Muslim Sex Story : हाय फ्रेंड्स|| मेरा नाम इरफान है| आज में आप सभी को अपने साथ हुई एक सच्ची यादगार घटना बताने वाला हूँ|| यह उन दिनों की बात है जब में 12वीं में था और मुझे ब्लूफिल्म देखना तभी से बहुत अच्छा लगता था |
मैंने बहुत फ़िल्मे देखी थी और सोचता था कि मुझे कब यह मौका मिलेगा?|| हम जिस सोसाईटी में रहते थे वहाँ पर साईड वाली सोसाईटी में एक फेमिली में पति पत्नी रहते थे| उनकी दो छोटी जुड़वाँ लड़कियाँ थी||
करीब दो साल की और में उनके साथ खलने के लिए कभी कभी उनके घर पर चला जाता था|में उन चाची को जुबैदा चाची बुलाता था| उनके पति का उन्ही के साईड वाले फ्लेट में एक बहुत बड़ा स्क्रेप का बिजनेस था |
उनके पड़ोस वाली चाची के पति भी जुबैदा चाची के पति के साथ काम करते थे और शायद मुझ पर धीरे धीरे ब्लू फ़िल्मो का असर होने लगा था|| फिर जब भी में उनकी लड़कियों के साथ खेलता तो बीच बीच में मेरा ध्यान चाची के फिगर पर चला जाता था|
उनके वो बड़े बड़े बूब्स उनके कुर्ते के बाहर से भी दिख जाते थे|| वाह क्या नज़ारा होता था?फिर एक बार की बात है में कॉलेज से जल्दी घर पर आया था|| लेकिन उस समय मेरे घर पर कोई नहीं था और घर पर ताला लगा हुआ था|
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तभी मुझे साईड वाली जुबैदा चाची ने अपनी खिड़की से झाँककर आवाज़ लगाई और मुझे ऊपर बुला लिया और में उनके फ्लेट के दरवाज़े पर पहुंचा| तो जुबैदा चाची ने मुझसे कहा कि तुम्हारे घर वाले बाहर गये हैं और वो मुझसे कहकर गए थे
कि उन्हे आने में थोड़ी देर हो जाएगी| तो मैंने एकदम मासूम सी शक्ल बनाकर उनसे पूछा कि तो तब तक में कहाँ जाऊं? तो जुबैदा चाची ने हंसकर कहा कि क्यों क्या तू अपनी जुबैदा चाची के घर पर नहीं रुक सकता?
तभी मेरे तो मन में लड्डू फूट पड़े और फिर भी मैंने अपने पर काबू रखकर उनसे पूछा कि क्यों चाचा बुरा तो नहीं मानेंगे? तो जुबैदा चाची ने मुस्कुराकर जवाब दिया कि वो क्यों बुरा मानेंगे? और वैसे भी वो यहाँ पर वो नहीं है||
वो दोनों बच्चियों को लेकर उनकी दादी से मिलने गये हैं और कल दिन तक ही लौटेंगे|फिर यह बात सुनकर मेरा तो उछलने को दिल कर रहा था|| लेकिन फिर भी मैंने चाची से पूछा कि अगर बच्चे यहाँ पर नहीं हैं तो में यहाँ बैठकर क्या करूँगा? में तो बोर हो जाऊँगा|
तो जुबैदा चाची ने कहा कि क्यों टीवी देखो और मेरे साथ कुछ बातें करो|| उसमे तो बोर नहीं हो जाओगे ना? दोस्तों बस आज तो मेरे दिल की मुराद पूरी हो गयी थी और में भी ठीक है कहकर||
अंदर जाकर सोफे पर बैठ गया और थोड़ी देर जुबैदा चाची से बात करने के बाद में टीवी देखने लगा और चाची उठकर किचन में चली गयी| तभी डोर बेल बजी तो मैंने दरवाज़ा खोला और मैंने देखा कि बाहर दरवाजे पर पास वाली दूसरी चाची खड़ी थी||
वो मुझे देखकर पहले तो बहुत चकित हो गयी| फिर अपने आपको संभाल कर बोली कि अरे इरफान तुम यहाँ कैसे? तब मेरे कुछ कहने से पहले ही जुबैदा चाची ने कहा कि इरफान के घर वाले बाहर गये हुए हैं इसलिए वो मेरे कहने पर यहाँ पर रुका है|
तो वो चाची भी अंदर आ गई और जुबैदा चाची के साथ किचन में चली गयी और हंस हंसकर बातें करने लगी|फिर कुछ देर बाद मुझे थोड़ी प्यास लगी थी तो में पानी पीने के लिए किचन की तरफ चला गया| तभी में दरवाज़े पर ही रुक गया
क्योंकि जुबैदा चाची और वो चाची बातें कर रही थी और में उनको देखकर वहीं पर रुक गया और चुपके से उनकी बातें सुनने लगा|| तब जुबैदा चाची की बातें सुनते ही मेरे तो मानो होश ही उड़ गए|| मुझे तो अपने कानो पर ही भरोसा नहीं हो रहा था|
जुबैदा चाची उन चाची से कह रही थी कि आज अच्छा मौका मिला है तुम कहो तो मिला दूँ बेहोशी वाली दवा? तो चाची कह रही थी कि अगर किसी और को पता चला तो क्या होगा? तो जुबैदा चाची बोली कि चिंता मत करो किसी को पता नहीं चलेगा |
इससे अच्छा मौका फिर नहीं मिलेगा|फिर उनकी सभी बातें सुनकर में जल्दी से बाहर आ गया और ऐसे बैठ गया जैसे मुझे कुछ पता ही नहीं|| बस इतना पता चला की चाची और चाची मुझे कोई बेहोशी की दवा देने वाली हैं||
लेकिन में यह बात नहीं समझ सका कि वो दोनों मुझसे क्या चाहती? और में उसी वक़्त उनसे पूछ लेता|| लेकिन मुझे पता करना था कि वो करना क्या चाहती है|तभी जुबैदा चाची मेरे पास चाय का कप लेकर आ गयी और मुझे चाय पीने को कहा||
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पहले तो मैंने सोचा कि मना कर दूँ|| लेकिन फिर सोचा कि पता लगाना चाहिए कि आख़िर यह दोनों करना क्या चाहती है? फिर मैंने चाची के हाथ से चाय का कप लिया और चाची से कहा कि में चाय थोड़ी देर में पी लूँगा और फिर मुझे चाय देने के बाद चाची जैसे ही किचन में गयी||
में जल्दी से उठकर बाल्कनी में गया और चाय को बाहर एक कोने में गिरा दिया और जल्दी से वापस आकर सोफे पर बैठ गया और अब में बेहोश होने का ड्रामा करने वाला था और मैंने जानबूझ कर धीरे धीरे सोफे पर बेहोशी से गिरने का नाटक किया||
लेकिन थोड़ी सी आखें खुली रख ली| फिर मेरे सोफे पर गिरते ही किचन से जुबैदा चाची और चाची दौड़ती हुई बाहर आई और पूरा विश्वास कर लिया कि में ठीक से बेहोश हुआ या नहीं| फिर में उन दोनों की बातचीत सुन रहा था| जुबैदा चाची बोली कि|| लगता है बेहोश हो गया?
चाची : मुझे भी यही लगता है जुबैदा चाची|| लेकिन इसकी तो आखें थोड़ी खुली सी लग रही है|चाची : अरे कभी कभी बेहोशी में ऐसे ही आखें खुली रह जाती हैंजुबैदा चाची : तो फिर देर किस बात की? चलो जल्दी से इसे उठाकर बेडरूम में ले चलो||
बेडरूम का नाम सुनकर तो में बहुत चौंक गया|| लेकिन बेहोशी का ड्रामा जो कर रहा था इसलिए चुपचाप बिना कुछ हलचल किए लेटा रहा| तो जुबैदा चाची ने मेरे हाथ पकड़े और चाची ने मेरे पैर और इसी तरह वो दोनों मुझे उठाकर बेडरूम में ले गई और मुझे बेड पर लेटा दिया|
जुबैदा चाची , तो क्या फिर शुरू करे अपना काम?चाची, हाँ हाँ क्यों नहीं बहुत दिन हो गये किसी जवान लड़के से गांड मरवाए हुए और में तो अपनी तड़पती हुई गांड से बहुत दिनों से परेशान हो चुकी हूँ|| अब तो आज इसका पूरा इलाज करना ही पड़ेगा और इसको शांत करना होगा|
तो बस उनके मुहं से यह बात सुनते ही मेरे तो पूरे बदन में बिजली सी दौड़ गयी और मेरा तो मन कर रहा था कि कि तुरंत उठकर दोनों को रंगे हाथ पकड़ लूँ|| लेकिन में वैसे ही रहा था और उनका काम चलने दिया| फिर जो कुछ हुआ वो में कभी सोच भी नहीं सकता था||
उन दोनों ने मिलकर मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए|| जैसे ही मेरी शर्ट पेंट उतर गई|| जुबैदा चाची तो जैसे मुझ पर बहुत बरसों से भूखी हो|| वो एकदम कूद पड़ी और मेरे गालों को और मेरी छाती को चूमने लगी और अपनी जीभ से मेरे पूरे शरीर को चाटने लगी|
फिर मेरा तो लंड तुरंत ही अंडरवियर के अंदर तनकर खड़ा हो गया और उनको सलामी देने लगा|| तभी चाची ने जुबैदा चाची से कहा कि अरे जुबैदा इसका लंड तो तुरंत ही टाईट हो गया|| यह पक्का बेहोश तो है ना?
तो जुबैदा चाची जो कि अब तक पूरे मूड में आ चुकी थी|| उन्होंने चाची की बात पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया और चाची से कहा कि बेहोशी में भी इन्सान का दिमाग़ काम करता है और लंड खड़ा हो जाता है|| तो ज्यादा इन बातों पर ध्यान मत दो और अपना काम शुरू करो|
तो चाची ने भी उनकी बात मान ली और चाची ने जैसे ही मेरी अंडरवियर उतारी तो जुबैदा चाची और चाची तो मानो किसी भूखी बिल्लियों की तरह मेरे लंड पर झपट पड़ी|तभी मेरे तो मुहं से चीख निकलते निकलते ही रह गई |
जुबैदा चाची मेरे लंड को अपने मुहं में एक बार में ही पूरा लेकर चूसने लगी और चाची मेरी गोलीयाँ मुहं में लेने लगी और धीरे धीरे सहलाने लगी और अब मेरी तो हालत एक अधमरे शेर जैसी हो गयी|| जैसे कि शिकार मेरे सामने हो||
लेकिन में कुछ कर नहीं सकता था| में तो बस चुपचाप पड़ा रहा और तभी थोड़ी देर तक यह सब करने के बाद जुबैदा चाची ने अपने और चाची के कपड़े उतारे और एक दूसरे को किस करने लगी और बूब्स को दबाने लगी और में थोड़ी सी आखें खुली रखकर यह सब कुछ देख रहा था|
तभी थोड़ी देर के बाद जुबैदा चाची मेरे ऊपर आई और जैसे ही उन्होंने मेरे लंड पर अपनी चूत को सेट करके धीरे धीरे दबाया तो मेरी आधी जान हलक तक आ गयी|| क्योंकि इससे पहले मैंने कभी किसी को नहीं चोदा था||
लेकिन किसी तरह से में अपने आपको संभलकर लेटा रहा और फिर क्या था? जुबैदा चाची तो मेरे लंड से अपनी चूत चुदवाने लगी| तभी में इस दर्द से मन ही मन चीख रहा था कि चाची ने अपनी चूत मेरे मुहं पर रख दी और घिसना शुरू कर दिया||
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मेरा मन तो बहुत किया कि अपनी जीभ से चाची की चूत का रस चाट लूँ|| लेकिन में एकदम चुप रहा| फिर कुछ देर तक जुबैदा चाची ने मेरे लंड से अपनी चूत को उछल उछलकर चुदवाया और फिर वो नीचे उतार गई और चाची अपनी प्यासी चूत को लेकर मेरे लंड पर सवार हो गई
अब मेरे मुहं पर चाची की चूत का नंबर आ गया|| लेकिन इस बार जो जुबैदा चाची की चूत का स्वाद मुझे मिला वो चाची की चूत से कई बेहतर था|| वाह अभी भी वो बात सोचकर मुहं में पानी आ जाता है|
फिर इतना होने के बाद भी दोनों रुकी नहीं|| इस बार जुबैदा चाची ने तो हद ही कर दी|| उन्होंने तो इस बार अपनी एकदम चिकनी सी गांड ही मेरे लंड पर रख दी और अब तो मुझसे रहा नहीं जा रहा था|| लेकिन जुबैदा चाची की गांड में मेरा लंड जा ही नहीं रहा था||
तो चाची ने उन्हे लंड पर से उठाया और मेरे लंड को चूसा|| लेकिन फिर भी वो नहीं घुसा तो वो उठकर गई और उस पर कोई तेल लाकर लगाया| फिर जुबैदा चाची से कहा कि तुम अब ट्राई करो और फिर उन्होंने वैसे ही किया |
अब की बार मेरा लंड जुबैदा चाची की गांड में चिकना होने की वजह से एक ही बार में फिसलकर चुपचाप से चला गया और जुबैदा चाची की एक जोरदार चीख निकल पड़ी और साथ ही मेरी भी|| लेकिन में अपने मन ही मन में चीख रहा था|
फिर बस थोड़ी देर गांड मरवाने के बाद जुबैदा चाची थक गयी और मेरे लंड का पानी भी जुबैदा चाची की गांड में निकल गया और लंड एकदम ढीला पड़ गया और तब जाकर जुबैदा चाची मेरे लंड पर से उठी||
लेकिन इतने पर भी उन दोनों को शांति नहीं मिली| चाची तो अब भी मेरे लंड को लोलीपोप की तरह ज़ोर ज़ोर से चूसे जा रही थी और आख़िरकार दो घंटे के बाद दोनों की आग शांत हो गयी और वो दोनों बहुत थककर पसीने से नहाकर मेरे अगल बगल में लेट गयी|
फिर कुछ देर बाद मेरा लंड फिर से एक बार और टाईट हो गया तो अब की बार मुझसे रहा नहीं गया और मेरे सब्र का बाँध टूट गया और में तुरंत उठकर खड़ा हो गया और फिर मुझे होश में देखकर तो मानो जुबैदा चाची और चाची की जान ही निकल गयी |
उनके मुहं से तो हल्की सी चीख भी निकल गयी और जुबैदा चाची ने कहा कि अरे इरफान तो क्या तुम इतनी देर से बेहोश नहीं थे? तो मैंने कहा कि हाँ चाची में तो एकदम पूरे होश में था और जब आप दोनों बारी बारी मेरे लंड से अपनी चूत को चुदवा रही थी |
अब जब की मैंने आप दोनों को रंगे हाथ पकड़ लिया है तो अब मुझे तो इनाम चाहिए ही|| फिर क्या था?फिर हुआ वही जो में चाहता था| ज़िंदगी में मिले उस पहली चुदाई के मौके को में कैसे छोड़ देता|
मैंने उसका जमकर फायदा उठाया और जुबैदा चाची और चाची को जमकर बारी बारी से चोदा| बस फिर क्या था? मैंने उस दिन उन दोनों को करीब तीन घंटो तक लगातार चोदा|| कभी चाची की गांड मारी तो कभी चाची की चूत और कभी उनके मुहं में झड़ता |
तो वो दोनों एक एक करके मेरे लंड को चूसकर साफ कर देती और कुछ देर में फिर से खड़ा कर देती| मैंने दोनों की चूत और गांड मार मारकर लाल कर दी थी| मैंने उनको हर तरह से चोदा|| कभी घोड़ी बनाकर तो कभी खड़े खड़े||
दोस्तों उस दिन को आज पाँच साल हो गये हैं|| पर आज भी में जुबैदा चाची और चाची दोनों को मौका देखकर एक साथ तो कभी अलग अलग चोदता हूँ और उनकी चूत की आग को ठंडा करने की कोशिश करता हूँ||
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