desi sex stories : मेरी सभी दोस्तों खड़े लौड़ों को और गीली चूतों को मेरा यानि अमित का प्रणाम| मैं दिल्ली से हूँ और मेरी उम्र अभी 26 साल है| सब लोग अपनी अपनी सच्ची कहानी लिखते हैं तो मैंने सोचा कि क्यों न मैं भी अपनी एक वास्तविक घटना लिख दूं
जिसने मेरी ज़िंदगी को एक नए मोड़ पर लाकर रख दिया है| यह कहानी तब की है हमने रोहिणी में एक नया घर लिया था| घर उसी कॉलोनी में था जिस कॉलोनी में हम पहले किराए पर रहते थे|
चूंकि मैं B.A की पढ़ाई कर रहा था तब किराया बहुत हो जाता था तो हमने खुद का घर ले लिया| घर ढूँढने में मेरे पिताजी के सहकर्मी की बीवी ने हमारी सहायता की और उनके बाजू वाली बिल्डिंग में ही हमें एक घर मिल गया|
घर बहुत अच्छा था और मेरे पिताजी काम के सिलसिले में कभी कभार बाहर जाते थे | वैसे ही चाची, जिन्होंने हमें घर ढूंढने में मदद की थी, उनके पति साल में 10 महीने बाहर रहते थे तो उनको भी मेरा सहारा मिल गया|
चाची का नाम मालती था |जो कि बहुत कामुक औरत थी और मालती चाची ही इस कहानी की मुख्य नायिका है| चाची यहां रोहिणी में अकेली ही अपनी दो लड़कियों के साथ रहती हैं |
जिनमें से एक जॉब करती है जो मेरे से बड़ी है और दूसरी मेरे से 1 साल छोटी है वो जीव विज्ञान की पढ़ाई करती है| दोनों लडकियां मोटी सी हैं देखने में मगर शेप में हैं और एक भरे शरीर की मालकिन लगती हैं|
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दोनों के बूब्स इतने सुडौल और बड़े हैं कि टॉप में से झांकते उनके कबूतर किसी का भी लौड़ा खड़ा कर देंगे| गांड का तो पूछो मत, इतनी मोटी और कड़क गांड है उनकी कि चलती है तो ऐसा लगता है जैसे अपने पास बुला रही हो|
तो दोस्तो, अब मेरी कहानी शुरू होती है| हमने नया घर ले लिया था और घर में सब सेट हो गया था| इस काम में चाची ने बहुत मदद की और अब मम्मी-पापा मुम्बई रहते थे|
मुझे रोहिणीमें सेट करने के बाद वो वापस मुंबई चले गये| घर पर मैं अकेला रह गया| मगर अभी एक समस्या बस खाने की रह गयी थी| मेरे घर में अभी तक मेरा खुद का गैस सिलेंडर नहीं था |
इसलिए चाची ही मेरा सहारा थी| उन्होंने खुद ही बोल दिया था कि जब तक तुम्हारा अपना खुद का गैस सिलेंडर नहीं आ जाता है तो तब तक तुम मेरे घर पर आकर खाना खा सकते हो|
चाची मेरे ऊपर काफी प्यार लुटा रही थी| उन्होंने साफ ही बोल दिया था कि जब भी तुम्हें किसी भी चीज की जरूरत पड़े तो मुझे बता दिया करो| इस प्रकार चाची के कहने पर मैं उनके घर पर ही खाना खाने के लिए जाने लगा|
इस तरह से चाची के साथ मेरी नजदीकी और भी बढ़ गई थी क्योंकि जहां पर खाने तक बात पहुंच जाती है तो फिर ज्यादा कुछ और औपचारिकता नहीं रह जाती है|
मुझे भी चाची अपनी सी लगती थी| चाची भी मुझे अपने ही परिवार के सदस्य की तरह रखने लगी थी| मैं भी बेहिचक उनके घर पर चला जाया करता था| इस तरह से उनके घर पर मेरा आना-जाना काफी बढ़ गया था|
दोस्तो, एक बात मैं आपको बता दूं कि मुझे बातें करने की आदत बहुत ज्यादा है| इसलिए चाची के साथ हर वक्त मेरी कुछ न कुछ बात चलती ही रहती थी| इसी कारण से चाची और मेरे बीच में बहुत सारी बातें होती रहती थीं|
चाची का भी अच्छा टाइम पास हो जाता था मेरे साथ में बातें करते हुए| चूंकि वो घर पर अक्सर अकेली होती थीं तो उनका भी समय कट जाता था और इस दोनों ही काफी घुल-मिल गये थे|
फिर एक दिन एक अनहोनी हो गई| दोस्तो कुछ यूं हुआ कि चाची अपने घर पर अकेली ही थी| न जाने कैसे रसोई में उनका पैर फिसल गया और वो गिर गयी| किसी तरह उन्होंने मुझे फोन किया तो मैं तुरंत उनके घर पर पहुंच गया|
घर पर पहुंचने के बाद मैंने देखा कि चाची नीचे फर्श पर ही पैर पकड़ कर बैठी हुई थी| मैंने जाकर चाची से पूछा तो उन्होंने बताया कि उनके पैर में मोच आ गई है और उनको बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है|
मैंने चाची के बताने पर एक स्प्रे उनके पैर पर लगाया| स्प्रे करने के बाद मैंने चाची को उठने के लिए कहा क्योंकि गर्म खून में उठना आसान होता है| इसलिए चाची ने उठने की कोशिश की|
लेकिन चाची से अब भी नहीं चला जा रहा था| चाची ने उठने की कोशिश की तो उनके पैर में अभी भी बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था| फिर मैंने खुद ही चाची की उठने में मदद की|
चाची ने मेरे कंधे पर हाथ रखा मेरे सहारे से वो धीरे-धीरे उठ कर चलने लगी| चाची को मैं उनके बेडरूम की तरफ लेकर गया ताकि वो उनको आराम से बेड पर लिटा कर आराम करने के लिए कह सकूं|
चाची मेरे सहारे से चल कर अपने बेडरूम तक पहुंच गई| अंदर बेडरूम में ले जाने के बाद मैंने चाची को धीरे से बेड पर बैठा दिया| चाची ने मुझसे कहा- शायद तुमने घर का दरवाजा खुला ही छोड़ दिया है|
तो मैंने चाची के कहने पर जाकर घर का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया| अभी चाची को मेरी जरूरत थी इसलिए मैं भी चाची के पास ही रुकना चाह रहा था|लेकिन दोस्तो अभी तक न तो चाची के ही मन में और न ही मेरे ही मन में कुछ गलत विचार आये थे|
मैं घर का दरवाजा अंदर से लॉक करके वापस चाची के पास आ गया| चाची बेड पर लेटी हुई थी| चाची ने मैक्सी पहनी हुई थी| लेकिन उनकी मैक्सी ऊपर तक उठ गई थी|
जब मैं रूम में घुस रहा था तो पहली बार मेरी नजर चाची के आधे नंगे पैरों पर गई| एक टांग पर से तो मैक्सी जांघ तक पहुंच गई थी| यह देख कर मेरे मन में कुछ होने लगा था|
चाची की जांघें काफी गोरी थीं| मैंने चाची का पैर देखने के बहाने से चाची के पैरों को छूकर देखा| चाची की जांघें काफी मुलायम सी थीं| चाची आंखें बंद करके पड़ी हुई थी|
मेरे अंदर अब हवस जागने लगी थी| मैंने बहाने से चाची की मैक्सी को थोड़ी सी और ऊपर सरका दिया तो चाची की जांघों के बीच में उनकी जालीदार कच्छी के अंदर उनकी चूत छिपी हुई थी|
उसको बाहर से देखने मात्र से मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया| चाची का एक पैर मेरी जांघ पर रखा हुआ था| लेकिन चाची के पैर के पास ही मेरे लंड में कसाव आना शुरू हो गया था |
मेरा लंड एक मिनट के अंदर ही पूरा तन गया था| मैंने चाची का पैर थोड़ा सा और सरका दिया तो चाची का पैर मेरे खड़े हुए लंड से टच हो गया| पैर जैसे ही मेरे लंड पर टच हुआ |
तो मेरे लंड एक झटका मार दिया और चाची ने आंखें खोलकर बहाने से मेरे लंड की तरफ देखा| चाची ने मेरे खड़े हुए लंड को देख लिया था| उनको पैर से भी पता चल रहा था |
कि मेरा सांप अंदर ही उनकी गुफा में घुसने के लिए तड़प उठा है| इसलिए चाची ने एक बार देख कर दोबारा से अपनी आंखें बंद कर लीं और मैं चाची के पैर की मालिश करता रहा |
मेरे हाथ चाची की जांघों तक पहुंच रहे थे और चाची मेरे हाथों की मालिश के मजे ले रही थी| मैंने जान बूझ कर थोड़ा सा तेल उनकी जांघों पर ऊपर तक डाल दिया|
चाची ने घुटनों से अपने पैर मोड़ लिये थे इसलिए चाची की जांघों के ऊपर से बहता हुआ तेल उनकी चूत पर जाने लगा था| मैं भी तो यही चाह रहा था कि तेल चाची की चूत की तरफ बह कर चला जाये ताकि मुझे चूत के करीब तक मालिश करने का मौका मिल जाये|
जब तेल चाची की चूत तक पहुंच गया तो चाची ने एक सिसकारी सी ली| मैं समझ गया कि मेरा तीर निशाने पर लगा है| मैंने धीरे से मेरी तीन उंगलियां उनकी जांघ पर घुमाईं और सीधी उनकी पैंटी तक लेकर गया|
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लेकिन मैंने चूत तक हाथ पहुंचने से पहले ही अपने हाथ को बीच में ही रोक दिया| मैं भी चाची को पूरी तरह से गर्म होते हुए देखना चाहता था| कई मिनट तक मैं ऐसे ही करता रहा|
मैं चाची की चूत तक हाथ को ले जाता था और बीच में ही रोक देता था| चाची की सिसकारियां धीरे-धीरे बाहर आ रही थीं| जब चाची काफी गर्म हो गई तो चाची के पैर ने हल्का सा दबाव मेरे लंड पर बनाना शुरू कर दिया|
यह मेरे लिए अच्छा संकेत था कि चाची मेरे लंड के लिए गर्म हो चुकी है| वो बार-बार अपने पैर को मेरे लंड पर दबा रही थी लेकिन पूरा नहीं दबा रही थी बस हल्का सा ही प्रेशर दे रही थी |
चाची भी मेरे खड़े लंड का मजा ले रही थी| जब भी चाची का पैर मेरे लंड पर लगता था तो मेरा लंड झटका सा दे देता था |चाची पूरी गर्म हो चुकी थी| उन्होंने अपनी जांघों को थोड़ी सी और फैला दिया था |
मुझे अब चाची की मैक्सी के अंदर चूत की घाटी काफी साफ नजर आने लगी थी| मैंने धीरे चाची की चूत के पास तक उंगलियां फिरानी शुरू कर दीं|चाची के पैर ऊपर उठे होने के कारण ऊपर चल रहे पंखे की हवा भी चाची की चूत पर लग रही थी |
चाची की मैक्सी हवा में और सरक कर चाची की चूत को बेपर्दा करने में लगी हुई थी| धीरे-धीरे करके चाची की मैक्सी पूरी पेट पर जाकर सिमट गई लेकिन चाची ने अपनी मैक्सी को ऊपर नहीं किया |
ऐसे ही उनके पेट पर पड़ी रहने दिया| वो मुझे अपनी पैंटी के दर्शन करवा रही थी| चाची की जांघों के बीच में उनकी गुलाबी जालीदार पैंटी के अंदर चाची की फूल रही चूत मुझे दिखाई देने लगी थी|
अब मुझसे भी कंट्रोल करना मुश्किल होता जा रहा था| मैंने चाची की चूत तक अपनी उंगलियां पहुंचानी शुरू कर दीं| चाची की सिसकारियां भी तेज होने लगीं| चाची ने अपनी जांघों को और चौड़ी करके खोल दिया|
चाची की पैंटी अब मुझे बिल्कुल ही करीब से दिखाई देने लगी| चाची की फूली हुई चूत को देख कर मन कर रहा था कि बस चाची की चूत को नंगी करके अपने दांतों से काट ही लूं|
लेकिन मुझे भी चाची को गर्म करने और उनके लंड लेने के लिए तड़पाने में बहुत मजा आ रहा था| इधर मेरे लंड का हाल भी चाची की पैंटी के अंदर कैद बेहाल चूत को देख कर बुरा हो चला था|
मेरे लंड ने मेरी पैंट पर निशान बना दिया था और चाची अब मेरे लंड को पहले से ज्यादा जोर से दबाने लगी थी| मैं समझ गया था कि लोहा अब एकदम से पूरा गर्म हो ही चुका है और अब अपना वार करने का टाइम भी हो गया है|
मैंने चाची की पैंटी की तरफ हाथ बढ़ाया और पैंटी को खींच कर एक तरफ कर दिया तो चाची की चूत के दर्शन मुझे हो गये| चाची भी इसी पल के इंतजार में थी कि कब मैं उनकी चूत की तरफ अपना हाथ बढ़ाऊंगा|
चाची की चूत देखते ही अब मुझसे भी रहा न गया और मैंने चाची की गीली हो रही चूत पर अपने होंठों को ले जाकर रख दिया तो चाची सिहर उठी| मेरे होंठों के छूने से ही चाची कसमसा गई|
चाची ने अपने हाथों को मेरे सिर पर लगा लिया और मेरे सिर को अपनी चूत की पंखुड़ियों पर दबा दिया| मैंने मुंह खोल कर जीभ निकाली और सीधी चाची की चूत में घुसा दी|
चाची जोर से सिसकारने लगी| अब बात दोनों के ही काबू से बाहर हो गयी थी| मैं उनकी गुलाबी चूत के अंदर जीभ को डाल कर उनकी चूत का रस चूसने में मस्त हो गया था|
चाची भी पागल सी हो उठी थी| वो बार-बार मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबा रही थी| फिर मैंने चाची की मैक्सी के अंदर हाथ डाल कर उनके पेट से होते हुए उनके चूचों तक हाथ ले गया|
मैंने उनकी ब्रा के ऊपर से उनके चूचों को दबा दिया| चाची ने मेरे हाथों को अपने हाथों से दबा लिया और अपने चूचों को दबाने लगी| जब चाची से रहा न गया तो वो उठ गई |
मेरे होंठों को चूसते हुए मेरे कपड़ों को खोलने लगी| साथ में ही चाची मेरे लंड को पैंट के ऊपर से पकड़ कर सहला रही थी| दो मिनट के अंदर ही चाची ने मुझे पूरा नंगा कर दिया|
मैंने चाची की मैक्सी को उतार दिया और फिर उसकी चूत को चाटने के लिए नीचे झुका तो चाची ने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया| वो मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगी |
मुझे अपने साथ 69 की पोजीशन में लेटा लिया| मैंने चाची की गर्म चूत में जीभ डाल दी और चाची ने मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया| मैं चाची की रसीली चूत को चाटने लगा और चाची मेरे लंड को चूसने लगी|
हम दोनों ही मस्ती में खोने लगे| चाची भी पूरे मजे से मेरे लंड को चूस रही थी|फिर मैं उठ कर रसोई में चला गया| वापस आया तो चाची अपनी चूत को अपने हाथ से ही रगड़ रही थी|
मैंने चाची की जांघों को अपने होंठों से चूमते हुए फिर से उनको किस किया और चाची ने मेरे लंड को मुंह में ले लिया| जब मैंने चाची की चूत पर ले जाकर अपना मुंह खोला तो चाची चिल्ला उठी|
मेरे मुंह के अंदर से मैंने छोटा सा बर्फ का टुकड़ा चाची की चूत पर छोड़ दिया था| चाची की चूत गर्म थी और चाची को इस बात का अंदाजा नहीं था कि मेरे मुंह में बर्फ भी हो सकती है|
उसने जोर से मेरे मुंह को अपनी चूत में दबा दिया| चाची की चूत गर्म भी थी और मेरे ठंडे होंठों के लगने से और भी ज्यादा गर्म हो गई थी| अब चाची लंड को अंदर डालने की विनती करने लगी|
मगर अभी मैं चाची को और ज्यादा तड़पाना चाह रहा था मुझे चाची को तड़पते हुए देख कर बहुत मजा आ रहा था| इधर मेरे लंड का भी बुरा हाल था| फिर मैंने चाची की चूत में अपनी दो उंगलियां घुसा दीं |
तेजी से चाची की चूत में उंगलियों से चुदाई करने लगा| चाची की चूत में उंगली करके मैंनेमालती चाची को पागल कर दिया| फिर चाची ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया|
चूंकि ये सब अचानक ही हो रहा था तो कंडोम इस्तेमाल करने का तो कोई सवाल ही नहीं था| मेरा लंड चाची की चूत पर टच हो गया| चाची जल्दी से लंड को चूत में लेने के लिए उतावली हो उठी थी|
लेकिन मैं चूत के बाहर ही लंड को रगड़ता रहा| तभी चाची ने बताया कि उनको पेशाब लग आया है| मैंने माहौल को और गर्म करने के लिए चाची से कहा कि यहीं पर कर दो चाची |
चाची को भी ये अच्छा आइडिया लगा| मैंने चाची के चूत के चीरे पर अपना लंड रगड़ना चालू कर दिया| चाची ने मेरे लंड के ऊपर ही पेशाब कर दिया| उनके गर्म पेशाब से मेरा लंड भीग गया|
अब मेरे अंदर और ज्यादा जोश आ गया| पेशाब की धार बंद होते ही मैंने चाची को नीचे गिरा दिया और अपना लंड चाची चूत पर लगाकर उनको जोर से चूसने लगा| मैं चाची के होंठों को चूसते हुए अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा|
चाची ने नीचे हाथ ले जाकर मेरे लंड को पकड़ लिया और मेरे लंड को खुद ही अपने हाथ के सहारे से अपनी चूत के मुंह पर लगा कर मुझे अपने ऊपर जोर से खींच लिया|
चाची की चूत गीली थी इसलिए लंड गच्च से अंदर चला गया| अब दो बदनों का मिलन हो चुका था| मेरे लंड को लेकर चाची की चूत फैल गई थी| चाची ने मुझे जोर से किस करना शुरू कर दिया|
सेक्सी मामी की जोरदार चुदाई – Sex Stories in Hindi
चाची के नाखून मेरी पीठ पर गड़ गये| वो मेरी गर्दन को चूमने लगी| मैं भी चाची की चूत में लंड अंदर बाहर करने लगा| हेमा चाची की चूत की गर्म चुदाई चालू हो गई थी|
अब दोनों को स्वर्ग का सा मजा आने लगा था| चाची मस्ती से भर गई थी और अपनी गांड को उछाल कर मेरे लंड को पूरा अपनी चूत में ले रही थी|उनके मुंह से जोर की चीखें निकल रही थीं |
करो चोद दो मेरी चुत को, फाड़ डालो इसको, भर दो अपने वीर्य से इसको उम्म्ह… अहह… हय… याह…चाची ने मुझे और जोर से चुदाई करने के लिए उकसा दिया| मैं अब ज्यादा जोर से चाची की चूत को पेलने लगा| मेरा लंड पूरा कड़क हो गया था|
अब मैं ज्यादा देर नहीं रुकने वाला था| इस बीच में चाची ने अपने पैर से और हाथों से मेरे को कस कर पकड़ा और ‘हहहहह’ चिल्ला के झड़ गई| बहुत दिनों से सेक्स न करने के वजह से बहुत पानी निकला उसका और मेरा लंड उस पानी में पूरा भीग गया|
लेकिन अभी भी मैंने चाची की चूत की ठुकाई चालू रखी| फिर दो मिनट के बाद मेरे लंड ने भी अपना लावा चाची की चूत में निकाल दिया|हम दोनों के बदन पसीने से तर-बतर हो गये थे| फिर हम दोनों शांत हो गये|
मेरी ये सेक्सी कहानी और नया लिखने का प्रयोग कैसा लगा? कमेंट जरूर कीजियेगा| कोई चूक हो गयी हो तो माफ कर देना| अगर कहानी पसंद आई हो तो अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करें। हमारी वेबसाइट fungirl.in आपके लिए ऐसी ही मजेदार चुदाई की कहानियां लाती रहेगी।
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