इंडियन आंटी की चुदाई की कहानी यह एक प्यारी सी मकान मालकिन से दोस्ती और दोस्ती के आगे के सेक्स वासना से भरे सफर की है। तीसरी मुलाक़ात में ही वे मेरी हो गयी.
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार!
जी मेरा नाम अर्णव है और मैं महाराष्ट्र में औरंगाबाद जिले से हूँ।
यह इंडियन आंटी हॉट चुदाई की कहानी आज से लगभग 6 महीने पुरानी है।
दरअसल मेरे पापा ने यहां पर एक और नई कंपनी शुरु की है, उस कंपनी में कुछ दिन पहले एक नया लड़का इंजीनियर के तौर पर जुड़ा है।
पापा के कहने पर मैं उसके लिये कमरा देखने चला गया।
अब वह मैनेजर स्तर का बंदा था तो मैं भी उसे अच्छे पॉश क्षेत्र में कमरा दिखाने ले गया।
एक बहुत ही सुंदर घर के सामने बोर्ड देख कर हमने वहां पर घंटी बजाई।
जैसे ही दरवाजा खुला एक बहुत ही सुंदर आंटी जिन्होंने नाभि के नीचे साड़ी पहनी हुई थी उन्होंने दरवाजा खोला।
जब उन्हें मैंने पहली बार देखा तो देखता ही रह गया।
वे दिखने में बहुत ही सुंदर थी।
साड़ी के अंदर उनकी पतली कमर दिख रही थी।
उनके होंठ पर हल्की लाल रंग की लिपिस्टिक लगी हुई थी।
वे इसमें बहुत ही प्यारी लग रही थी।
मैं तो आंटी की सुंदरता का कायल हो गया।
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उन्होंने हमें किराया 9000 बताया।
उन्हें लगा कि शायद हम नहीं लेंगे।
लेकिन एरिया अच्छा था और आंटी तो उससे भी ज्यादा कयामत थी इसीलिए मैंने हाँ बोलकर कमरा देखने उनके साथ ऊपर चले गया।
मैंने इंजीनियर को आगे भेज दिया और उनको कहा– आप आगे चलिए और पीछे से मैं उनकी सुंदरता देखते हुए, आहें भर रहा था।
इंजीनियर कमरे की बारीकी से जायजा कर रहा था.
और मैं आंटी के साथ सम्मान और प्यार से बात करने लगा था।
मेरा स्वभाव, मेरी प्यारी–प्यारी बातें और उनके घर की तारीफ उनको भा गई।
मैंने उनसे उनका नंबर लिया और ‘बताता हूँ’ बोल कर चला गया।
इंजीनियर को घर पसंद आ गया और उसने हाँ कर दी,
मुझे पता था आंटी दोपहर के समय ही फ्री रहेगी इसीलिए अगले दिन हम दोपहर को ही उनके घर पर पहुँचे।
इंजीनियर गाड़ी से सामान निकाल कर कमरे में ले जाकर सेट कर रहा था।
मैंने आंटी को पानी पिलाने के लिए अनुरोध किया.
और जब वे आई तो आराम से उनके साथ में बैठकर उनसे बातें करने लगा।
बातें करते–करते मेरी नजर कभी उनकी पतली कमर पर चली जाती तो कभी उनकी नाभि पर जाती।
कभी उनके प्यारे से ब्लाउज के बाहर झाँकते हुए स्तनों पर जाती।
जब वे मेरे तरफ देखती थी, मैं अपनी नजर इधर–उधर कर देता।
उनकी तारीफ करना, उनके इंटरेस्ट की बात करना उन्हें भी बहुत पसंद आ रहा था।
उन्हें भी अपने दिल की बात बताने के लिए कोई चाहिए था।
उनकी बातों में मुझे एक लगाव सा लग रहा था।
बातों ही बातों में मैंने एक मजाक किया तो उस पर वे जोर से हँसते-हँसते मेरे घुटने पर एक चपत मार दी।
शायद बहुत दिनों बाद वे दिल से हँस रही थी।
बीच में ही मैं नाराज चेहरा बना कर बोल दिया– चलो अब चलते हैं! अच्छा लगा आपसे मिलकर, अब पता नहीं कब आपसे गप्पें मारने को मिलेगा।
इंजीनियर को तो घर मिल गया है अब मेरा क्या काम यहां पर आने का?
उन्होंने तपाक से कह दिया– क्यों नहीं आ सकते तुम? बिल्कुल यहां पर आ सकते हो! तुम्हारे मैनेजर को भी दोस्त मिल जाएगा और मुझे भी तुम जैसा एक दोस्त मिलेगा, ढेर सारी बातें करने के लिए!
फ़िर मैंने उनके सामने हाथ मिलाने के लिये अपना हाथ आगे किया और पूछा– फ्रेंड्स?
उन्होंने तुरंत अपना हाथ आगे कर हाथ मिलाया और कहा– फ्रेंड्स?
मैंने भी तुरंत दूसरे हाथ से उनके मुलायम हाथ को पकड़ लिया और कहा– बेस्ट फ्रेंड्स!
उनको भी मेरा हाथ मिलाना अच्छा लगा।
मुझे भी उनके साथ बातें करने में बड़ा ही आनंद प्राप्त होता।
मैंने तुरंत उनको पूछा– आप फ्री कब हो जाते हो काम से?
उन्होंने 11:00 बजे का समय बताया।
अगले दिन मैं मस्त टीशर्ट और जींस पहन कर, परफ्यूम लगाकर और एक लाल रोज लेकर अपने कार से उनके घर पहुँच गया।
घर के सामने जाते ही एक छोटा सा हॉर्न दे दिया।
उन्होंने खिड़की से मुझे कार से उतरते हुए देखा और झट से घर के पीछे बनी सीढ़ियों से बाहर आ गई।
जैसे ही उनके सामने मैं गया उनके प्यारे से चेहरे पर मुस्कान बिखर गई।
जाते ही मैंने लाल गुलाब पीछे से निकाल कर उनके सामने कर दिया और कहा– एक प्यारा सा गुलाब मेरे प्यारे से नए दोस्त के लिए!
उन्होंने भी बड़े प्यार से वह गुलाब लेकर अपने सीने से लगा लिया।
फ़िर उन्होंने कहा– मैनेजर के कमरे में जाने की बजाय हम यहीं गप्पें मारते हैं।
उनको मैंने कहा– घर में आप अकेली हो?
उन्होंने कहा– हाँ!
फिर मैंने कहा– 3 दिन की ही पहचान है, मैं अंदर आया तो चलेगा आप देख लीजिए!
उन्होंने कहा– अरे मुझे एक बार देखकर ही सामने वाले की नियत पता चल जाती है और अभी तो तुमने मुझे दोस्त कहा है, क्या मैं अपने दोस्त को घर पर नहीं बुला सकती?
वे बातों में मुझसे जीतने के भाव बनाकर मुझे अंदर ले गई।
अंदर जाते ही मैंने देखा कि घर बहुत ही आलीशान, साफ सुथरा और सारी चीजें व्यवस्थित तरह से रखा हुआ था।
आंटी का पॉश हॉल था।
अनायास मेरे मुंह से निकला– वॉव व्हाट अ ब्यूटीफुल हॉल, कैन आई सी योर कंप्लीट हाउस (क्या मैं आप का पूरा घर देख सकता हूँ?)
वे भी बड़ी खुशी–खुशी मुझे पूरा घर दिखाने चल पड़ी।
उनके बेडरूम पहुँचते ही मैंने उनको कहा– व्हाट सेक्सी बैडरूम (क्या सेक्सी बेडरूम है)!
उन्होंने दोनों हाथों से मेरा हाथ पकड़ लिया और दबा दिया।
जैसे ही वे मुझे दूसरे कमरे में ले जाने के लिए मुड़ी और क्योंकि मैं उनके पीछे ही मैं खड़ा था और वे अचानक घूमी तो हम टकरा गए और हम दोनों उनके पलंग पर गिर गए।
मेरा हाथ अचानक उनकी खुली कमर पर चला गया और उनको पकड़ कर मैं सहलाने लगा।
वे झट से उठने की कोशिश करने लगी लेकिन मैंने उनके कमर को नहीं छोड़ा तो दोबारा वे मेरे सीने पर सिर रखकर गिर गई।
वे मुझसे कहने लगी– छोड़ो मुझे यह क्या कर रहे हो, कोई देख लेगा?
मुझे तुरंत पता चल गया कि मैंने उनकी कमर पकड़ी इस वजह से वे नाराज नहीं है बल्कि कोई देख लेगा इस चीज के लिए वे डर रही है।
मैंने उनसे कहा– आपके और मेरे अलावा इस घर में कोई भी नहीं है, तो हमें कौन देखेगा? सच बताऊं तो मैंने पहली बार आप जैसी खूबसूरत सुंदर औरत को इतने नजदीक से पकड़ा है! मुझे माफ कीजिएगा पर मेरा दिल आपको छोड़ने का बिल्कुल भी नहीं कर रहा है!
थोड़ा देर रुक कर फिर मैंने कहा– आपको बुरा लग रहा है तो मैं छोड़ देता हूँ, आई एम सॉरी!
मेरे छोड़ते ही आंटी खड़ी हो गई और बोलीं– बुरा लगने की बात नहीं है, मेरे पेट में दर्द हो रहा है!
मैंने तुरंत बोला– मतलब मैं दोबारा आपको बाँहों में भर सकता हूँ?
उन्होंने पागल कह कर और मेरे सिर पर चपत मारी फिर किचन की ओर चली गई।
मैं हॉल में सोफा पर बैठकर उनकी राह देख रहा था।
वे किचन से पानी लेकर आते हुए पूछी– क्या लोगे चाय या कॉफी?
मैंने कहा– जो भी आप देंगी … दूध भी चलेगा।
उन्होंने पानी की ट्रे सामने रख दी और हँसती हुई मेरे पास आकर बैठ गई और कहा– बातें तो बहुत प्यारी कर लेते हो तुम!
मैंने कहा– आपको नहीं पसंद है क्या मेरी प्यारी बातें? आप पहले दिन से ही मुझे बड़ी प्यारी लगी और आपसे बात भी करना भी मुझे बहुत पसंद है, इसीलिए समय निकालकर आपके पास आया हूँ।
कुछ देर चुप रहने के बाद मैंने फिर कहा– अगर आपको बुरा लगा तो मैं चला जाता हूँ?
उन्होंने तुरंत मेरा हाथ पकड़ लिया और नजरें झुका कर बैठ गई।
मौके की नजाकत को समझते हुए मैंने मेरा एक हाथ उनके दोनों हाथों में दे दिया और दूसरे हाथ से उनके नीचे झुके हुए चेहरे को ऊपर किया।
वे बहुत खुश थी और शर्मा भी रही थी।
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मैंने पहली बार उनका नाम लेकर कहा– यू आर रियली सो ब्यूटीफुल अंजू! (तुम बहुत खूबसूरत हो अंजू)
और उनके होंठों को चूम लिया!
उन्होंने भी मेरे चुम्मे का जवाब काफी गर्मजोशी से दिया और दूसरे ही क्षण मुझसे अलग होकर सोफे पर दूर सरक कर बैठ गई।
मैं सोफे से उठकर खड़ा हो गया और उनके कंधों को पकड़ कर और उनके माथे को प्यार से चूमा, वे सिहर उठी!
फिर उनके दोनों आँखों को चूमा!
मुझे तो साक्षात कुबेर का खजाना ही मिल गया था, इतनी सुंदर औरत को प्यार करने का मौका जो मिल गया था।
फ़िर मैंने उनसे कहा– मेरे जीवन की आप मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो!
‘क्या मैं मेरे दोस्त को दोबारा टाइट हग कर सकता हूँ?’ ऐसा कहकर मैं सोफे से दो कदम पीछे चला गया।
मैं उन पर कोई जबरदस्ती नहीं करना चाहता था, उनकी भावनाओं का सम्मान करना चाहता था।
उन्होंने कुछ समय लिया सोचने के लिए और एक-दो मिनट के बाद ही खड़े होकर खुशी–खुशी से मेरी बाँहों में आ गई।
मैंने भी बड़े प्यार से एक हाथ उनकी कमर पर रखा और दूसरी हाथ से पूरी पीठ सहलाने लगा।
उनके होंठों पर, गालों पर, आँखों पर, कानों पर, गर्दन पर प्यार से चूमने लगा।
मैं जितना उन्हें चूमता जा रहा था, वे मुझे उतना ही कसकर पकड़े जा रही थी।
उनकी सांसें तेज होने लगी थी उनका सीना उनके, स्तन जोर–जोर से ऊपर नीचे हो रहे थे।
‘अर्णव, तुम बड़े शरारती हो!’ ऐसा कहकर वे मुझसे दूर भागने लगी।
मैंने भी तुरंत उसको पीछे से पकड़ लिया।
फ़िर मैं उनकी कमर को कस कर पकड़ कर उन्हें आईने के सामने ले गया।
वे सामने देख ही नहीं रही थी बहुत शर्मा रही थी और शर्मा–शर्मा कर लाल हो रही थी।
मैंने एक हाथ उनके कमर से फेरते हुए नाभि से उनके ब्लाउज तक गया।
वे समझ गई कि मैं उनका ब्लाउज खोलने वाला हूँ।
उन्होंने दोनों हाथों से मेरे हाथ को पकड़ लिया।
मैंने तुरंत पीछे से उनकी गर्दन पर चूमना चालू कर दिया।
उन्होंने अपने होंठ दबाकर हाथों की मुट्ठी बना ली।
फ़िर मैंने कहा– अंजु, मैं तुम्हारे चूचियां देखना चाहता हूँ, क्या मैं देख सकता हूँ?
उन्होंने हाँ कहकर ड्रेसिंग टेबल पर बैठ गई।
मैंने तुरंत टेबल को घुमा कर उनका चेहरा मेरी तरफ कर दिया और घुटनों पर बैठ गया।
अब मेरा चेहरा बिल्कुल उनके सीने के सामने था।
ब्लाउज के अंदर उनके बड़े–बड़े स्तन मुझे देख रहे थे।
मैं हर बार एक हुक खुलता और उनके मुंह की तरफ देखता।
वे पानी–पानी हो जाती और इस घटते हुए सुनहरे पलों का आनंद उठाती।
उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी।
ब्लाउज के सारे हुक खोलते ही उनके दोनों चूचियां बाहर आ गए।
मैंने उनके ब्लाउज को उतार किया और दोबारा उनके चेहरे की तरफ देखने लगा।
वे शर्मा कर मेरी बाँहों में आ गई और कहने लगी– अर्णव, तुम बड़े शरारती हो!
मैंने भी उन्हें प्यार से कसकर अपने सीने से लगा लिया।
कुछ देर बाद उन्हें दूर कर के उनके प्यारे से बड़े-बड़े स्तनों को निहारता रहा।
फिर एक हाथ आगे कर के उनके मुलायम स्तनों के ऊपर से घुमाया और एक स्तन को दबाया।
स्तन को दबाते ही उनके मुंह से सिसकारी निकल गई।
क्या बताऊं … कितना मुलायम था उनका स्तन, मेरे तो तीनों उंगलियां उसके अंदर चली गई, मानो कोई रूई के गद्दे में हाथ डाल दिया हो।
बहुत ही प्यार से उन्होंने अपने आप को मेंटेन करके रखा था।
फिर क्या था, मैं तो सातवें आसमान पर घूम रहा था!
मैंने ऐसे ही उनको दोनों हाथों में उठाया और उनके बेडरूम में ले गया।
उनका पलंग पर लिटा दिया और बड़े ही प्यार से उनके दोनों निप्पल को चूसने लगा।
वे अपनी कमर उठा–उठा कर मेरा साथ दे रही थी।
मैंने उनकी साड़ी भी खोल दी, अंदर पेटीकोट था।
तब मैंने उनके चेहरे की तरफ देखा, देखते ही उन्होंने आँखें बंद कर ली।
मैंने इसको मूक सहमति समझकर उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और प्यार से साड़ी और पेटीकोट नीचे खिसका दिया।
अब मेरे सामने वे सिर्फ पैंटी पहने हुए थी।
फ़िर मैंने प्यार से उनके कमर पर झूमते हुए उनकी पैंटी नीचे खींच दी।
पैंटी नीचे खींचते ही उन्होंने अपने पैर पेट से सटा लिए।
मैं भी फटाक से अपने पूरे कपड़े निकाल कर उनके बगल में बैठ गया।
मैंने उनके दोनों हाथों को पकड़ कर ऊपर कर दिया और उनके होंठों को चूसने लगा, धीरे-धीरे होंठों से उनकी गर्दन पर आ लगा।
फिर मैं उनकी मुलायम चूचियों को चूसने और मसलने लगा।
अब उनकी सिसकारियां बढ़ गई।
मैंने दोबारा उनको बाँहों में पकड़ लिया और उनके गालों पर चूम कर उन्हें ‘आई लव यू’ कहा.
उन्होंने भी मुझे कसकर पकड़ कर मेरे पीठ पर नाखून गड़ाये और मुझे ‘आई लव यू’ कहा.
उनके मुंह से मैं ‘आई लव यू’ सुनकर बहुत जोश में आ गया।
मैंने तुरंत अपनी सामान को उनकी चूत पर सेट कर दिया और बड़े प्यार से एक झटका दिया।
झटके के कारण वे जोड़ से चिल्लाई और मेरे पीठ को कसकर पकड़ने लगी।
मुझे तो ऐसा लगा कि मैंने किसी गर्म भट्टी में अपने सामान को डाल दिया हो।
फिर धीरे-धीरे इंडियन आंटी हॉट चुदाई के झटके चालू हुए।
जैसे ही उनके कमर को पकड़कर मैं एक झटका देता उनके बड़े–बड़े चूचियां जोर से ऊपर–नीचे होते।
उन्होंने तुरंत ही अपने दोनों हाथों से दोनों चूचियों को पकड़ लिया और उनको हिलने से रोकने लगी।
पर मैंने दोबारा उनके दोनों हाथों को ऊपर कर दिया और उनकी चूचियां हिलने लगी।
5 मिनट तक जोर-जोर से उनको झटके देते रहा और प्रणय का आनंद ले रहा था।
जैसे जैसे मेरे झटके तेज होते गए, उनकी भी आवाज तेज हो रही थी।
वे मुझे रुकने के लिए कह रही थी परंतु मैं कहां रुकने वाला था।
कुछ मिनट तक जोर–जोर से उनको झटके दिए और आंटी की चूत को अपनी वीर्य से भर दिया।
शाम होने तक उनकी बाँहों को कस कर पकड़कर पलंग पर ही सोता रहा।
वह दिन मेरे जिंदगी का सबसे सुंदर दिन था।
सिर्फ मेरी प्यारी अंजु की वजह से!
दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी आप सब को कैसे लगी, इस पर अपनी राय देना मत भूलिए!
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