Antarvasna Sex Story : मेरा नाम सुमन है, 24 साल की हूँ, मेरी शादी 3 साल पहले हुई थी। वैसे तो मैं एक छोटे शहर से हूँ लेकिन शादी के बाद अपने पति के साथ रायपुर में रहती हूँ। मेरे पति कपिल एक कंपनी में सुपरवाइज़र हैं।
हम लोग रायपुर में एक गली के एक कमरे में रहते हैं।यह बात करीब कुछ महीने पहले की हैं, हमारी शादी को करीब डेढ़ साल हो गया था। जैसे कि हर शादीशुदा जोड़े का होता है, शादी के पहले साल में सेक्स के अलावा कुछ भी नहीं सूझता, मेरे पति को और मुझे भी।
जब भी मौका मिलता, हम लोग चुदाई में लग जाते थे। उनकी ड्यूटी शिफ्ट में होती थी इसलिए सेक्स के लिए वक़्त की भी कोई पाबन्दी नहीं थी, जब भी उनका मूड होता था, वो शुरू हो जाते थे।कई बार छुट्टी के दिन तो वो मुझे अन्दर कुछ भी पहनने को भी मना करते थे|
ताकि चुदाई करने में कोई वक़्त न डालना पड़े। कभी कभी वो ब्लू फिल्म की सीडी लाते थे, वो देखने के बाद चुदाई और भी जोर से होती थी। शादी से पहले मुझे सेक्स के बारे में इतना कुछ पता नहीं था लेकिन रायपुर में आने के बाद कुछ ज्यादा ही पता चल रहा था।
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हम लोग कभीगोरव टावर या दूसरे किसी जेसे जलमहल घूमने गए तो वह बैठे जोड़ों को देख कर कुछ अजीब सा लगता था, लेकिन रत में चुदाई के वक़्त उसके बारे में सोचा तो बड़ा मज़ा आता था।
एक साल की ऐसी मस्त सेक्सी जिंदगी के बाद, सब रोजमर्रा जैसा काम सा लगने लगा था। मुझे सेक्स में इतना मज़ा नहीं आ रहा था। हाँ, चुदाई होती थी लेकिन उनका मन रखने के लिए। जब भी वो मूड में होते थे, मैं न नहीं कहती थी|
टाँगें फैला कर लेट जाती थी और वो लग जाते थे।थोड़े दिनों के बाद जब मेरा मूड नहीं होता था तब मैं कभी कभी मना भी करती थी। कभी कभी वो मान जाते थे। वो भी तरह तरह से मुझे गर्म करने की कोशिश करते थे। कभी गर्म होती थी कभी नहीं।
कभी कभी चुदाई के वक़्त वो अपने दोस्तों के बारे में, उनकी बीबियों के बारे में बातें करते थे। पहले तो मुझे उन पर बहुत गुस्सा आता था। लेकिन बाद में सोचा कि अगर उनको ऐसी बातों से मज़ा आता हैं तो क्यों नहीं।
उन्हीं दिनों हम लोगो ने एक अंग्रेज़ी मूवी देखी। नाम तो याद नहीं लेकिन उसमें भी मिंया-बीबी होते हैं जिनकी कल्पनाओं की एक सूचि होती हैं और वो एक-एक कल्पना पूरी करते जाते हैं।उन्होंने मुझसे कहा की में उनके किसी दोस्त के बारे में एसे ही कोई कल्पना करू ।
उस पहले तो मुझे यह कुछ अजीब सा लगा लेकिन उनके बार-बार कहने पर मैं मान गई क्योंकि जब मैं भी गर्म मूड में होती हूँ तब ऐसी सब बातें अच्छी लगती हैं।उन्होंने पूछा,तुम्हारी काल्पनिक लालसाएँ क्या हैं?
लेकिन मैं कुछ भी नहीं बोली। उन्होंने बड़ी कोशिश की लेकिन मैंने कुछ भी नहीं बताया। कई बार पूछने के बाद भी मेरे न बोलने से उन्होंने पूछना छोड़ दिया।अगली बार जब हम लोग चोदने के बारे में सोच रहे थे तब उन्होंने अपना लण्ड मेरे हाथ में थमाया और कहने लगे|
तुम्हें कैसा लगेगा अगर कोई बड़ा मोटा काला लंड तुम्हारे हाथ में हो?मुझे उनका ऐसा कहना कुछ अजीब सा लगा। कुछ गुस्सा भी आया, सोचा कि यह कैसा मर्द हैं जो दूसरे किसी का लंड अपनी बीबी के हाथ में देने की बात कर रहा है।
लेकिन मन ही मन में उस बारे में सोच कर अच्छा भी लगा लेकिन मैंने कुछ भी नहीं बताया।वो बोलने लगे,तुम्हें इतना सोचने की जरुरत नहीं है। देखो, मैं चाहता हूँ कि मैं दूसरी किसी औरत को चोदूँ। मुझे मेरे बहुत सारे दोस्तों की बीवियाँ अच्छी लगती हैं।
भी पड़ोस वाली बहुत सारी औरतें हैं जिन्हें चोदने की मेरी इच्छा हैं। तो फिर अगर तुमको लगता है कि किसी और से चुदवा लूँ तो उसमे गलत क्या है?वो जो कह रहे थे ठीक था। लेकिन असल में ऐसा कुछ करना मुझे ठीक नहीं लगता था।
मैंने कहा,तुम्हें जो लगता है, वो लगने दो लेकिन मुझे उसमें कोई रुचि नहीं है।बात यही पर नहीं रुकी।अगली बार से जब भी मौका मिलता, वो इस बात का जिक्र करते और मैं मना करती। उनको लगता कि मैं थोड़ी खुल जाऊँ।
शायद मुझे किसी और से चोदने के ख्याल से उन्हें बड़ा मज़ा आता था। या शायद, अगर मैं किसी और से चुदवाने के लिए तैयार हो गई तो उनको किसी और औरत को चोदने का मौका मिल जायेगा। शायद वो मुझे अपराधी महसूस करवाना चाहते थे पता नहीं।
ऐसे ही बहुत बातों के बाद आखिर में मैं इस बात के लिए मान गई कि मैं कुछ अंग-प्रदर्शन करूँ जब जब मौका मिले और वो भी दूसरी औरतो के बारे में गन्दी बाते करें। अगर मुझे लगा तो मैं भी दूसरे मर्दों के बारे में बोलूँ या दूसरों के बारे में हम लोग बेझिझक बातें करें|
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दोनों के बीच में कोई बंधन न रहे। संक्षेप में हम एक दूसरे के सामने बेशर्म हो कर बातें करें।जब कभी हम लोग बाहर घूमने जाते, मैं थोड़ा मेकअप करती, इनके कहने पर मैंने दो तीन गहरे गले के ब्लाऊज़ भी सिला लिए थे।
कभी कोई शादी या ऐसी कोई उत्सव में जाते वक़्त मैं भी गहरे गले के ब्लाऊज़ पहनने लगी। मुझे भी मज़ा आने लगा था। अगर कोई मेरी तरफ देखे तो मुझे भी अच्छा लगने लगा था।शायद कपिल भी इस ख्याल से गर्म होता था। उस रात जब चुदाई होती थी|
तब वो बोलता,वो आदमी कैसे घूर कर तुम्हारी तरफ देख रहा था। शायद तुम्हें याद करके अब मुठ मार रहा होगा।मुझे भी ऐसी बातें अच्छी लगने लगी। मैं भी बोलती,हाँ ! मुझे भी ऐसा ही लगता है। अगर वो वाला आदमी मिल जाये तो उससे मस्त चुदवा लेती !
वो मुझे मस्त चोदता ……!कपिल की हालत देखने लायक होती थी। शायद वो डर जाता था कि कहीं मैं सच में तो किसी से चुदवा तो नहीं रही? वो लाख छुपाना चाहे लेकिन उसके चेहरे पर साफ़ दिखाई देता था। लेकिन फिर कभी वो दूसरे मर्द के बारे में बात करने लगे तो |
मैं एकदम गुस्सा हो जाती थी। उसे भी समझ में नहीं आता कि यह अचानक फिर क्या हो गया? लेकिन तब उसके चेहरे के ऊपर की चिंता गायब दिखाती थी।मैं भी मन ही मन में किसी और से चुदवाने के बारे में सोचने लगी थी।
कोई हट्टा-कट्टा मर्द दिखाई दे तो लगता था,काश यह मुझे मिले और मैं इसके साथ मस्त चुदाई करूँ।कभी कभी इसी ख्याल में मेरी चूत गीली हो जाती थी ।जिस गली के मकान में हम रहते थे उस मकान के निचे 1 दुकान थी,हमारे मकान मालिक ने उस दुकान को किराये पर दे दिया ।
मुझे पता चला की उसका नाम नितेश हे और वो उस दुकान में बेटरी का काम करता हे।नितेश 30 साल का हत्ता कट्टा नोजवान था और वो हमेशा अपने काम में ही लगा रहता था,में जब भी कपिल के साथ बहार जाती तो एक नजर उसकी दुकान पर डाल लेती।।
उसकी नजरे हमसे मिल जाती तो वो आंखे झुका कर हमसे नमस्कार कर लेता जवाब में हम भी नमस्कार कर देते ।हमारे मकान की 1 खिड़की गली में खुलती थी 1 दिन जब में दिन में खिड़की से बहार गली में देख रही थी ,अचानक मेने देखा नितेश गली में आया |
अपने पेंट की जिप खोलकर अपने लंड को बहार निकला और पेशाब करने लगा।।उसका धयान नही था की में उप्पर खिड़की में से उसको देख रही हु।।मेरी तो उसके लंड को देखते ही साँस उप्पर के उप्पर ही रह गयी|
काला मोटा 9 इंच लम्बा सांप की तरह फेन फ़नाता लोड़ा देख मेरी चूत तो गीली हो गयी।।मन तो असा हुआ की अभी उप्पर से ही गली में कूद जाऊ और नितेश के लोडे को पकड़ कर अपनीचूत में डाल लू,पर पर में मन मसोस कर रह गयी।
अब तो मेरा रोज का ही काम हो गया की में अपने काम काज निबटा कर खिड़की के पास बेठ जाती और नितेश के पेशाब करने के लिए आने का इंतजार करती रहती।।नितेश दिन में 2-3 बार पेशाब करने आता और में उसके लोडे को देख देख कर गरम हो जाती ।
अब तो रात को भी जब कपिल चुदाई करते तो में नितेश की कल्पना करती,नितेश के लोडे का ख्याल करते ही में गरम हो जाती कपिल समझते की उन्होंने मुझे गरम कर दिया,और वो अपनी मर्दानगी पर बहुत खुश होते लेकिन सच बात तो ये थी
की कपिल की चुदाई में अब मुझे बिलकुल भी मजा नही आता था और में प्यासी की प्यासी रह जाती थी।मेरी समझ नही आ रहा था की में नितेश को चोदने के लिए केसे तेयार करु ,लेकिन अक दिन जेसे भगवान ने मेरी सुन ली।।
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में खिड़की से नितेश को पेशाब करते देख रही थी की नितेश ने एकदम अपनी निगाहे उप्पर उठा दी,उप्पर में नितेश को देख रही थी की मेरी निगाहे भी नितेश से टकरा गयी,नितेश एकदम हक्का बक्का रह गया उसका लोडा उसके हाथ से छुट गया और हवा में झूलने लगा ।
थोड़ी देर माँ नितेश को जेसे होश आया हो उसने अपना लोडा पेंट के अन्दर किया और जल्दी से अपनी दुकान की और चला गया ।अब जेसे नितेश को भी एहसास हुआ की कोई जवान ओरत ने उसके लोडे को देख लिया हे|
वो जब भी पेशाब करने आता .बड़ी देर तक अपने लोडे को हिलाता रहता .में भी मस्त होकर उसके लोडे को देखती रहती।अब तो में मोके का इंतजार देखने लगी की कब नितेश का लोडा मेरी चूत की प्यास बुझाए ।हुआ यूँ कि -1 दिन कपिल को कहीबहार जाना पड़ा |
में घर पर अकेली थी।में तुरंत तेयार हो कर खिड़की के पास खड़ी हो गयी ,जेसे ही नितेश पेशाब करने आया मेने उसकी और आँख मरी और उसे उप्पर आने का इशारा किया ,जेसे ही नितेश उप्पर आया अगले पल मैं उसकी बाहों में थी।
उसने मुझे जोर से कस लिया और बेसब्री से मुझे चूमने लगा। मेरी भी हालत कुछ अलग नहीं थी। मैं भी सालों की प्यासी की तरह उसका साथ देने लगी थी। एक पराये मर्द की बाहों में होने का अनुभव कुछ और ही था।
उसने कहा,भाभी, तुम बहुत सुंदर हो। कब से बस अपने दिल की बात दिल में रख कर घूम रहा था। बहुत दिल करता था कि आपसे आकर दोस्ती की बात करूँ लेकिन हिम्मत ही नहीं होती थी। मेरी नज़र में तुम बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी औरत हो |
मैं हमेशा तुम्हारे पति को बहुत ही खुशनसीब समझता हूँ जिसे तुम्हारे जैसे औरत मिली है।यह सुनकर मैं बहुत खुश हुई। पता था यह मुझे मक्खन लगा रहा है, मैंने भी कहा,जबसे तुम यहाँ आए हो, तबसे तुम्हारे बारे में सोच रही थी।
मैं भी चाहती थी कि तुम्हारे जैसा कोई तगड़ा जवान मिले जो मेरी सारी इच्छायें पूरी करे !उसने मेरे बालों में हाथ फेरना शुरु किया और उसके कान पर मैंने प्यार से अपनी जीभ फेर दी। मैं भी अब काफ़ी गर्म हो चुकी थी। मैंने उसकी कमीज़ में हाथ दे दिया |
उसके शरीर को ज़ोर से अपने हाथों से पकड़ लिया। उसने धीरे धीरे मेरे गाउन में हाथ डाला और अपना चेहरा गाउन के ऊपर रख दिया।उसने मेरा गाउन उतार दिया और मैंने उसकीपेंट और कमीज़ भी निकाल दी। वह मुझे उठा कर अन्दर ले गया, बिस्तर पर लिटा दिया|
मेरी ब्रा निकाल दी और मेरे चूचे चूसने लगा। मैं भी अब उसका पूरा देने लगी थी, मैंने उसके लण्ड को हाथ में पकड़ा, ज़ोर से दबा दिया और हिलाने लगी।नितेश बोला,इतनी ज़ोर से हिलाओगी तो सब पूरा पानी अभी निकल जायेगा !
उसने मेरे स्तन चूसते-चूसते अपने हाथ से मेरी पैन्टी निकाल दी और हाथ मेरी चूत पर फेरना शुरू कर दिया।मैंने उसका अंडरवीयर निकाल दिया और उसके लण्ड को प्यार से सहलाने लगी। उसने मेरे चूचों से अपना मुँह हटाया और मेरी नाभि को चाटना शुरू किया।
मैं और कुछ ज्यादा ही गर्म हो गई थी। फिर उसने धीरे धीरे अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया और चाटने लगा। मेरी सिसकी निकल गई और मैंने अपनी टाँगें फैला दी जिससे वो मेरी चूत को अच्छी तरह से चाट सके।
थोड़ी देर में मैंने भी उसके लंड को पकड़ लिया और जोर जोर से चूसने लगी। अपने पति का लंड चूसते समय बहुत बार मैं कतराती थी लेकिन अब क्या हुआ था पता नहीं, मेरी पूरी लाज शर्म कहीं खो गई थी। मैं लॉलीपोप की तरह उसका लंड मज़े लेकर चूसती जा रही थी।
वो इतना मोटा और गर्म था कि लगता था किसी भी वक़्त पानी छोड़ देगा।वो जोर जोर से सिसकारियाँ ले रहा था, बोला,अब से यह तुम्हारा है, इसका जो भी और जैसे भी इस्तेमाल करना है तुम कर सकती हो। मेरी बरसों की आग को तुम ही बुझा सकती हो।
उसने अब अपना लण्ड मेरे मुँह के और अन्दर धकेल दिया मैं और जोर जोर से चाटने लगी। वो एक बार फिर से मेरी की चूत चाटने लगा और अपने जीभ मेरी चूत में और भी जल्दी जल्दी और अन्दर-अन्दर डालने लगा।
मैंने उसका लण्ड मुँह से बाहर निकाला और बोली,अब मुझसे नहीं रहा जाता, अब डाल दो इसे मेरे अंदर और मेरी प्यास बुझा दो। मुझे शांत कर दो मेरे यार ! मेरे ख्यालों के राजा ! मेरा पति भी मुझे तेरे जैसे ही हट्टे कटते जवान से चुदवाना चाहता था ! चोद डालो मेरे राजा !
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उसने मुझे ठीक तरह से नीचे लिटाया, मेरी टाँगें फैलाई, अपने लण्ड का सुपारा मेरी चूत पर रखा और एक धक्के में अपना काला मोटा लंड मेरी चूत में आधा घुसा दिया। काफी बड़ा था। मेरी तो जैसे चीख सी निकल गई, मैं बोली,ज़रा धीरे धीरे मेरे राजा !
इसका मज़ा लेना है तो धीरे धीरे इसे अंदर डालो और फिर जब पूरा चला जाए फिर ज़ोर ज़ोर से इसे अंदर बाहर करो !उसने अपना लंड धीरे-धीरे मेरी चूत में डाला और फ़िर एक ज़ोर से धक्का पेल दिया और उसका पूरा मोटा लंड मेरी चूत में चला गया।
वो बोला,आह आह उउई ऊफफफ्फ़ हमम्म्म आआ ! क्या मस्त चूत है तेरी ! मेरी रानी ! एकदम रबर की तरह मेरे लंड पर चिपक गई है ! बहुत खुजली हो रही थी ना इसलिए झुक-झुक कर लोडा देखा करती थी? कैसा लग रहा है?
ले काला मोटा लण्ड? अब से जब भी चुदती होगी तब मुझे याद कर लेना, अपने आप गर्म हो जाएगी तेरी यह मस्त चूत ! लगता है कि फाड़ डालूँ तेरी यह मस्त चूत,मैं बोली,यह चूत तुम्हारी है, फाड़ दो इसे ! आअहह ऊऊऊऊओ आआहह ज़ोर से और ज़ोर से !
उसने अपनी गति बढ़ा दी और ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूत पर वार करने लगा। उसने मेरे चुचूक मुँह में लिए और अपनी गति और भी बढ़ा दी। लगभग दस मिनट के बाद हम दोनों की आह निकली और हम दोनों झड़ गये। मैंने उसे जोर से चूम लिया |
हम लोग बाथरूम में साफ होने के लिए चले गये। थोड़ी देर में नितेश और मैंने फिर से चूमना शुरू किया और इस बार मैंने पहले उसका लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया। उसने इस बार मुझे उल्टा लिटा दिया और मेरे बूब्स को पीछे से पकड़ कर |
अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया। चोदते समय वो मेरी गांड के ऊपर भी छोटे बड़े चांटे लगा रहा था। क्या बताऊँ कितना मज़ा आ रहा था। इस अवस्था में लंड सीधा चूत में घुस जाता है औवो बोल रहा था,कितनी मस्त है तेरी गांड, लगता है
कच्चे आम की तरह उसे चबा डालूँ !और अपनी उंगलियाँ मेरी गांड पर दबाने लगा। उसकी इस हरकत से मेरी चीख निकल गई, मैं बोली,आहह उउफफफफ्फ़ अफ ऊहह आआ ऊ हह आअहह बहुत दर्द हो रहा है|
ऐसे लगता है कि तुमने अपना लंड सीधा मेरे पेट में ही घुसा दिया है। ज़रा धीरे धीरे करो ना ! आहह बहुत मज़ा आ रहा है, अब तुम अपनी स्पीड बढ़ा सकते हो।उसने मेरी कमर पकड़ कर पेलना शुरू किया और अपने घस्से ज़ोर ज़ोर से मारने लगा |
लेकिन मेरा झड़ने का कोई हिसाब नहीं बन रहा था। मैंने उसे कहा,लगता है कि मुझे समय लगेगा झड़ने के लिये !वो बोला , कोई बात नहीं ! तुम लगी रहो, जब समय आएगा तब झड़ जाना !उसने अब मेरी गांड के नीचे एक तकिया लगाया और उसके ऊपर चढ़ गया। मेरी
सिसकारियाँ अब तेज़ हो रही थी, मैंने काफ़ी कोशिश की पर मेरी चूत झड़ने को तैयार नहीं थी । फिर मैंने सोचा कि अगर उसका लंड एक कसी सी चीज़ में जाए तो शायद और मज़ा आए और मैं झड़ जाऊँ । मैंने उसे अपना लंड मेरे गांड के ऊपर फेरने के लिए कहा।
कमल शायद मेरा इशारा समझ रहा था, वो बोला,क्या इरादा है? गाण्ड मरवाने का का इरादा है क्या?मैंने कहा,हाँ यह तो तुम्हारी ही है लेकिन ज़रा प्यार से इस्तेमाल करना क्योंकि यह अभी बिल्कुल कुँवारी है।
उसने झटक से उसके गांड पर सुपारा रखा और ज़ोर से पेल दिया।उसका मोटा लंड मेरी गांड में सिर्फ़ दो इन्च जाकर फँस गया और मेरी चीख निकल गई, बोली,उफ़फ्फ़ आहह !निकाल दो इसे बाहर ! बहुत दर्द हो रहा है, मर गई …आये ए हह आ आ आ !
रिक्शेवाले की खोज स्कूल गर्ल की चूत की मौज -Antarvasna Sex Story
उसने अपना लंड घबराकर बाहर निकाला और फिर धीरे धीरे उसे अंदर डालना शुरू किया, साथ में मैं अपने हाथ से मेरे मम्मे दबा रहा था जिससे गर्मी और बढ़ती जा रही थी। उसने लगभग चार इन्च लण्ड घुसा दिया था |
फिर एक बार ज़ोर से झटका मारा और पूरा का पूरा लौड़ा मेरी गाण्ड में घुस गया। अब मैं भी उसका फिर से भरपूर साथ दे रही थी।उसने मुझे ज़ोर ज़ोर से पेलना शुरू किया और मेरी कसी गांड में उसका लंड बहुत मज़े से चुदाई कर रहा था।
फिर वो कुछ देर बाद मेरी गांड में ही झड़ गया। मेरी जिंदगी में वो पहला गांड मरवाने का अनुभव था।मैंने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि असल में मुझे कोई ऐसा पराया मर्द मिलेगा जो मेरी इस तरह से चुदाई करेगा।
अब तो ये हमारा रोज का काम हो गया कपिल के जाते ही नितेश उप्पर कमरे में आ जाता और मेरी जमकर चुदाई करता।।वो मुझे गलियों से बात करता और में भी उसे खूब गलिय देती।