।
यह सब देख कर मुझे चाचा पर तरस आ रहा था, पर मैं चुप-चाप देखता रहा।कुछ देर बाद रामदीन फिर से तैयार हो गया। चाची अब और चुदवाना नहीं चाहती थी। उन्होंने रामदीन की बाहों से छूटने की कोशिश की, पर रामदीन ने चाची को जम कर बाहों में पकड़े रखा|
चाची के होंठो को चूमते रहा। चाची को चूमते हुए उसने चाची को फिर से बोरियों पर लिटा दिया।रामदीन ने चाची की दोनो टांगो को उठा कर अपने कन्धों पे रख लिया। धीरे से अपना लंड चाची की चूत में डालने लगा।
पूरी तरह अंदर जाने से, चाची की आवाज निकल पड़ी। चाची मदद की आशा से मेरी ओर देखती, पर मैं चुप-चाप उन्हें देखता रहा।एक बर झड़ने के बाद भी मेरा लंड फिर से जाग उठा, और मैं उन दोनों को देख कर हिलाने लगा।
चाची मेरे लंड को फिर से जगते देख हैरान रह गई। रामदीन ने अब रफ्तार बढ़ा दी, और जोर-जोर से लंड को अन्दर बाहर करने लगा।चाची के दूध उछल कर आगे-पीचे होने लगे। चाची ने अपने दोनो दूध को पकड़ा और मसलने लगी।
दोनों हाथ से दबाते हुए चाची उछल रही थी। रामदीन भी उन्हें जम कर चोदते चलता गया। चाची अब जम कर आनंद लेने लगी। जम कर अपनी चूचियों को दबाने लगी।हरामखोर रामदीन पूरी ताकत से चूत मारता रहा। चाची बार-बार उससे छूटने की कोशिश करती।
पर रामदीन बिना रुके अपना लंड घुसाता रहा। दस मिनट बाद चाची की चूत पूरी तरह से लाल हो चुकि थी, और धीरे-धीरे चाची कि चूत में से झाग बाहर गिरने लगा।रामदीन ने भी अपना लंड बाहर निकला, और चाची दूसरी बार झड़ गई।
रामदीन ने अपना सारा माल चाची के मुंह में डाल दिया। यह सब देख कर मैं भी झड़ गया, और चाची को चोदने कि इच्छा और भी ज्यादा हो गयी। रामदीन बाहर आ रहा था, तो मैं धीरे से सिढ़ियों पर जाके छिप गया।
रामदीन कपड़े पहन कर बाहर आया, और पीछे के गेट से बाहर निकल गया।उसने चाची को निर्दयी तरीके से चोदा, उसकी हरकतों के लिए मैं मन ही मन गालियां दे रहा था।इतनी चुदाई के बाद चाची थकी, पसीने से भीग चुकी थी, और आखें बंद करके लेटी रही।
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मैं वापस छत पर जाके सो गया। दस मिनट बाद चाची भी आकर सो गयी। रामदीन ने इतनी जम कर चाची कि चूत मारी कि चाची की चाल ही बदल गयी। चाची मेरे पीछे चिपक कर लेट गयी, और बोली “आज जो हुआ वो किसी को मत बताना |
वरना मैं,इससे पहले चाची आगे बोलती, मैं पल्टा और उनके होंठो को अपने होंठो में ले लिया। चाची समझ गयी कि मैं किसी को कुछ भी नहीं बताऊँगा। चाची काफी थक चुकी थी, और कहा अभी रुक जा, उस भड़वे रामदीन से जम के चुदने के बाद में बोहोत थक गई हूं।
मैंने चाची को अपने मन की सारी इच्छा बता दी, कि कैसे में उनको शादी के बाद से ही चाहता था, और मैंने अपने मन में चाची को चोदने कि इच्छा भी बता दी। मेरे मन कि बात सुनते ही चाची सो गयी।
चाची के सोने के बाद में चाची कि चूचियों को सहलाने लगा। चाची के दूध पर हाथ रख थोड़ा-थोड़ा मसलते रहा, और चाची से चिपक गया। हम दोनों ऐसे ही चिपक कर रात भर सोते रहे।
इसके आगे कि कहानी अगले पार्ट में। कैसे रामदीन के जाने के बाद मैंने चाची की चुदाई करी। यह कहानी आपको कैसी लगी, आप कमेन्ट करके जरुर बताना।