Desi Chachi ki Chudai : हैलो दोस्तो, अन्तर्वासना और हिंदी चुदाई कहानी के दुनिया में आपका स्वागत है। मेरा नाम रंजन है। मैं एक छोटे से गाँव का रहने वाला हूँ और मैंने स्नातक (ग्रेजुएशन) तक पढ़ाई की है।
मैं बचपन से बहुत शर्मीला हूँ, इस वजह से मैं लड़कियों से कम ही बात करता हूँ। मैं आज आपको मेरे जीवन में हुई सच्ची घटना के बारे में बताने जा रहा हूँ, उस वक़्त मैं 12 कक्षा में पढ़ता था।
जैसा कि मैंने बताया कि मैं बचपन से ही बहुत ही शर्मीला हूँ लेकिन बचपन से ही मुझे खूबसूरत लड़कियों और बडे बूब्स वाली आंटियों की तरफ ज्यादा ही आकर्षण रहता था।लेकिन अपने शर्मीलेपन के कारण मैंने किसी भी लड़की से सेक्स नहीं किया था।
मेरे गांव में एक चाची रहती थीं, उनका नाम शालू था। शालू चाची करीब 32 साल की होंगी, उनका एक लड़का था करीब 8 साल का लेकिन उनका शरीर अभी तक भरा और कसा हुआ था। जैसे कि 23-24 साल की औरतों का शरीर होता है।
उनकी गाण्ड को देख कर तो किसी का भी लंड खड़ा हो जाये। शालू चाची का घर हमारे घर से थोड़ा दूर था। लेकिन शालू चाची मेरी मम्मी की सहेली थीं इसलिए कई बार हमारे घर आती- जाती रहती थीं जब भी वो हमारे घर आती थीं |
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मेरी नजर उनके बूब्स पर ही रहती थी क्यूंकि उनके बूब्स बहुत ही बडे थे। मैं शालू चाची से बहुत ही कम बात करता था, मगर वो खुद से ही मुझे बुलातीं थीं। वो मुझे कई बार कहती थीं कि तू हमारे घर क्यों नहीं आता?
मैं कहता, जब स्कूल की छुट्टी होगी तब आऊँगा लेकिन कभी जाता नहीं था। मैं पढ़ाई में पहले से ही आगे था इस वजह से मेरे पापा ने मुझे कंप्यूटर ला दिया था। गाँव के मेरे सभी दोस्त मेरे पास ही मेमोरी कार्ड भरवाते थे।
शालू चाची के लड़के रवि ने एक बार मुझे मेमोरी कार्ड भरने के लिये दिया था।मैंने उससे कहा- जब मैं खाली होऊँगा तब तेरा मेमोरी कार्ड भर दूँगा।उसने कहा, ठीक है।दूसरे दिन रविवार था
मेरे मम्मी-पापा किसी काम से बाहर गये हुए थे।दोपहर के 12 बजे थे, मैं कंप्यूटर पर मूवी देख रहा था।एकदम से मुझे याद आया कि रवि ने मुझे मेमोरी कार्ड भरने के लिये दिया है।मैंने वो मेमोरी कार्ड तुरंत ही भर दिया।
क्यूंकि वो शाम को लेने आने वाला था। मैं घर में बैठा बोर हो रहा था तभी मेरे मन में शालू चाची के बारे में विचार आया कि शालू चाची मुझे कई बार कहती हैं कि तू मेरे घर कभी नहीं आता |
मैं आज उनके घर भी हो आता हूँ और रवि का मेमोरी कार्ड भी दे आता हूँ। मैं मेमोरी कार्ड देने के बहाने से शालू चाची के घर जाने निकल पड़ा। जब मैं शालू चाची के घर पहुँचा तो उनके घर का दरवाज़ा अन्दर से बंद था।
मैंने एक दो बार दरवाज़ा खटखटाया। शायद शालू आँटी अन्दर सोई हुई थीं, मैंने फिर से दरवाज़ा खटखटाया, एकदम अन्दर से दरवाज़ा खुला। मैंने अपने सामने शालू चाची को देखा तो मैं उन्हें देखता ही रह गया।
उन्होंने सिर्फ़ ब्लाउज और घाघरा ही पहना था। मेरा लंड तो एकदम से टाइट हो गया। मेरे आने से शालू चाची बहुत ही खुश हो गईं क्यूंकि मैं पहली बार उनके घर गया था।मैं उनके घर के अन्दर गया, उन्होंने अपने ऊपर एक दुपट्टा डाल लिया।
मैंने उनको रवि का मेमोरी कार्ड दिया। मैंने उनसे पूछा कि रवि घर में नहीं है तो उन्होंने बताया कि रवि और अंकल किसी रिश्तेदार की शादी में गये हैं, कल तक आ जायेंगे।मैंने बोला- अब मैं चलता हूँ।
उन्होंने कहा- ऐसे कैसे? तू पहली बार हमारे घर आया है। चाय पीकर जाना पड़ेगा।मैंने बहुत मना किया पर चाची नहीं मानी। शालू चाची मेरे लिये चाय बनाने लगीं, सामने ही गेस पर वो चाय बना रही थीं |
मैं उनकी बड़ी सी गांड को देख रहा था। वो मेरे लिये चाय ले कर आईं और मुझे चाय दी।मैं और चाची चाय पीने लगे मैं चाय पीते-पीते चाची के बूब्स की तरफ देख रहा था क्यूंकि उनका दुपट्टा थोड़ा नीचे आ गया था।
उन्होंने मुझे एक-दो बार ऐसा करते हुए देख लिया और तुरंत ही अपना दुपट्टा ठीक कर लिया। मैं चाय पी चुका था और मेरे कप में थोड़ी सी चाय बची थी, मैंने कहा- चाची यह चाय बच गई है, मैं और नहीं पी सकता।
उन्होंने कहा- ठीक है, लाओ मेरे कप में डाल दो। मैं चाची के कप में चाय डालने के लिए खड़ा हुआ, मैं चाची की तरफ जा ही रहा था कि मेरे पैर में कुछ आने की वजह से एकदम गिरा और कप में से सारी चाय सीधे चाची के ब्लाउज के ऊपर ही गिरी।
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चाची एकदम से खड़ीं हो गयीं और सिसकियाँ भरने लगी और दुपट्टे से अपने ब्लाउज को साफ करने लगीं।मैं तुरंत ही पानी लाया और मैं चाची के ब्लाउज के ऊपर पानी डालने लगा।
शायद चाय गरम होने के कारण चाची को जलन हो रही थी। चाची एकदम नीचे बैठ गईं मैं भी उनके पास बैठ गया और उन्हें सॉरी कहा।चाची ने कहा- कोई बात नहीं।मैंने चाची के बूब्स की तरफ देखा |
तो काली सी निप्पल साफ दिखाई दे रही थी, अब मेरा लंड भी टाइट हो गया था।मैं अपने काबू में नहीं रहा और मैं अपना एक हाथ चाची के बूब्स के ऊपर रख कर उसे सहलाने लगा।चाची एकदम भड़क गयीं और कहने लगी- यह क्या कर रहे हो?
मैं भी एकदम चौंक गया, मैंने वहाँ से हाथ हटा लिया और कहने लगा- आपके ऊपर अभी चाय पड़ी है, उसे साफ कर रहा था।मैंने चाची से कहा- प्लीजचाची मुझे साफ करने दीजिये ना मुझे ये अच्छा लग रहा है।
चाची यह सुनकर मुस्कुराने लगीं और कहा0 ठीक है.. कर दो साफ… लेकिन ठीक से करना।यह सुनकर तो मैं दोनों हाथ से चाची के ब्लाउस को साफ करने लगा। मैं तो चाची के बूब्स को जोर-जोर से दबाने लगा, बहुत ही मजा आ रहा था।
मैंने चाची से कहा- चाची आप बहुत ही सुन्दर और बहुत ही अच्छी हो।यह सुनकर चाची ने कहा- सीधे-सीधे बोल ना कि मुझे चोदना चाहता है।यह सुनकर तो मैं सीधे चाची के गले लग गया और उनके होंठों को चूमने लगा।
मैं धीरे-धीरे उनके पूरे शरीर को चूमने लगा।क्या मजा आ रहा था! मैं ब्लाउज के ऊपर से ही उनके बूब्स चूसने लगा।क्या बड़े-बड़े निप्पल थे उनके और ऊपर से एकदम काले, मैं तो उन्हें चूसता ही रह गया।
चाची भरपूर मज़े ले रही थीं और जोर-जोर से सिसकारियाँ भर रही थीं।फिर मैंने धीरे से उनके ब्लाउज के पूरे बटन खोल दिये, जैसे ही मैंने उनके ब्लाउज के बटन खोले उनके दोनों बूब्स मेरे सामने आ गये बड़े-बड़े बूब्स थे
उनके, मैं तो उन्हें हाथ में ले कर खेलने लगा, मेरे दोनों हाथों में चाची का सिर्फ़ एक स्तन ही आता था, इतने बड़े-बड़े थे चाची के बूब्स।फिर मैं चाची के बूब्स को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।
उसके बाद मैंने चाची का घाघरा उतार दिया, चाची ने पीले रंग की चड्डी पहन रखा था।उसके बाद मैंने चाची की चड्डी भी उतार दी, चाची की चूत एकदम साफ थी, क्या चिकनी चूत थी!
मैं धीरे-धीरे चाची की चूत पर हाथ फ़िराने लगा, चाची ‘अहह… अहह…’ आवाज़ें निकाल रहीं थीं।मैं पूरे एक घंटे तक कभी चाची के बूब्स चूसता तो कभी उनकी चूत पर हाथ फ़िराता।
अब चाची पूरी तरह से गर्म हो चुकीं थीं और बार-बार कह रही थीं- चोदो मुझे… चोदो मुझे।लेकिन मैं चाची को और तड़पना चाहता था।मैंने चाची से कहा- पहले आप मेरे लंड को मुँह में ले कर चूसो।
चाची मना करने लगीं, लेकिन मैं भी कहाँ ऐसे मानने वाला था।मैंने चाची को बहुत समझाया, फिर वो मान गईं।वो मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा, ऐसे चूस रही थीं जैसे कि लोलीपोप चूस रही हों।
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चाची मेरे लंड को आधे घंटे तक चूसती रहीं क्यूंकि उन्हें भी मज़ा आ रहा था।फिर चाची कहने लगी- अब मुझे और मत तड़पाओ, चोदो मुझे।फिर मैंने अपना लंड चाची की चूत पर रख दिया और धीरे से अन्दर डालने लगा।
चाची की चूत एकदम चिकनी और गर्म थी।मैंने धीरे से अपना लंड चाची की चूत के अन्दर डाला और धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा।चाची ‘आह… आह…’ आवाज़ें निकाल रही थीं।
फिर मैं जोर-जोर से चाची को चोदने लगा, चाची जोर-जोर से आवाज़े निकाल रहीं थीं और कह रहीं थीं- फाड़ दो मेरी चूत।क्या मजा आ रहा था मुझे।अब मेरा होने वाला था, मैंने चाची से कहा कि मेरा होने वाला है
तो उन्होंने कहा- अन्दर ही डाल दो।मैंने अपना वीर्य उनकी चूत के अन्दर ही डाल दिया।मेरी कहानी आपको कैसी लगी, मुझे जरूर बताना।अगर कहानी पसंद आई हो तो अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करें। हमारी वेबसाइट fungirl.in आपके लिए ऐसी ही मजेदार चुदाई की कहानियां लाती रहेगी।