Muslim Sex Story: एक भरा पूरा सुखी परिवार था आतिफ का, उसकी उम्र 40 साल, उसकी बीवी जरीन 39 साल की थी, उनके 2 बच्चे सोहेल 21 साल और जिस्मीन 18 साल साथ में बच्चों के बड़े अब्बू करीब साठ साल के अब्दुल मियाँ !
अच्छा खासा कारोबार था आतिफ का, अब्दुल मियां ने ढलाई का कारखाना खोला था अपनी जवानी में, खूब पैसा कमाया था, खूब ऐश की थी। आतिफ उसी कारोबार को देखता था।खुले विचारों वाला परिवार था, घर में परदा नहीं था|
सोहेल और जिस्मीन तो होस्टल में रह कर पढ़ रहे थे।सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था कि अचानक उनके हंसते खेलते परिवार में एक हादसा हो गया। आतिफ की बीवी जरीन की मौत सीढ़ियों में फ़िसल कर सिर फ़टने से हो गई।
जैसे तैसे वक़्त कटने लगा गया। घर में खाना पकाने के लिए एक बुजुर्ग औरत रख ली।दो महीने बाद अब्दुल मियाँ ने आतिफ से कहा- मुझसे तेरा अकेलापन देखा नहीं जाता, तू अभी जवान है.. दूसरी शादी क्यों नहीं कर लेता|
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अब्बू के बहुत ज़ोर देने पर आतिफ ने दूसरी शादी कर ली, उसकी नई बीवी फातिमा की उम्र करीब 23 साल रही होगी ! लंबी चौड़ी काया, गोरी, भरी पूरी जवान लड़की थी फातिमा ! सोहेल और जिस्मीन भी नई अम्मी पाकर बहुत खुश थे।
शादी के कुछ दिन बाद बच्चे वापस चले गये और आतिफ भी दिन भर अपने ढलाई के कारखाने में मसरूफ़ रहता ,घर में सिर्फ़ ससुर अब्दुल और बहू फातिमा रह जाते थे !फातिमा पर तो अभी जवानी का पूरा जोर था|
पर उसका शौहर उससे लगभग दोगुनी उम्र का, सारा दिन काम में थक हार कर रात को आता तो वह फातिमा के जवानी से उबलते जिस्म की प्यास बुझा नहीं पाता था। इसलिए फातिमा कुछ उदास सी रहती थी।
अब्दुल मियाँ की पारखी नज़रों ने फातिमा की उदासी भांप ली और वो उसको खुश रहने की सलाह देने लगे कि ‘बहू बोला करो, पर भला बोलने से कहीं चूत की खुजली मिटती है।
शादी को छः महीने हो गये पर फातिमा की चूत की गर्मी बजाए ठंडी होने के और भड़कती जा रही थी। ऐसे में एक दिन उसने अपने सौहरे अब्दुल मियाँ का नहाते वक्त उनका तौलिया नीचे गिर जाने से उनका लंड देख लिया |
जो आकार में उसके शौहर के लण्ड से डेढ़ गुना बड़ा था यानी की पति का 5″ था तो उनका 7-8″ !उनका लंड देख कर फातिमा की प्यास और भड़क गई और उसके मन में अपने ससुर के प्रति गंदे विचार आने लगे।
पर बहू होने के नाते उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी पर उसने मन ही मन अपने ससुर से अपने बदन की प्यास बुझवाने की ठान ही ली थी।
पर अब्दुल मियाँ बहुत धार्मिक किस्म के थे। वो बात अलग है कि टीवी पर वो हमेशा ही नंगे-पुंगे प्रोगाम देखना पसंद करते थे।
अब फातिमा उनके सामने पल्लू नहीं लेती थी और झाड़ू-पौचे के वक़्त तो वो पूरी तरह से पल्लू गिरा देती थी जिससे उसकी चूचियाँ साफ़ नज़र आती थी, पर अब्दुल मियाँ उस तरफ देख कर फ़ौरन ही नज़र घुमा लेते थे।
पर फातिमा ने भी ठान ही लिया कि आख़िर कब तक इनके अंदर का शैतान मर्द नहीं जागेगा !अब तो वो बदन उघाड़ू लिबास पहनती थी और जिस रात को आतिफ उसे चोदता था तो खूब जम कर आहें सिसकारियाँ भर भर कर चुदवाती थी।
हाँलाकि उसकी प्यास बुझती नहीं थी पर वो जानती थी कि बगल में अब्बू का कमरा है और वो उनकी मादक सिसकारियाँ, वासना भरी आवाजें ज़रूर सुन रहे होंगे यही सोच कर वो अपने मुख से जानबूझ कर किसी चुदाई वाली फ़िल्म की तरह |
आअहह… ऊऊहह… उउउ… फ़फ्फ़.. की आवाज़ें निकालती थी।आतिफ कहता भी था- प्लीज फातिमा, धीरे आवाज़ करो, बगल में अब्बू जी सुनेंगे तो क्या सोचेंगे !पर फातिमा तो यही चाहती थी !एक बार आतिफ को 15 दिन के लिए बाहर जाना पड़ गया
तो अगले दिन फातिमा ने मन में ठान ही लिया कि अब चाहे कुछ भी हो, मैं अब्बू से चुदवा कर ही दम लूँगी..सुबह नहाने के बाद उसने बहुत ही सेक्सी नाईटी निकाली और उसने नीचे ब्रा भी नहीं पहनी सिर्फ़ नीचे मैरून पेंटी पहन कर वो अब्बू के कमरे में नाश्ता देने गई |
तो अब्दुल मियाँ बहू के इस रूप को देखकर सन्न रह गये पर उन्होंने झट से नज़र दूसरी तरफ फेर ली पर फातिमा वहीं बैठ गई और रोने लगी।
तो अब्दुल मियाँ बोले- क्या हुआ बहू? तुम रो क्यों रही हो !
अरे… आतिफ सिर्फ़ 15 दिन के लिए ही तो गया है… चुप हो जाओ प्लीज रो मत ! मैं हूँ ना…फातिमा,अब्बू, मैं आतिफ के लिए नहीं रो रही ! अब मैं आपको कैसे बताऊँ?बाबू जी, क्या हुआ बेटी, मुझे बताओ तो, शायद मैं कुछ कर सकू|
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फातिमा, आपको बताने वाली बात नहीं है, अगर सासू माँ होती तो शायद वो मेरा दर्द समझ सकती…बाबू जी, बेटा, मुझे तुम अपना दोस्त समझ सकती हो, अब तेरी सासू माँ तो है नहीं तो मुझे बता कि क्या परेशानी है…
फातिमा, अब्बू, आप तो जानते ही हैं कि अभी मेरी उम्र ही कितनी है और आपका बेटा..बाबू जी, हाँ, तो क्या हुआ मेरे बेटे को…?
फातिमा, अब्बू, आप बुरा तो नहीं मानेंगे…?अब्बू,नहीं बेटी, तू बोल ना मैं बुरा नहीं मानूँगा।
फातिमा, अब्बू, आपका बेटा मुझे खुश नहीं कर पाता है|बहू की बात सुन कर अब्दुल का चेहरा लटक गया, बोले- बहू, अब भला इसमें मैं क्या कर सकता हूँ? तू बता, जो तू बोले वो कर दूँ|
फातिमा, अब्बू, मुझे कहना तो नहीं चाहिए पर कह रही हूँ कि मुझे आप !उसकी बात भी अभी पूरी नहीं हुई थी कि अब्दुल मियाँ गुस्से से गर्म हो गये- बहू… तुम्हारा दिमाग़ तो खराब नहीं हो गया? ऐसी बात सोचने की हिम्मत भी कैसे हुई तुम्हारी ! मैं तेरे बाप के बराबर हूँ…
जब अब्दुल मियाँ गर्म हुए तो फातिमा के एक बार तो होश ही उड़ गये पर उसने भी अपने तेवर गर्म कर लिए- ठीक है, अगर आप मेरी बात नहीं मानते तो मुझे तलाक़ दिला दीजिए और अपने घर के लिए किसी और का इंतज़ाम कर लीजिए|
मैं चूहा चौका करने में अपनी जवानी नहीं गंवा सकती ! मैं आज ही यह घर छोड़ कर जा रही हूँ…बहू का यह रूप अब्दुल के लिए नया था और उसके तेवर देख कर उनकी हालत और भी खराब हो गई- बेटी, तू ज़रा ठंडे दिमाग़ से सोच, अगर तू चली गई |
तो क्या तुझसे कोई शादी करेगा…?फातिमा, हाँ, अभी जवान हूँ, सुंदर हूँ, कोई भी शादी कर लेगा मुझसे ! पर आप अपने घर के लिए परेशान हो जाओगे, सोच लीजिये बहुत देर सोचने के बाद अब्दुल मियाँ बोले, बेटी, मैं तुझे भला क्या मजा दे पाऊँगा !
मैं भी तो बूढ़ा हो चला हूँ ! और फिर तेरी सासू को मरे आठ साल हो चुके हैं, तब से मैंने किसी से सेक्स नहीं किया है और फिर जब तू मेरे जवान लड़के से खुश नहीं है तो फिर मैं तो काफ़ी बुड्ढा हूँ|
फातिमा, मैं कुछ नहीं जानती, मैंने आपका हथियार देखा है, वो आपके बेटे से काफ़ी बड़ा है, मुझे बस आपके साथ करना है।बाबूजी, ठीक है बेटी, अगर तेरी यही मर्ज़ी है तो यही सही…फातिमा,चलिए तो अपने कपड़े उतारिये !
फातिमा ने अब्दुल मियाँ कपड़े उतार डाले और अब वो सिर्फ़ बड़ा सा कच्छा पहने थे, उनको अभी भी बहुत शर्म आ रही थी पर फातिमा तो वासना की मूर्ति बनी हुई थी। सच ही कहा है किसी ने कि ‘जब औरत पर वासना सवार होती है तो वो कोई भी रिश्ता नहीं देखती।’
फातिमा ने झट से अब्दुल के होंठों को चूमना शुरू कर दिया और अपने हाथ से उनका एक हाथ अपनी नाईटी के ऊपर से ही अपनी चूची पर दबा लिया। चूची पर हाथ रखने के बाद वो अपनी चूची पर दबाने लगी
जिससे अब्दुल मियाँ समझ गये कि उनकी बहू अपनी चूचियाँ दबवाना चाहती है।अब्दुल मियाँ ने उसकी चूची को दबाना शुरू कर दिया और उसके होंठों को चूसने लगे। फातिमा ने अपनी जीभ बाहर निकाली जिसे बाबू जी ने अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगे।
अब अब्दुल मियाँ भी उत्तेजित होते जा रहे थे, उन्होंने अपना दूसरा हाथ उसकी नाईटी की डोरी खोलने में लगा दिया और अगले पल ही उसकी नाईटी नीचे पड़ी थी, फातिमा की पूरी नंगी चूचियाँ सामने की तरफ तनी हुई थी |
जिन्हें देख कर अब्दुल मियाँ को जोश आ रहा था और उपर से फातिमा की डिज़ाइनर पेंटी जो बहुत ही छोटी सी थी और पूरी तरह से उसकी चूत को ढक भी नहीं पा रही थी, उसकी जालीदार पेंटी में से उसकी झांटों के बाल बाहर निकल रहे थे।
फातिमा ने अब्दुल मियाँ के कच्छे में हाथ डाल दिया था अंदर उनका 8″ का लंड उछल कूद मचाए हुए था जिसे उसने हाथ में पकड़ लिया। लंड हाथ में फातिमा ने जैसे ही पकड़ा अब्दुल मियाँ के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी।
अब्दुल मियाँ- आह… आअहह… बहुउऊ… यह तूने क्या किया ! आज तूने सोए हुए सांप को जगा दिया ! ऊऊफ्फ़… कितना गर्म हाथ है तेरा ! और तेरी चूचियाँ ! जी करता है खा जाऊँ इनको…फातिमा, हाँ तो, मना किसने किया है? खा जाइए ना इनको|
ज़ोर ज़ोर से अपने सौहरे का लंड रगड़ने लगी। अब्दुल मियाँ ने उसकी चूचियों को मुँह में भर लिया और चूसने लगे, दूसरी पर हाथ फेर कर कभी मसल तो कभी दबा रहे थे।अब्दुल मियाँ,बहू आज दस साल बाद मैंने किसी औरत का बदन छुआ है, बहुत मजा आ रहा है…
फातिमा,अब्बू, आज सारी लाज शर्म को ताक पर रख दीजिए और भूल जाइए कि आज आप मेरे ससुर हैं, अगर यह रिश्ता हम दोनों याद रखेंगे तो सेक्स का मजा नहीं आएगा, बिल्कुल किसी बाजारू औरत की तरह कीजिए |
मेरे साथ और मैं भी आपके सामने किसी रंडी की तरह बर्ताव करती हूँ ! ठीक है ना…?अब्दुल मियाँ, हाँ मेरी प्यारी बहू बेगम, आज तू मेरी बहू नहीं बल्कि मेरी बेगम है, आज तुझे ऐसा मजा दूँगा कि तूने मेरे बेटे से भी नहीं लिया होगा ! बता कितना बड़ा है आतिफ का?
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फातिमा- उसका 4-5″ का होगा और आपका 7″ का तो होगा ही !अब्दुल मियाँ- बहू देखो अब हम लोग जब चोदा…चोदी पर उतर ही आए है तो अब पूरी तरह से खुल कर चुदाई वाली देशी जुबान का इस्तेमाल करो फातिमा- ठीक है अब्दुल जी !
अब्दुल मियाँ, हाँ मेरी राण्ड बहु, अब ठीक है चल अब ज़रा अपनी चड्डी भी उतार और चूत का नज़ारा दिखा…फातिमा हंस कर उनसे दूर चली गई और बड़े ही कामुक अंदाज़ में उसने अपनी पेंटी पर हाथ फेरना शुरू कर दिया
वो अपनी चूत पर हाथ फेर रही थी और फिर पीछे की तरफ घूम कर उसने अपने चूतड़ बाबू जी की तरफ कर दिए और पेंटी थोड़ी सी सरका कर नीचे कर दी।उसके सफेद गुलाबी उभारदार चूतड़ों के बीच की दरार देख कर अब्दुल मियाँ की तबीयत हरी हो गई
वो तुरंत उसके पास गये और उसके कूल्हों पर हाथ फ़िराने लगे। फातिमा झुकी हुई खड़ी थी और अब्दुल मियाँ उसके चूतड़ मसल रहे थे।
अचानक ही अब्दुल मियाँ ने ताड़-ताड़ थप्पड़ मारना शुरू कर दिए अपनी बहू फातिमा की गाण्ड पर।
फातिमा, आअ… हह साले सलमान, यह क्या कर रहा है? तू तो मार रहा है…बाबू जी,बहन की लोड़ी, रंडी, मैं मार नहीं रहा बल्कि प्यार कर रहा हूँ तेरी गद्देदार गांड इतनी सुंदर है कि मुझे तेरी सासू की याद आ गई !
चल थोड़ा सा और झुक जा और मुझे अपनी गांड का मजा दे…फातिमा खड़े-खड़े ही और झुक गई और अब्दुल मियाँ ने पीछे से उसकी गांड पर अपना मुँह रखा और और उसकी गांड को चूमने लगे,एक हाथ से उसकी लटकी हुई चूची को भी दबाते जा रहे थे।
उसके बाद उन्होंने अपने हाथ से फातिमा की गांड फैलाकर अपनी जीभ उसकी गांड में घुसा दी और अंदर चलाने लगे।फातिमा, आअहह… उउफ्फ़… ये क्या कर रहा है? आह… अइ… बहुत मजा आ रहा है !
मैंने आज तक गांड नहीं चुसवाई ! कभी और ना तो मुझे पता था कि गांड भी चुसवाई जाती है ! और अंदर घुसा अपनी जीभ ! बहुत मजा आ रहा है आहह…अब्दुल मियाँ, आज तुझे बहुत मज़ा आएगा, तू हमेशा ही मुझसे चुदवाएगी, आतिफ को भूल ही जाएगी !
आज तुझे ऐसे ऐसे मज़े दूँगा कि तू भी याद रखेगी किसी बुड्ढे से पाला पड़ा था।अगर कहानी पसंद आई हो तो अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करें। हमारी वेबसाइट fungirl.in आपके लिए ऐसी ही मजेदार चुदाई की कहानियां लाती रहेगी।