Chachi Ki Chudai :मित्रो, मेरा नाम सनी है|मैं 24 साल का हूं और ग्रेजुएशन का छात्र हूं|मेरा कॉलेज मेरे गांव से 15 किलोमीटर की दूरी पर है|मैं अक्सर अपने गांव से ही कॉलेज अप डाउन करता हूं लेकिन कभी,कभी अपने दोस्त के घर पर रुक जाता हूं|
उसका घर खाली ही रहता था|मुझे 38 प्लस की बड़ी उम्र की औरतें भाभियां या आंटियां बेहद पसंद हैं|मुझे उनका भरा भरा बदन, बड़े बड़े दूध, चौड़ी गांड बहुत मस्त लगती है|जब वे चलती हैं, तो मुझे मदहोश कर देती हैं|
यह गरम चाची चुदाई कहानी मेरी ग्रेजुएशन के पहले वर्ष की है|हुआ यह कि एक दिन मैं अपने गांव से कॉलेज जा रहा था|तभी मेरे सामने वाली चाची ने आवाज दी, बेटा कहां जा रहे हो, क्या शहर जा रहे हो?
तो मैंने कहा, चाची , मैं शहर में अपने कॉलेज जा रहा हूं|चाची ने कहा, बेटा मुझे भी साथ ले चलो| मुझे स्टेशन छोड़ देना| मैं अपनी बेटी के घर जा रही हूं|यानि चाची को शहर के स्टेशन से ट्रेन पकड़ कर अपनी बेटी की ससुराल जाना था|
मैंने कहा, ठीक है चाची चलिए, मैं आपको स्टेशन छोड़ दूंगा|यह कहकर मैं मन ही मन खुश होने लगा क्योंकि इन चाची को रोज देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता था और मैं उसको मसल कर शांत कर देता था|
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पर आज मुझे मन ही मन बहुत खुशी हो रही थी कि चाची को अपनी गाड़ी पर बैठा कर ले जाऊंगा|मेरा लंड तो यह सोच सोचकर ही उफान मारने लगा था|थोड़ी ही देर में चाची तैयार होकर आ गईं|वे लाल साड़ी में आई थीं और कयामत ढा रही थीं|
मेरा लंड तो उनको देखते ही बेकाबू हो गया और पैंट के अन्दर ही तूफान मचाने लगा|मैंने अपने लंड को समझाया और धीरे से दबाकर शांत किया|फिर मैं चाची से बोला, चाची बैठो, चलते हैं| आप ठीक से पकड़ लीजिएगा, रास्ता खराब है|
चाची बैठ तो गईं लेकिन वे मुझसे दूर होकर बैठी थीं|मैंने चाची से फिर से कहा, ठीक से बैठ जाओ|पर चाची ने मेरी बात नहीं सुनी|इतने में मेरे सामने एक गड्डा आ गया और मैंने जोर से ब्रेक मारा|इस वजह से चाची एकदम से हड़बड़ा गईं|
वे मेरे ऊपर को आ गईं और उनकी चूचियां मेरी पीठ से टकरा गईं|वाओ … क्या अहसास था|उनके दूध मेरी पीठ से टकराए तो मैंने चाची से कहा, आप मुझे पकड़ लीजिए| वरना आप गिर जाएंगी और चोट लग जाएगी|उन्होंने मुझे कमर से जकड़ लिया|
अब जहां भी गड्डे आ रहे थे, मैं जानबूझ कर ब्रेक लगा रहा था|उस वजह से चाची के दूध मेरी पीठ से टकरा जाते और मुझे एक अनजाना सा रगड़ सुख मिल जाता|सच में बहुत मजा आ रहा था|मैं और चाची धीरे,धीरे बात करने करते हुए चलने लगे|
मैंने चाची से पूछा, कहां जा रही हैं?चाची ने कहा, बताया तो था बेटा कि मुझे अपनी बड़ी बेटी की ससुराल जा रही हूँ| उसकी तबीयत थोड़ी खराब है|मैंने कहा, हां हां …आपने बताया था|हम दोनों ऐसे ही बात करते करते चलते रहे|
थोड़ी देर में हम शहर पहुंचने वाले थे तो चाची ने कहा, बेटा मुझे सीधे स्टेशन छोड़ दो, फिर तू अपने कॉलेज चले जाना|मैंने कहा, ठीक है चाची |तब मैंने बाइक स्टेशन की तरफ घुमा ली और स्टेशन पहुंचकर चाची को छोड़ दिया|
चाची ने कहा, ठीक है अब तुम जाओ बेटा|मैंने बाइक को खड़ी करते हुए कहा, चाची , मैं आपको प्लेटफार्म तक छोड़ देता हूं|यह कहते हुए मैंने उनका सामान उठाया और उनके साथ प्लेटफार्म तक चला गया|
प्लेटफार्म पर जाने के बाद पता चला कि उनकी ट्रेन तो 2 घंटे लेट है|मैंने चाची से कहा, चाची , आप यहीं पर प्रतीक्षा करेंगी क्या?तो चाची बोली, हां बेटा, और कोई तो रास्ता भी नहीं है| इंतजार तो करना ही पड़ेगा| अब तुम जाओ बेटा और मैं यहीं पर इंतजार करूंगी|
मैंने कहा, मेरा भी कॉलेज जाने का मन नहीं है| मैं अब अपने दोस्त के घर जाऊंगा और वहीं आराम करूंगा| एक घंटा के बाद वाली क्लास अटेंड करने कॉलेज जाऊंगा| आप चाहें तो मेरे साथ मेरे दोस्त के घर चल कर आराम कर सकती हैं| मेरे दोस्त का घर पास में ही है|
जब ट्रेन आने वाली होगी तो मैं आपको स्टेशन छोड़ दूंगा|चाची ने कहा, नहीं बेटा, मैं यहीं इंतजार कर लूंगी|मैंने फिर से जोर देते हुए कहा, कोई दिक्कत नहीं है चाची | आप चलकर वहां आराम कर लीजिएगा| मैं आपको 2 घंटे के बाद वापस स्टेशन छोड़ दूंगा|
चाची ने हां में सर हिला दिया|मैंने उनका सामान फिर से उठा लिया और बाहर अपनी बाइक की तरफ चल दिया|बाइक के पास पहुंच कर मैंने चाची को गाड़ी पर बैठाया और बैग को उनकी गोदी में रख दिया|अब मैं अपने दोस्त के घर की तरफ चल दिया|
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दोस्त के घर पहुंच कर मैंने दरवाजा खोला|तो चाची ने कहा, बेटा, क्या यहां कोई रहता नहीं है?मैंने बताया, नहीं चाची , मेरा दोस्त रहता है| उसके मम्मी पापा बाहर जॉब करते हैं| इसलिए वह इधर अकेले ही रहता है|
हां, मैं कभी,कभी आ जाता हूं … तो मैं भी रह लेता हूं| इस टाइम वह अपने मम्मी पापा के पास गया है इसलिए अभी कोई नहीं है| वह दो,चार दिन में आ जाएगा|यह कहते हुए मैंने घर का ताला खोला और चाची को अन्दर चलने के लिए कहा|
मैं चाची को अपने दोस्त के बेडरूम में ले गया जहां पर मैं भी आराम करने आ जाता था|मैंने चाची से कहा, बैठिए चाची |वे बेड पर बैठ गईं|फिर मैं अन्दर किचन में गया और चाची के लिए पानी व बिस्किट ले आया|चाची ने पानी पिया बिस्किट खा लिए|
फिर वे दोनों पैर ऊपर करके बेड पर बैठ गईं और आराम करने लगीं|मैंने कहा, अरे आप आराम से लेट जाइए| इधर कोई नहीं है| आप बेफिक्र होकर आराम कर लीजिए|नहीं बेटा, ठीक है|’मैं, अरे आप संकोच मत करें चाची |
आराम से लेट कर अपनी थकान मिटा लीजिए| मैं अन्दर जाकर कपड़े चेंज कर लेता हूं|अन्दर जाकर मैं अपने कपड़े उतारने लगा और यह भी सोचने लगा कि चाची को चुदाई के लिए कैसे पटाया जाए|
यही सब सोचते हुए मैंने अपना अंडसनी यर भी उतार दिया और बिना चड्डी के एक लोवर पहन लिया|इससे मेरा लंड एकदम आजाद हो गया|लंड एकदम खड़ा था और लोअर में तना हुआ दिख रहा था|मैंने अपने मन को समझाया और लंड दबा कर शांत किया|
फिर अन्दर कमरे में जाकर चाची के पास बैठ गया|मैंने चाची से कुछ खाने के लिए पूछा तो चाची ने मना कर दिया|उन्होंने बोला, नहीं बेटा, मुझे भूख नहीं है| तुम भी लेट कर आराम कर लो|मैं भी चाची के पास बैठ गया|
चाची ने मुझे देखते हुए कहा, बैठे क्यों हो बेटा, तुम भी लेट जाओ|मैं वही चाची से थोड़ा दूर लेट गया और सोचने लगा कि चाची कितनी मस्त हैं यदि आज चाची चोदने के लिए अपनी चूत दे दें … तो मजा आ जाए|
यही सोचते सोचते मैं अपने लोअर की जेब में हाथ डालकर अन्दर अपने लंड को सहलाने लगा| लंड खड़ा होने लगा|मुझे ध्यान ही नहीं रहा कि चाची यह सब देख रही हैं|फिर मेरी नजर अचानक चाची की तरफ गई|
वे मेरी तरफ पैर करके लेटी थीं और मैं उनसे विपरीत दिशा की तरफ सिर करके लेटा था|चाची का पूरा ध्यान में मेरी टांगों के बीच में था|मेरे लंड में मेरे लोअर को टेंट जैसा बना रखा था|मैंने चाची को देखा|
उनका पूरा ध्यान मेरे उस हाथ पर लग गया था जो मैंने अपनी जेब में डाला हुआ था|यह देख कर मैंने अपना हाथ अपनी पेंट से निकाल लिया और चुपचाप लेट गया|लेकिन मेरा लंड खड़ा था|वाह री चाची … वे लगातार लौड़े को घूर रही थीं|
फिर मैंने एक करवट ले ली और अपना मुँह चाची की तरफ कर लिया|चाची के बूब्स बहुत बड़े बड़े थे और ब्लाउज से आधे बाहर की तरफ लटक रहे थे|यह देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया और मेरा हाथ एक बार फिर से मेरी पैंट के अन्दर चला गया|
मैं जोर,जोर से अपने लंड को दबाने लगा चाची यह सब देख रही थीं|पर मैं उनको ऐसा दिखा रहा था, जैसे मुझे नहीं पता कि वह मुझे ताड़ रही हैं|फिर मैं बाथरूम में चला गया और वहां जाकर दरवाजा पूरा बंद नहीं किया|
मेरे दोस्त के रूम में अटैच लैट्रिन बाथरूम इसलिए सीधे बाथरूम में जाकर दरवाजा खुला छोड़ कर मैं अपना लंड हाथ में लेकर हिलाने लगा|यह सब देख कर चाची बिस्तर से उठीं चुपचाप बाथरूम के पास खड़ी होकर मुझे देखने लगीं|
मैं जोर,जोर से लंड हिला रहा था और बाहर से चाची जी देख रही थी|मैंने ऐसा जाहिर किया मानो मुझे इसका कोई होश ही नहीं है|फिर मैंने अचानक एक आवाज सुनी, हॉट सनी … जरा नजर उठा कर इधर देखो!
चाची मेरे सामने खड़ी थीं और मेरे हलब्बी लौड़े को टकटकी लगाकर देख रही थीं|मैंने थोड़ा शर्माने का ड्रामा किया और कहने लगा, अरे व||वो ||चाची बोलीं, शर्मा क्यों रहा है| इसमें कोई गलत बात थोड़ी है| यह तो सभी करते हैं|
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उनके इतना कहते ही मैंने पूरा दरवाजा खोल दिया और अब मेरा पूरा लंड चाची के सामने था|वे सिर्फ मेरे लौड़े को ही घूरे जा रही थीं|फिर वे बोलीं, तुम्हारा तो बहुत बड़ा और मस्त है| इसको कुछ दिलाते भी हो या ऐसे ही करते रहते हो?
यह सुनकर मैं शर्माने लगा और बोला, अरे चाची , ऐसा कुछ नहीं है|चल झूठे मुझे देख देख कर इतनी देर से इससे लड़ रहा है और कुछ बोल नहीं पा रहा है| अरे मुझे भी तो ये सब चाहिए होता है| पूरे रास्ते भर तो तूने मेरे दूध मसले हैं और कब से मुझे गर्म भी कर रहा है|”
बस ये सब कहती हुई चाची बाथरूम में आ गईं|मैंने लंड अन्दर कर लिया था|उन्होंने मुझसे कहा, लंड बाहर निकालो, अन्दर क्यों कर लिया?
मैं थोड़ा शर्मा रहा था|चाची ने अपने हाथ से मेरे लंड को लोअर से बाहर निकाल लिया|
वे अपने हाथ में लंड लेकर सहलाती हुई बोलीं, वाह कितना बड़ा है तुम्हारा|यह कहते हुए वे मेरे लंड को सहलाने और मुठियाने लगीं|इससे मुझे जोश आने लगा|मैंने भी चाची के दूध पर हमला बोल दिया|
उनके दूध आधे से अधिक बाहर को झांक रहे थे, मैंने ब्लाउज में हाथ डाल कर उनके मम्मों को पूरा बाहर निकाल लिया|मैंने चाची से कहा, पी लूँ इनको?तेरे लिए ही हैं| पी ले न!’बस उनके यह कहते हुए मैं जोर,जोर से उनके दोनों मम्मों को बारी बारी से पीने लगा और मसलने लगा|
मैंने इतनी जोर से मसल रहा था कि चाची को दर्द हो रहा था|चाची के मुँह से कराह निकल रही थी|थोड़ी देर तक मैं चाची के दूध पीता रहा|तब तक चाची ने मेरी टी,शर्ट को उतार दिया था|लोअर मैंने सरका दिया था|अब मैं एकदम नंगा हो गया था|
मैंने भी दूध पीते पीते ही चाची का ब्लाउज खोल कर बाहर निकाल दिया था|उनकी साड़ी भी निकाल दी थी|अब चाची मेरे सामने ऊपर से एकदम नंगी थीं और नीचे से पेटीकोट में थीं|पेटीकोट उठाया तो उन्होंने चड्डी नहीं पहनी हुई थी|
चाची जी की बड़ी,बड़ी व काली झांटें साफ दिख रही थीं|मैं उनकी चूत के पास झांटों का जंगल देख कर एकदम से उत्तेजित हो गया और उनके पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया|पेटीकोट एकदम से नीचे गिर गया और चाची नंगी चूत सामने आ गई|
उनकी चूत पर काली झांटें थीं|मैं खुद को काबू नहीं कर पाया और सीधे चाची की चूत में अपना मुँह लगा दिया|अपनी जीभ से मैं चाची की चूत को बहुत जोर जोर से चाटने लगा|इससे चाची एकदम बेकाबू हो गईं और चिल्लाने लगीं
आह चाट ले बेटा चाट ले … बहुत दिन से से किसी का अन्दर ही नहीं गया है| इसका रस निकाल दो बेटा!मैंने कहा, आज मैं आपको पूरा सुख दूंगा चाची … आपकी चूत को चोद चोद कर लाल कर दूंगा| अपने लंड से आपकी चूत को चोद दूंगा|
चाची , आह बुझा दे मेरी बरसों की प्यास|मैंने कहा, हां मैं आज आप की बरसों की प्यास बुझा दूंगा और आपको बहुत प्यार दूंगा|चाची ने मुझसे कहा, बेटा, सब्र नहीं हो रहा| तुम पहले एक बार जल्दी से अपना मोटा लंड मेरी चूत में डाल दो और मेरी चूत का कल्याण कर दो|
मैंने बोला, ठीक है|चाची नीचे लेट गईं और उन्होंने किसी रांड की तरह अपनी दोनों टांगें फैला दीं|मैंने अपना लंड चाची की चूत पर रखा और झटका दे दिया|जिससे सुपारा चाची की चूत में घुस गया और चाची को दर्द हुआ क्योंकि चाची की चूत कई सालों से नहीं चुदी थी|
चाची दर्द में आ हां हां हां करने लगीं|मैंने कहा, चाची क्या हुआ?चाची बोलीं, बेटा, बरसों से प्यासी चूत सूख गई है … धीरे,धीरे पेलो, नहीं तो ये फट जाएगी|मैंने कहा, नहीं चाची , आज तो इसकी जमकर चुदाई होगी और इसकी बरसों की प्यास भी बुझ जाएगी|
यह कहते हुए मैंने एक और जोर का झटका दे दिया|इससे चाची की चूत में लंड घुसता चला गया|वे और जोर से चिल्लाईं, आह रुक जा बेटा … मारेगा क्या!मैंने कहा, नहीं चाची … आपको तो मैं चोद रहा हूँ … और आज तो जी भर के चोदूंगा|
तभी मैंने एक और झटका दिया और पूरा लंड चाची की चूत में समा गया|चाची की चीख निकल गई, आह आह मर गई … फाड़ डाली तूने … मेरी चुत!मैं डर गया कि कहीं वास्तव में चूत का काम तो नहीं उठ गया है| मैं अब थोड़ी देर के लिए रुक गया|
फिर कुछ देर बाद चाची कुछ शांत हुईं तो मैं फिर से झटके देने लगा और जोर जोर से चोदने लगा|चाची का दर्द भी शांत हो गया था और अब वे भी मजे ले रही थीं|कमर चलाती हुई मेरा साथ दे रही थीं|वे नीचे से गांड उठा उठा कर झटका भी लगाती हुई आह आह कर रही थीं|
मैं भी ऊपर से जोरदार झटके दे रहा था|लगातार 15 मिनट की चुदाई के बाद चाची झड़ गईं और बोलीं, बेटा अब रुक जा|पर मैं नहीं रुका और लगातार चाची को चोदता रहा|लगभग 30 मिनट बाद चाची एक बार फिर से झड़ गईं और मेरा भी माल निकलने वाला था|
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मैंने चाची से पूछा, चाची में झड़ने वाला हूं … क्या करूं?चाची ने कहा, बेटा अन्दर मत निकालना … बाहर निकाल दे| मैं तेरा माल भी पी जाऊंगी|मैं अपने लंड को चाची की चूत से बाहर निकाल उनके मुँह के पास ले गया|
चुदाई चाची ने जब मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और सारा माल अपने मुँह में गिरवा कर पी लिया|अब चाची बोलीं, बेटा, तेरे लंड का माल बहुत मीठा है, मुझे रोज पिला दिया कर|मैंने कहा, चाची , ये लंड आपकी सेवा में ही तैनात रहेगा|
जब मन किया करे, तब बुलाया कर पी लिया करो|अब गरम चाची ने मेरे लंड को लौड़े के एकदम साफ कर दिया और हम दोनों लोग बाथरूम से अपने कपड़े पहन कर बाहर आ गए|हम दोनों अब बिस्तर पर बैठ गाए थे|
मैंने चाची से पूछा, चाची कुछ खाएंगी?उन्होंने कहा, नहीं बेटा, खाऊंगी तो कुछ नहीं|मैंने पूछा, चाय बना लूं?उन्होंने कहा, हां बेटा चाय पी लूँगी, लेकिन चाय मैं बनाऊंगी|मैंने कहा, ठीक है चाची |मैं उनको किचन में ले और वहां वे चाय बनाने लगीं|
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