Muslim Sex Story : मेरा नाम सोहन है और मैं जयपुर का रहने वाला हूं, मेरी उम्र 26 वर्ष है और मेरे पिता का हैंडीक्राफ्ट का काम है। मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से हूं और मेरे पिताजी हैंडीक्राफ्ट का काम बहुत ही समय से कर रहे हैं।
मेरी माता भी उनके साथ ही काम करती है और वह दोनों बहुत ही अच्छे से काम कर रहे हैं। कभी कबार मैं भी उनके साथ दुकान में बैठ जाया करता हूं, जब भी कोई कस्टमर सामान लेने आता है तो मैं उसे सामान अच्छे दामों में बेच दिया करता हूं |
जिस वजह से मेरे पिताजी मुझे कहते हैं कि तुम बहुत ही अच्छे से दुकानदारी करते हो, तुम भी यह काम संभाल लो लेकिन मैं उन्हें कहता हूं कि मैं अभी काम नहीं करना चाहता क्योंकि अभी मैं कॉलेज की पढ़ाई कर रहा हूं।
जब मेरी कॉलेज की पढ़ाई पूरी हो जाएगी उसके बाद मैं आपके साथ ही काम करूंगा। वो कहते हैं चलो यह तो बहुत अच्छी बात है यदि तुम अपनी पढ़ाई के बाद हमारे साथ कुछ मदद कर लिया करोगे।हमारे पास बहुत सारे कस्टमर आते हैं |
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जो कि हम से हैंडीक्राफ्ट का सामान मंगाते हैं और कुछ कस्टमर हमारे विदेश में भी हैं जो कि हमें ऑर्डर दे दिया करते हैं और उनका सामान बनाकर हम विदेश में ही भेज देते हैं क्योंकि मेरे पिताजी को यह काम करते हुए काफी वर्ष हो चुके हैं |
इसलिए अब उन्हें इस काम में सब जानते हैं। मेरे कॉलेज में जितने भी दोस्त है उन सब को मैंने अपने पिताजी के बारे में बताया था और उनके काम के बारे में भी जानकारी दे दी थी। जब उन्हें घर में किसी प्रकार की कोई सजावट करवानी होती थी |
तो मैं उनसे ऑर्डर ले लिया करता था और अपने पिताजी को सामान बनाने के लिए कह दिया करता था, जिस वजह से उन्हें बहुत अच्छी कमाई भी हो जाती थी और वह बहुत ही खुश होते थे कि तुम बहुत ही अच्छे से काम कर रहे हो।
मुझे भी यह काम करना बहुत ही अच्छा लगता था। मेरे कॉलेज में मेरे कई दोस्त है लेकिन उनमें से मेरा सबसे अच्छा दोस्त जिसका नाम अब्दुल है।अब्दुल और मेरी बहुत पुरानी दोस्ती है। जब वह कॉलेज में शुरू में आया था |
तब से हम दोनों दोस्त हैं क्योंकि जब वह कॉलेज में आया था तो उसका कॉलेज में बहुत ही झगड़ा हो गया था। मैंने उसे उस झगड़े से बाहर निकाला क्योंकी अब्दुल मुरादाबाद का रहने वाला है और वह अपनी फैमिली के साथ जयपुर में रहता है |
इसी वजह से जब मैं बीच में गया तो मैंने उसे उस झगड़े से निकाल लिया क्योंकि उस जगह में अब्दुल की कोई भी गलती नहीं थी लेकिन उसके बावजूद भी सब लड़किया उसे परेशान कर रही थी और कह रही थी कि इस बार इनकी गलती है |
लेकिन जब मैंने उन्हें समझाया अब्दुल एक अच्छा लड़का है, तब वह लोग मेरी बात को समझ चुके थे। उसके बाद उन्होंने अब्दुल को कुछ भी नहीं कहा। मेरी और अब्दुल के बीच में इसी वजह से बहुत ही अच्छे संबंध हैं।
जब भी मुझे अब्दुल की जरूरत पड़ती तो अब्दुल हमेशा ही मेरे साथ खड़ा रहता है और उसने मुझे कभी भी किसी चीज के लिए मना नहीं किया। वह अपनी बहन और अपने पिताजी के साथ यहां रहता है। उसकी अम्मी भी कोई नौकरी करती है |
लेकिन मैंने कभी भी उसकी अम्मी के बारे में उससे ज्यादा जानकारी नहीं ली। उसके पिताजी से मेरी कई बार मुलाकात हो चुकी है और उसकी बहन से भी मेरी बहुत बार मुलाकात हो चुकी है लेकिन मैंने कभी भी उसकी अम्मी से मुलाकात नहीं की |
अब्दुल का भी मेरे घर पर आना जाना लगा रहता है इस वजह से मेरे घरवाले अब्दुल को बहुत ही अच्छे से जानते हैं। वह हमारे घर पर अक्सर आता जाता रहता है। कॉलेज में ही अब्दुल की एक गर्लफ्रेंड है, उसका नाम फातिमाहै।
उसका रिलेशन हमारे कॉलेज के शुरूआती दिनों से ही है। फातिमा और अब्दुल एक दूसरे को बहुत पसंद करते हैं और वह दोनों एक दूसरे के साथ काफी समय बिताया करते हैं। कभी कबार वह मुझे भी अपने साथ ले जाते हैं।
जब वह मुझे अपने साथ ले जाते हैं तो मुझे भी उनके साथ बहुत अच्छा लगता है, जब मैं उनके साथ समय बिताता हूं। फातिमामुझे कहती है कि तुमने अपनी कोई गर्लफ्रेंड नहीं बनाई। मैंने उसे कहा कि मुझे अकेले रहना ही अच्छा लगता है
इस वजह से मैंने अभी तक किसी को भी अपनी गर्लफ्रेंड नहीं बनाया।फातिमा कई बार मुझे कहती है कि यदि तुम्हारी किसी लड़की से बात करनी है तो मैं तुम्हारी बात करवा देती हूं लेकिन मैं उसे मना कर दिया करता और कहता कि नहीं |
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मेरी किसी से भी बात नहीं करानी है, मैं अकेला ही खुश हूं और मैं अपने पाप के काम में ही थोड़ा समय दे दिया करता हूं जिस वजह से उन्हें भी मदद मिल जाती है। अब्दुल जब भी हमारी दुकान पर आता था तो वह कुछ न कुछ जरूर खरीद कर जाता था |
कई बार वह फातिमा को भी अपने साथ ले आता था। जब भी फातिमा हमारी दुकान में आती तो हमारी दुकान से काफी सामान खरीद लिया करती थी। मुझे इस बात का पता था कि उसे सामान की आवश्यकता नहीं है पर उसके बाद भी वह मेरी दुकान से सामान खरीद लेते थे |
ताकि मेरे पिताजी की दुकान से सामान बिक जाए इसीलिए मैं उन दोनों को बहुत ही मानता था क्योंकि वह दोनों कई बार ऐसा काम करते थे जो कि मैं कभी भी नहीं सोच पाता था। एक बार हमारे कॉलेज में एक नई टीचर आई जो कि बहुत ज्यादा सख्त किस्म की नजर आ रही थी।
उनका नाम सलमा है और वह कहीं ना कहीं बहुत ही गुस्से में रहती थी। वो जब भी हमें हमारी क्लास में पढ़ाने के लिए आती तो वह हमें हमेशा डांटा करती थी लेकिन वह अब्दुल को कभी भी कुछ नहीं कहती थी। मैंने जब अब्दुल से कहा कि तुम्हें सलमा मैडम कुछ भी नहीं कहते हैं
तो वह कहने लगा की ऐसी कोई बात नहीं है।मुझे तब भी अब्दुल ने यह बात नहीं बताई की सलमा मैडम उसकी मां है। जब एक दिन मैं उसके घर गया तो उस दिन मुझे वहां सलमा मैडम दिखी, तब मुझे पता चला कि वह उसकी अम्मी है।
मैंने जब यह बात अब्दुल से पूछी तो वह कहने लगा, मैं यह बात किसी को भी नहीं बताना चाहता था इसीलिए मैंने तुम्हे भी इस बारे में कुछ नही बताया। मैंने उससे कहा कि तुम्हें मुझे यह पहले ही बता देना चाहिए था कि सलमा मैडम तुम्हारी अम्मी है।
उसने मुझे अपनी अम्मी से अच्छे से इंट्रोड्यूस करवाया और कहा कि मेरी अम्मी बिल्कुल भी इस प्रकार की नहीं है जैसा तुम लोग सोचते हो। वो बहुत ही अच्छे नेचर की हैं और कह कभी मुझसे ऊंची आवाज में भी बात नहीं करती लेकिन मैं तुम्हें इस बारे में बताना नहीं चाहता था।
अब मुझे इस बारे में जानकारी हो चुकी थी इसलिए मेरी भी सलमा मैडम से अच्छी बातचीत हो गई और जब भी मैं अब्दुल के घर जाता तो वह मुझे मिल जाया करती थी और हमारे कॉलेज में भी अब मैं उनसे बात कर लिया करता था |
जब भी मुझे किसी प्रकार की कोई मदद की आवश्यकता होती तो मैं उनसे बेझिझक पूछ लिया करता था क्योंकि वह मेरी मदद कर दिया करती थी और उन्हें यह बात अच्छे से मालूम है कि मैं अब्दुल का बहुत ही अच्छा दोस्त हूं।
वह मुझसे अब अब्दुल के बारे में भी पूछती थी तो मैं उन्हें कहता था कि वह बहुत ही अच्छा लड़का है। सलमा मैडम मेरी बहुत ही मदद करती थी और मैंने एक दिन उन्हें कहा कि आप कभी हमारे घर पर आइए तो वह कहने लगी ठीक है |
मैं अब्दुल के साथ ही तुम्हारे घर पर आ जाऊंगी। अब वो एक दिन हमारे घर पर आ गई और मैंने उस दिन अपने माता पिता से उन्हें मिलवाया तो मेरे माता-पिता भी उनसे मिलकर बहुत खुश हुए। मैं अक्सर अब्दुल के यहां पर जाता रहता था |
जब मैं अब्दुल के यहां पर गया तो अब्दुल कुछ काम के सिलसिले में कहीं बाहर गया हुआ था लेकिन उसकी मां वहीं पर थी। मैंने उनसे कहा कि मैडम अब्दुल कहां गया हुआ है तो वह कहने लगी कि वह कुछ काम से बाहर गया हुआ है |
तुम कुछ देर के लिए बैठ जाओ वह आता ही होगा। वह भी मेरे बगल में आकर बैठ गई उन्होंने मेरी टांगों को दबाना शुरू कर दिया मैंने उनसे कहा कि आप यह क्या कर रही है। वह कहने लगी कि मुझे तुम्हारा लंड अपनी गांड मे लेना है।
मैंने उनसे कहा कि मुझसे यह नहीं होगा लेकिन उन्होंने अपनी गांड को मेरे लंड पर रगडना शुरू किया अब मेरा लंड पूरा खड़ा हो चुका था। वह मुझे अपने कमरे में ले गई और उन्होंने मेरी पैंट से मेरे लंड को बाहर निकालते हुए अपने मुंह के अंदर समा लिया।
जैसे ही मेरा लंड उनके मुंह के अंदर घुसा तो मुझे बहुत मजा आने लगा अब मेरा लंड पूरी तरीके से खड़ा हो चुका था। मैंने उनके स्तनों को देखा तो मुझे बड़ा आनंद आने लगा मैंने बहुत देर से उनके स्तनों का रसपान किया |
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उसके बाद मैंने उनकी बडी गांड को चाटना शुरू कर दिया।वह मुझे कहने लगी कि तुम मेरी गांड में अपने लंड को डालो क्योंकि मुझे गांड मरवाने में बड़ा मजा आता है। मैंने वहीं पास में रखे हुए सरसों के तेल को उठा लिया |
अपने लंड पर अच्छे से लगाते हुए उनकी गांड के अंदर डाल दिया। जैसे ही मेरा लंड उनकी गांड में घुसा तो उनके मुंह से बड़ी तेज आवाज निकली और वह बहुत तेज चिल्लाने लगी मुझे बड़ा मजा आ रहा था जब मै उन्हें झटके दिए जा रहा था।
उनकी गांड मेरे हाथ में भी नहीं आ रही थी और मैं उन्हें बड़ी तेज झटके दिए जा रहा था। उनके मुंह से बहुत तेज आवाज निकलने लगी मैंने उन्हें बड़ी तेज तेज धक्के मारना शुरू कर दिए उन्होंने भी अपनी गांड को मुझसे इतनी तेज टकरया की मुझे भी पूरा मजा आने लगा।
मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा वीर्य गिरने वाला है मैंने अपने लंड को उनके मुंह के अंदर डाल दिया उन्होंने मेरे लंड को बहुत ही अच्छे से चूसा मुझे बड़ा ही मजा आया और कुछ देर बाद मेरा माल उनके मुंह के अंदर गिरा तो उन्हे बहुत ही अच्छा महसूस होने लगा |
वह कहने लगी तुमने तो मेरी गांड मार कर मुझे खुश कर दिया है।अगर कहानी पसंद आई हो तो अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करें। हमारी वेबसाइट fungirl.in आपके लिए ऐसी ही मजेदार चुदाई की कहानियां लाती रहेगी।